तथाकथित श्रेष्ठता

तथाकथित श्रेष्ठता

मुंडेर को था घमंड
अपनी श्रेष्ठता पर

देहली पर बड़ी इतराई
बड़ी लफ्फाजी की
बड़ी तानाकशी की
अपनी उच्चता के
मनगढ़ंत दिए प्रमाण

ताउम्र उसी देहली पर
चढ़कर खड़ी रही मुंडेर
जिसको वह
कमतर व नीची
कहती न थकी

एक दिन आया जलजला
चरमरा कर ढह गई मुंडेर
आ कर गीरी
देहली के पास

छू मंत्र हो गई
तथाकथित श्रेष्ठता।

-विनोद सिल्ला

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