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तब होगी सच्ची दीपावली – दीपावली पर कविता

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 दीपावली पर कविता
शुभ दीवाली आई है- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

तब होगी सच्ची दीपावली

तब होगी सच्ची दीपावली

कुछ फूलों के खिलने से।
दिल में प्रेम के पलने से।
तब सच्ची है ये दीपावली।
मन में दीयों के जलने से।1।

चिरागों के यूँ जलने पर।
यश सुख वैभव हो हर घर।
तब सच्ची है ये दीपावली।
जब रौनक हो हर गांव शहर।2।

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मासूम बच्चों के चेहरे में।
खिलखिलाती बंद शेहरे में।
तब सच्ची है ये दीपावली।
खुश हो बचपन गर पहरे में।3।

जन जन की सेवा सम्मान करें।
गरीबों के चेहरे में मुस्कान भरें।
तब होगी सच्ची ये दीपावली।
दुखियों के दुख हर खुश करें।4।

गर ना हो सुख भैभव व विलास।
पर हो आदमी से आदमी को आस।
तब होगी सच्ची ये दीपावली।
जब मन में हो पूरा विश्वास।5।

न सोने चांदी गहनों की सौगात हो।
न धन धान्य भैभव की बरसात हो।
तब होगी सच्ची ये दीपावली जब।
किसी के जीवन में न काली रात हो।6।

सुन्दर लाल डडसेना”मधुर”
ग्राम-बाराडोली(बालसमुंद),पो.-पाटसेन्द्री
तह.-सरायपाली,जिला-महासमुंद(छ. ग.) पिन- 493558

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