तुम्हारा साथ काफी है

कविता संग्रह
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जिंदगी में तुम्हारा साथ काफी है,
हाथों में मेरे तेरा हाथ काफी है।
दूर हो या हो पास कोई बात नही है,
तुम साथ हो यह एहसास काफी है।

लड़ते भी रहते हैं,हँसते भी रहते है,
पर हम हैं साथ- साथ यही काफी हैं।
मेरे दर्द का तेरे दिल में ,अहसास तो है,
जिंदा रहने को तेरा ऐतबार काफी है।

कहने से तो जज्बात बिखर जाते हैं,
तेरा प्यार बिन अल्फ़ाज ही काफी है।
हवाओं से भी तू मेरी खबर रखता हैं,
खुशबूओं सा ये नर्म अहसास काफी है।

नजर से नजर मिल जाए तुमसे हमारी,
यही इतेफ़ाक जिंदगी में काफी है ।
कुछ ना चाहिए इस दुनिया से हमें,
बस एक तेरा साथ ही काफी है।

झुर्रियों भरे ये जो हम दोनों के चेहरे है,
कहते बीती यादों की बात काफी है।
काले बालों में दिखते ये चांदी के तार,
बुढ़ापे में तेरा ये मेरा साथ काफी है।

राजेश्वरी जोशी,
उतराखंड

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