नवजीवन पर कविता
बरवै छंद, चार चरण
मात्रिक अर्धसम छंद
विषम चरण12 मात्रा
सम चरण ,7 मात्रा।
बरवै छंद, चार चरण
मात्रिक अर्धसम छंद
विषम चरण12 मात्रा
सम चरण ,7 मात्रा।
उषा सुहानी लगे प्यारी उषा सुहानी लगे प्यारी मंद पवन की ठंडक न्यारी घोंसला छोड़ पंछी भागे उषाकाल नींदों से जागे । कोयल की सुन मीठी वाणी छुप छुप किया करे मनमानी शीतल मंद पवन मदमाती रवि किरण तन -मन को लुभाती। कोहरा आकाश धुँधलाता । हरा भरा तृण उर लुभाता। … Read more
निंदा पर सोरठा चुगली औषधि होत, करती मरहम काम जो।परनिंदा दुख स्रोत , स्वनिंदा बैकुंठ सम।।✒️ मनीभाई ‘नवरत्न’
शिक्षा रोजगार पर कविता शिक्षा की महिमा अति भारी।जन मन में करती उजियारी।ज्ञान प्रकाश हृदय भर देती।मन के सकल तमस हर लेती।।1।। विविध विषय के बनकर ज्ञाता।बनकर अपने भाग्य विधाता।।युवा कर्म पथ बढते जाते।अनुसंधान सफल हो पाते।।2।। रोजगार से शिक्षा जुड़ती।मानो गंध स्वर्ण में भरती।।बढे सृजन पथ युवा शक्ति जब।जग मंगल के कार्य सधे तब।।3।। … Read more
निराला प्रकृति निराला रूप प्रकृति का , लगता है चितचोर।भाये मन को ये सदा , करता भाव विभोर।।करता भाव विभोर , सभी को खूब लुभाता।फैला चारों ओर , मनुज दोहन करवाता ।।रखना ‘मधु’ यह ध्यान , बनें हम नहीं निवाला।प्रकृति का रहे साथ , करें कुछ काम निराला।। मधुसिंघी नागपुर (महाराष्ट्र)