बसंत तुम आए क्यों

बसंत तुम आए क्यों ? मन में प्रेम जगाये क्यों?बसंत तुम आए क्यों ? सुगंधो से भरीसभी आम्र मंजरीकोयल कूकती फिरेइत्ती है बावरीसबके ह्रदय में हूक उठाने मन में प्रेम जगाये क्यों?बसंत तुम आए क्यों ? हरी पत्तियाँ बनी तरुणीआलिंगन करती लताओं काअनुरागी बन भंवरकलियों से जा मिलासकुचाती हैं हवाएँदिलों को एहसास दिलाने मन में … Read more

Loading

परदेसी से प्रीत न करना

hindi gajal

परदेसी से प्रीत न करना तुमसे विलग   हुए तो कैसेकैसे दिवस निकालेंगे।दीप    जलाये   हैं हमने हीदीपक आप बुझा लेंगे। तन्हाई में   जब   जब यारायाद तुम्हारी आयेगी।परदेसी  से   प्रीत  न करनादिल को यों समझा लेंगे।। शायद सदमा झेल न पाओतुम मेरी बर्बादी का।अपने अंदर  ही अपने हमसारे हाल छुपा लेंगे।।झूँठा   है ये  प्यार मुहब्बतझूँठे हैं सब … Read more

Loading

किसानों को समर्पित एक कविता

किसानों को समर्पित एक कविता जेठ की तपती दुपहरी होया मूसलाधार बारिशअभावों कीकुलक्षिणी रात होया ….दक्षिणी ध्रुवी अंधकार अमावस्याजाड़े की ठिठुरन में भीऔरों की तरहनहीं सोतावह घोड़े बेचकर ..जिम्मेवारियों का निर्वहन करतेधरती के गर्भ सेजिसनेअन्न उपजामनुष्य और मनुष्यता कोजीवित रखासंसार को नया आकार देकरफसलों में मुस्कान बिखेरीदलदली पंक को रास्ता बनानवांकुरों को चलना सिखायामगर!विडम्बना ऐसीकि … Read more

Loading

माधव श्री कृष्ण पर कविता

माधव श्री कृष्ण पर कविता सबके दिल मे रहने वाला,माखन मिश्री खाने वाला।गाय चराते फिरते वन मे,सुंदर तान सुनाने वाला ।खेल दिखाते सुंदर केशव,सबके मन को भाने वाला।भाये ना केशव मुझको अब,   हर  दस्तूर जमाने वाला।ध्यान धरे है माधव सबकी,दुख सबके है हरने वाला।क्यों ऐसी बातें करता हैं ,हिंसा को भड़काने वाला।      जागृति मिश्रा … Read more

Loading

फिर जली एक दुल्हन

फिर जली एक दुल्हन शादी का लाल जोड़ा पहन,ससुराल आई एक दुल्हन,आंखों में सजाकर ख्वाब,खुशियों में होकर मगन! रोज सुबह घबरा सी जाती,बन्द सी हो जाती धड़कन,ना जाने कब बन जाये,लाल जोड़ा मेरा कफ़न! फिरभी सींचे प्यार से,अपना छोटा सा चमन,खुशियों से महके आँगन,नित नए खिलते सुमन! एक रोज अखबार देखा,आज भी अग्नि-दहन,दहेज की ही … Read more

Loading

मनीलाल पटेल उर्फ़ मनीभाई नवरत्न के कविता

मनीलाल पटेल उर्फ़ मनीभाई नवरत्न के कविता एक अजब खिलखिल है जान अकेली है।मौत सहेली है।काँपती देहहवा बर्फीली है । चादर आसरा हैदहक सहारा है।दंत की किटकिटसर्द की नारा है। तन में ठिठुरन है ।मन में जकड़न है ।जग धुंधला सारज को अड़चन है । हर पल को मुश्किल है ।ठंड जिनकी कातिल है।रंग बदला … Read more

Loading

जा लिख दे

जा लिख दे “साधु-साधु!”लेखनी लिखे कुछ विशेषदें आशीषमैं भी कुछ ऐसा लिख जाऊँजो रहे संचित युगों-युगोंचिरस्थायी,शाश्वत–’जा लिख दे अपना वतन’जो सृष्टि संग व्युत्पन्नआश्रयस्थल प्रबुद्धजनों का,शूरवीरों काप्रथम ज्ञातारहेगा समष्टि के अंत बाद भी। –’जा लिख दे उस माँ का वर्णन’जो जाग-जाग और भाग-भागनिज सन्तति हित सर्वस्व लुटायेजो पूत प्रेम औरवीर धर्म का पाठ पढ़ायेसर्व जगत की … Read more

Loading

बहुरूपिया

बहुरूपिया बकरी बनकर आया,मेमने को लगाकर सीने से,प्यार किया,दुलार किया!दूसरे ही क्षण–भक्षण कर मेमने का,तृप्त हो डकारा,बहुरूपिये भेड़िये ने फिर,अपना मुखौटा उतारा!!—-डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’अम्बिकापुर,सरगुजा(छ. ग.)

Loading

काली कोयल

काली कोयल कोयल सुन्दर काली -काली,हरियाले बागों की मतवाली।कुहू-कूहू करती डाली-डाली,आमों के बागों मिसरी घोली। ‘चिड़ियों की रानी’ कहलाती,पंचमसुर में तुम राग सुनाती।हर मानव के कानों को भाती,मीठी बोली से मिठास भरती। मौसम बसंत बहुत सुहाना,काली कोयल गाती तराना।रूप तुम्हारा प्यारा सयाना,जंगलवासी का मन हरना। कोकिला, कोयल, वनप्रिया,बसंतदूत,सारिका नाम पाया।पेड़ों के पत्तों में छिप जाया,मीठी … Read more

Loading

भावना तू कौन है ?

भावना तू कौन है ? क्रोध लोभ हास मेरात में प्रकाश मेंराग और द्वेष मेंप्रीत नेह क्लेश मेंदेखता हूँ मौन हैभावना तू कौन है? भय अभय चित्त मेंहार में व जीत मेंभूख और प्यास मेंदूर हो या पास मेंदेखता हूँ मौन हैभावना तू कौन है ? अश्रु जब पड़े ढुलककांपने लगे अधरतू बड़ी उदास सीमन … Read more

Loading