Month March 2020

क्रांति का सागर पर लेख

क्रांति का सागर पर लेख 1947, में फिर से तिरंगा लहराया था, हमने फिरंगियों को भारत से मार भगाया था। क्रांति वो सागर जो हर व्यक्ति में बह रहा था। ये उस समय की बात है, जब बच्चा बच्चा आजादी…

मित्रों तोड़ो मौन पर कविता

मित्रों तोड़ो मौन पर कविता जब-जब निर्वात-मौनसम्प्रेषणहीन होकरपड़ा होता है लाचारतब-तबवाणी का स्वरमाध्यम बनकरजोड़ता हैदिलों के दो पुलों को जब-जब बर्फ़ीला-मौनजम जाता हैमाइनस डिग्री परतब-तबबर्फ़-सी जमी मौन के कणों कोअपनी ऊष्मा सेपिघलाती हैध्वनि-मिश्रित साँसों की गर्मी जब-जब अपाहिज-मौनरुक जाता है-ठहर जाता…

थूकना और चाटना पर कविता

थूकना और चाटना पर कविता उसके मुँह के सारे थूंकअब सूख चुके हैं ढूंढ-ढूंढकर वहपहले थूंके हुए जगहों पर जाकरउन थूंको को चाटकरफिर से गीला कर रहा है अपना मुँह उन्हें अपने किए ग़लतीका एहसास हो चुका है अब बेहद…

कितना कुछ बदल गया इन दिनों…

कितना कुछ बदल गया इन दिनों… देशभक्ति कभी इतनी आसान न थीसीमा पर लड़ने की जरूरत नहींघर की चार दीवारी सीमा मेंबाहर जाने से ख़ुद को रोके रहना देशभक्ति हो गई ऑफिस जाने की जरूरत नहींबिना काम घर में बैठे…

हाइकु

हाइकु तृतीय शतक

हाइकु शतक १बुलकड़ियाँरिक्त गौशाला द्वारसूखा गोबर।२चैत्र प्रभातविधवा का शृंगारदूर्वा टोकरी।३फाग पूर्णिमाडंडे पर जौ बालीबालक दौड़ा।४होली दहनचूल्हे पे हंसती माँगेहूँ बालियाँ।५मदिरालयकुतिया को पकोड़ेनाली में वृद्ध।६औषधालयचारपाई पे वृद्धनीम निम्बोली।७कैर साँगरीबाजरी की रोटियाँहाथ खरोंच।८चंग का स्वरमातृ गोद बालिकाआँख में आंसू।९निम्बू का रसरंगे हाथ…

जिंदाबाद पर कविता

जिंदाबाद पर कविता लाईलाज घातकवायरस के आगमन परदेवालय, खुदालय व गोडालयया अन्य धर्मस्थलसब बंद हैंआरती, अजान व प्रार्थनाअनिश्चित काल के लिएटाल दीं गईं हैंअनुष्ठान निलंबित हैंटोने-टोटकेजादू-मंत्रसब निष्प्रभावी हैंखुले हैंऔषधालय, दवालय व जांचालयचिकित्सक जिंदाबादबहुउद्देशीय स्वास्थ्य-कर्मी जिंदाबादविज्ञान जिंदाबादमास्क बनाने वालेजिंदाबादमास्क बांटने वालेजिंदाबाद…

वक्त पर कविता

वक्त पर कविता दुनिया कितनी सुंदर व प्यारी है।भारत उन सबमें नूतन न्यारी है।दुनिया के इस समय की घटना सुनाते हैं।चलो आज घर में वक्त बिताते हैं।1.सभी तरफ कोहराम मचा है।जान बचाना हो गया भारी।मनुष्य चाँद पर जा पहुंचा।पर एक…

जल पर कविता

जल पर कविता जल जीवन का सार है।जल जीने का आधार है।जल प्यासे की पुकार है।जल जीवन का करतार है।जल है तो कल है।जल बिना जीवन विकल है।बूँद बूँद का संचय कर मधुर।तब ही होगा तेरा जीवन सफल है।जल ही…

घर-बेघर पर कविता

घर-बेघर पर कविता सरकार का आदेश हैआज मुझेऔर बाकी सब को भीघर पर रहना हैमैं और बाकी सबहर संभव प्रयास करकेघर पर ही रहेंगेलेकिन सरकारयह बताना भूल गईकहाँ रहेंगेनगरों-महानगरों के बेघरजिनका धरती बिछौनाआसमान ओढ़ना हैजो करते हैं विचरणसरकारों केमुख्यालयों की…

निर्भया न्याय दिवस पर कविता

निर्भया न्याय दिवस पर कविता सन् दो हजार बीस,बीस मार्च रहा अनुपम।स्वर्णिम दिन है आज,शांत मन तन है शुद्धम।हुई न्याय की जीत,निर्भया तेरी जय हो।दुराचार का अंत,सजा देना अब तय हो।सात साल के बाद में,फाँसी में झूले सभी।अब हो नहीं…