Month April 2020

आनंद पर कविता

आनंद पर कविता मुझे है पूरा विश्वासनहीं है असली आनंदमठों-आश्रमों वअन्य धर्म-स्थलों में इन सब के प्रभारीलालायित हैंलोकसभा-राज्यसभाया फिर विधानसभा मेंजाने को मुझे है पूरा विश्वासअसली आनंदलोकसभा-राज्यसभाया फिर विधानसभामें ही है इसलिए हीयोगी, साध्वी वअन्य मठाधीश हैं टिकटार्थी संसद और…

लिखना पर कविता

लिखना पर कविता क्या आप कविता लिखना चाहते हैं ?यदि हाँ तो दो विकल्प है आपके पास पहला विकल्प यह कि–उनके लिए कविताएं लिखनाएक बड़ी चुनौती लेना हैइसमें कठिन संघर्ष और खतरों के अंदेशे भी हैं बहुत सारे दूसरा विकल्प…

बेपरवाह लोग पर कविता

बेपरवाह लोग पर कविता ये उन लोगों की बातें हैंजो लॉकडाउन,कर्फ़्यू, धारा-144जैसे बंदिशों से बिलकुल बेपरवाह हैं जो हजारों की तादात मेंकभी आनन्द विहार बस स्टेंड दिल्लीमेंयकायक जुट जाते हैंतो कभी बांद्रा रेल्वे स्टेशन मुम्बई मेंअचानक इकट्ठे हो जाते हैं…

कोरोना चालीसा पर कविता

कोरोना चालीसा पर कविता नर रसना के स्वाद का, कोरोना परिणाम।चमगादड़ के सूप का, मचा हुआ कोहराम।।१।। करता कोई एक है, भरता ये संसार।घूम -घूम वो नर करें, व्याधि का संचार।।२।। *चौपाइयाँ* कैसे कटे दिवस हे भाई ।लगता जीव लता…

इंसान पर कविता

इंसान पर कविता आदिकाल में मानवनहीं था क्लीन-शेवडनहीं करता था कंघीलगता होगा जटाओं मेंभयावह-असभ्यलेकिन वह थाकहीं अधिक सभ्यआज के क्लीन-शेवडफ्रैंचकट या कंघी किएइंसानों से नहीं था वहव्याभिचार में संलिप्तनहीं था वह भ्रष्टाचारीनहीं करता था कालाबाजारीमुक्त था जाति-धर्म सेमुक्त था गोत्र-विवादों…

ब्रजधाम पर कविता- रेखराम साहू के दोहे

ब्रजधाम पर कविता मधुवन काटा जा रहा, रोता है ब्रजधाम।गूँगी गाएँ गोपियाँ, छोड़ गए जब श्याम ।। कालिंदी कलुषित हुई, क्रंदन करे कदंब।नंद नहीं,आनंद में, आहत यशुदा अंब।। घर,आँगन,पनघट,गली,और दुखी हर द्वार ।पीपल,बरगद,नीम की,खोई कहाँ कतार ।। वृद्ध आम को…

काम बोलता है पर कविता

काम बोलता है पर कविता वह बचपन से हीकुछ करने से पहलेअपने आसपास के लोगों सेबार-बार पूछता था…यह कर लूं ? …वह कर लूं ? लोग उन्हें हर बारचुप करा देते थेमाँ से पूछा-पिता से पूछादादा-दादी और भाई-बहनों से पूछापूछा…

मानसिकता पर कविता

मानसिकता पर कविता आज सब कुछ बदल चुका हैमसलन खान-पान,वेषभूषा,रहन-सहन औरकुछ-कुछ भाषा और बोली भी आज समाज की पुरानी विसंगतियां, पुराने अंधविश्वासऔर पुरानी रूढ़ियाँलगभग गुज़रे ज़माने की बात हो गई हैआज बदले हुए इस युग में-समाज मेंअब वे बिलकुल भी…

ग्रहों पर कविता

ग्रहों पर कविता तुम जो हो जैसे होउतना ही होना तुम्हारे लिए पर्याप्त नहीं लग रहा हैं तुम जो भी हो उसमें और ‘होने’ के लिएकुछ लोगों को और भी जोड़ना चाहते होबहुत सारे या अनगिनत व्यक्तियों को अपने व्यक्तित्व…

जीत पर कविता

जीत पर कविता जब तक स्वास है ,करना अभ्यास है ।चित से प्रयास करें ,पूरी हर आस हो। परिश्रमी सच्चा जो,सफल रहे सदा वो।लक्ष्य मन में रखें,मंजिल ना दूर हो। बड़ों का आदर जहां ,सुस्वर्ग होता वहां।वंदन मन से करो…