उम्मीद के दिये पर कविता-मनोज बाथरे
उम्मीद के दिये पर कविता अपनेपन मेंखोये हुएहम खोजते हैंउम्मीद के दियेजो हमेंआशारूपीउजालेके साथ हमेंएक नई रोशनीदे सकेंअपने सुखदजीवन के लिए
उम्मीद के दिये पर कविता अपनेपन मेंखोये हुएहम खोजते हैंउम्मीद के दियेजो हमेंआशारूपीउजालेके साथ हमेंएक नई रोशनीदे सकेंअपने सुखदजीवन के लिए
संबंध पर कविता संबंध सिर्फहमें अपनों सेजोड़ने वालीकड़ी कानाम नहीं हैये तोवो संबंध हैजो सदैवहमारे बीचएक सेतु सा कार्यकरता हैअनेक संबंधों के लिए।।
नास्तिक पर कविता नास्तिक हीपैदा हुआ था मैंबाकी भीहोते हैं पैदा नास्तिक हीमानव मूल रूप मेंहोता है नास्तिक नाना प्रकार केप्रपंच करके उसेबनाया जाता है आस्तिककितना आसान है आस्तिक होनाबिना जाने मानना हैबिना तर्क किए मानना हैकिसी को नकारने के लिएचिंतन-मनन, तर्क-वितर्कअनुसंधान करना पड़ता है भले कितना ही दिखावा करेंआस्तिक होने काधर्म स्थलों के प्रभारीहोते … Read more
सबसे बड़ा प्रैंकर : मनीभाई नवरत्न ये जो छूटती हैहंसी की झरने लबों से ।हो सकती है स्वास्थ्यवर्धक ,पर नहीं कह सकतेये फूटी होगी प्राकृतिक । पर इसमें दोष नहीं है ,अवतरण जो हुआ तेराऐसे भयानक कृत्रिम जग में। कभी-कभी सोचता हूँझूठा नहीं था प्लेटो।जो कहता था ये दुनिया मिथ्या है,उससे भी बनावटी यहाँ के … Read more
सर्वश्रेष्ठता पर कविता एकअदना जीवबेबस कर दियाअसहाय-त्रस्त-सहमा मानव,छुप बैठा अपनों से बचकर,जो हर कोण ढाल से,अपनों सा दिखते हैं.लेकिन पहचान नहीं बताते आसानी से. अब उनमें वहीं नहींबल्कि कोई और भी है.जो जान पर तूला है.हाय! ये मानव कुछ तो भूला है.नहीं तो ये प्रकृति ,हमारी भी है मां.सच!उसे पता हैसंतुलन कैसे है रखना?परिवर्तन उसका … Read more