विश्व दूरदर्शन दिवस पर कविता

विश्व दूरदर्शन दिवस पर कविता समाज का एक वर्गइतराता नहीं ये कहने से,मूल्यों के विघटन मेंदूरदर्शन का हाथ है ।पर पवित्र ना होदृष्टिकोण तोलगता है दिन भीघनघोर रात है ।। कहीं चूक है अपनी जोमित्र दूरदर्शन हो रहा दोषी ।वरना ताकाझांकी चलती सदाकि क्या कर रहा अपना पड़ोसी? ज्ञान है, विज्ञान हैमनोरंजन की खान है … Read more

पृथ्वी दिवस विशेष : ये धरा अपनी जन्नत है

ये धरा अपनी जन्नत है ये धरा,अपनी जन्नत है।यहाँ प्रेम,शांति,मोहब्बत है। ईश्वर से प्रदत्त , है ये जीवन।बन माली बना दें,भू को उपवन।हमें करना अब धरती का देखभाल।वरना पीढ़ी हमारी,हो जायेगी कंगाल।सब स्वस्थ रहें,सब मस्त रहें।यही “मनी” की हसरत है॥1॥ ये धरा …… चलो कम करें,प्लास्टिक का थैला।उठालें झाड़ु हाथों में,दुर करें मैला।नये पौधे लगायें, … Read more

12 मई नर्स दिवस पर विशेष कविता

12 मई नर्स दिवस पर विशेष कविता मौत की दहलीज में ,जब कोई हो पड़े-पड़े।खून से लथपथ ,अंग भंग हो के सड़े-सड़े ।अपने तक तरस खाते,देख दूर खड़े-खड़े ।तब एक महिला ,पस-दुर्गंधों से लड़े-लड़े।अस्पताल में महत्वपूर्ण है इसकी भूमिका ।“सिस्टर”कहते सब जिसे,वो है परिचारिका। बीमारी की पहचान में डॉक्टर करता काम।पर निदान प्रक्रिया में नर्स … Read more

शहीद दिवस विशेष कविता

शहीद दिवस विशेष कविता क्या शहीद दिवस मना लेना;इस पर कोई कविता बना लेना;तस्वीर स्मारक में फूल चढ़ा देना;बच्चों को उनके बारे में पढ़ा देना;सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है? क्या आज जरूरत नहीं हमें,भगत,सुखदेव,राजगुरू बनने की;भारतमाँ के लिये सर्वस्व लुटाने की;उनके विचारों को अमल में लाने की;उनके सपनों के भारत बनाने की ? हम चाहते … Read more

गरमी महीना छत्तीसगढ़ कविता

गरमी महीना छत्तीसगढ़ कविता किंदर किंदर के आवथें बड़ेर,“धुर्रा-माटी-पैरा-पान” सकेल।खुसर जाय कुरिया कोती अन,लकर-लकर फेरका ल धकेल।हव! आगे ने दिन बिन-बूता पसीना के।ए जम्मो चिन्हा हावे गरमी महीना के।। डम-डम डमरू बजावत,आवत हे ठेलावाला।रिंगी-चिंगी चुसकी धरे,दिखत हे भोलाभाला।लईका कूदे देखके ओला।पईसा दे दाई जल्दी से मोला।अऊ दाई देय चाउर,भर-भर गीना के।ए जम्मो चिन्हा हावे गरमी … Read more