जिंदगी पर कविता
जिंदगी पर कविता ज़िंदगी,क्यों ज़िंदगी से थक रही है,साँस पर जो दौड़ती अब तक रही है। मंज़िलें गुम और ये अंजान राहें,कामयाबी चाह की नाहक रही है । भूख भोली है कहाँ वो जानती है!रोटियाँ गीली, उमर ही पक रही…
जिंदगी पर कविता ज़िंदगी,क्यों ज़िंदगी से थक रही है,साँस पर जो दौड़ती अब तक रही है। मंज़िलें गुम और ये अंजान राहें,कामयाबी चाह की नाहक रही है । भूख भोली है कहाँ वो जानती है!रोटियाँ गीली, उमर ही पक रही…
मिल्खा सिंह राठौड़ पर कविता उड़न सिक्ख मिल्खा सिंह जी, इक राजपूत राठौड़ भए।दौड़ दौड़ कर दुनियां में, दिल से दिल को जोड़ गए।। वो उस भारत में जन्मे थे, जो आज पाक का हिस्सा है।कहूं विभाजन की क्या मैं,…
धर्म पर कविता- रेखराम साहू धर्म जीवन का सहज आधार मानो,धारता है यह सकल संसार मानो। लक्ष्य जीवन का रहे शिव सत्य सुंदर,धर्म का इस सूत्र को ही सार मानो। देह,मन,का आत्म से संबंध सम्यक्,धर्म को उनका उचित व्यवहार मानो।…
मणिकर्णिका-झांसी की रानी लक्ष्मीबाई पर कविता अंग्रेजों को याद दिला दी, जिसने उनकी नानी।मर्दानी, हिंदुस्तानी थी, वो झांसी की रानी।। अट्ठारह सौ अट्ठाइस में, उन्नीस नवंबर दिन था।वाराणसी हुई वारे न्यारे, हर सपना मुमकिन था।।नन्हीं कोंपल आज खिली थी, लिखने…
अब नहीं सजाऊंगा मेला अक्सर खुद कोसाबित करने के लिएहोना पड़ता है सामने . मुलजिम की भांति दलील पर दलील देनी पड़ती है . फिर भी सामने खड़ा व्यक्तिवही सुनता है ,जो वह सुनना चाहता है .हम उसके अभेद कानों…
जीवन एक संगीत है-आभा सिंह जीवन एक संगीत है इसको गुनगुनाइए लाखों उलझनें हो मगर हँसकर सुलझाइए कमल कीचड़ में भी रहकर अपनी सुन्दरता ना खोतागुलाब काँटों में भी रहकर मुस्कुराना ना भूलतादामन से काँटे चुन-चुनकर जीवन को सफल बनाइएजीवन…
मुखौटा पर कविता हां!मैं मुखौटा।मेरी ओट मेंमुंह जो होता।अंदर से रोकरबाहर हंसाता भी हूं।कभी कभीहोली के हुड़दंग में,बच्चों कोडराता भी हूं।मैंछुपा लेता हूं।मुखड़े की मक्कारियां।आंखों की होश्यारियां।और दिल की उद्गारियां।।दो मुंहे सांपों काएक चेहरामेरा ही तो है।मैं हीसामने वालीनजरों के…
संगीत और जीवन आपस में हैं जुड़ें कभी सुनो धड़कन की आवाज।कभी सांसों में ,वो बजता साजजीवन संगीत की मधुर आवाज। कभी अधरों पर आई हंसी हो।कभी बोली मैं आई मिठास हो।सब जीवन संगीत का मधुर राग। कभी शिशु की…
इस कविता में जिन्दगी के खुशनुमा पहलुओं को महसूस करने का प्रयास किया गया है |
खिले जो फूल बहारों के , चमन हुआ रोशन - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम "
बुजुर्गों के सम्मान पर कविता बुजुर्ग, परिवार-आधार-स्तंभ, इनका करो सम्मान, करो सेवा सहृदय से, इनका मत करो अपमान। करो सत्कार बुजुर्गों पर ,रोको इन पर अत्याचार, बड़ा खुशनसीब है वो जिसे मिला, बुजुर्गों का प्यार। परोपकार का हमको देते ये…