बाल भिक्षु पर कविता
दर्द न जाने कोय….. बाल भिक्षु पर कविता(विधाता छंद मुक्तक) झुकी पलकें निहारें ये,रुपैये को प्रदाता को।जुबानें बन्द दोनो की,करें यों याद माता को। अनाथों ने, भिखारी नें,तुम्हारा क्या बिगाड़ा है,दया आती नहीं देखो,निठुर देवों विधाता को। बना लाचार जीवन को,अकेला छोड़ कर इनको।गये माँ बाप जाने क्यों,गरीबी खा गई जिनको। सुने अब कौन जो … Read more