कवि बन जाता है… – अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी”
कवि बन जाता है… कविता को भान कर, सच झूठ जान कर,रचना समझ कर , कवि बन जाता है… घटा और बादलों को,मेघ संग वादलों को,अंधेरे को चीर कर , कवि बन जाता है… छंद कई पढ़ता है, प्रेम गीत…
कवि बन जाता है… कविता को भान कर, सच झूठ जान कर,रचना समझ कर , कवि बन जाता है… घटा और बादलों को,मेघ संग वादलों को,अंधेरे को चीर कर , कवि बन जाता है… छंद कई पढ़ता है, प्रेम गीत…
महारानी दुर्गावती बलिदान दिवस कविता महारानी दुर्गावती अबला नहीं,वो तो सबला थी।महारानी तो गोंड़वाना से निकली हुई ज्वाला थी।। चंदेलों की बेटी थी,गोंड़वाना की महारानी थी।चंडी थी,रनचंडी थी,वह दुर्गावती महारानी थी।। अकबर के विस्तारवादी साम्राज्य के चुनौती थी।गढ़ मंडला के…
साहित रा सिँणगार १०० के सौजन्य से 17 जून 2022 शुक्रवार को पटल पर संपादक आ. मदनसिंह शेखावत जी के द्वारा विषय- भाई पर कुण्डलिया में रचना आमंत्रित किया गया. कुंडलियां विधान- एक दोहा + एक रोला छंददोहा -विषम चरण…
15 जून 2022 को साहित रा सिंणगार साहित्य ग्रुप के संरक्षक बाबूलाल शर्मा ‘विज्ञ’ और संचालक व समीक्षक गोपाल सौम्य सरल द्वारा ” भोजन ” विषय पर दोहा छंद कविता आमंत्रित किया गया जिसमें से भोजन पर बेहतरीन दोहे चयनित…
यहाँ पर अनिल कुमार गुप्ता अंजुम की कवितायेँ दिए जा रहे हैं :- मैंने उसे – कविता मैंने उसेकिसी का सहारा बनते देखामुझे अच्छा लगा शायद आपको भी ………. मैंने उसे किसी की भूखमिटाते देखामुझे अच्छा लगा शायद आपको भी…