Author: कविता बहार

  • मैं हिंदुस्तान हूं – शशि मित्तल “अमर”

    मैं हिंदुस्तान हूं – शशि मित्तल “अमर”

    tiranga


    लहर-लहर लहराए तिरंगा
    बीच अशोक चक्र महान हूं
    हां मैं हिंदुस्तान हूं………..

    तीन रंगों से सजा तिरंगा
    श्वेत,हरा,केसरिया की शान हूं
    हां मैं हिंदुस्तान हूं…………..

    भगत, सुभाष,आजाद की धरती
    वीरांगना रानी झांसी की पहचान हूं
    हां मैं हिंदुस्तान हूं…………….

    हिंदू -मुस्लिम,सिख- ईसाई
    आपास में हैं सब भाई-भाई
    अलौकिक भाईचारे की जान हूं
    हां मैं हिंदुस्तान हूं…………..

    हिमालय खड़ा पहरेदार सा
    गंगा,यमुना,सरस्वती का धाम हूं
    हां मैं हिंदुस्तान हूं…………….

    12 ज्योतिर्लिंगों से पूजित धरा
    कंकर-कंकर मेंभी शंकर अवतार हूं
    हां मैं हिंदुस्तान हूं…………….

    लिपट तिरंगे में आ जाते शहीद
    फिक्र नहीं निज प्राणों की करते
    मैं वो बलिदान हूं।
    हां मैं हिंदुस्तान हूं………….

    यहां कल-कल,छल-छल बहती नदियां
    जहां पूजे जाते पेड़ और गौ माता
    मैं वो देश महान हूं!
    हां मैं हिंदुस्तान हूं………….

    शशि मित्तल “अमर”
    मौलिक एवं स्वरचित

  • प्रजा ही है असली राजा – प्यारेलाल साहू

    प्रजा ही है असली राजा – प्यारेलाल साहू

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह



    प्रजा बजा सकती है बड़े बड़ों का बाजा।
    प्रजा ही है इस देश का प्यारे असली राजा।।

    मंत्री समझ बैठे हैं खुद को भारत भाग्य विधाता।
    पता चलता है औकात तब, जब चुनाव है आता।।

    हाथ जोड़ते नाक रगड़ते कहते माई बाप।
    माफ कर कर दो अनजाने में हो गये जो पाप।।

    चुनाव जीतने के लिए देते क्या क्या प्रलोभन।
    पैसा लेकर वोट देना ये है कार्य अशोभन।।

    अपने मताधिकार का करो सही उपयोग।
    जड़ से उखाड़ फेंको भ्रष्टाचार का रोग।।

    जागरूक मतदाता ही है,प्रजातंत्र की शान।
    अपने अधिकार और कर्तव्यों का जिसको हो ज्ञान।।

    जनता के द्वारा, जनता का, जनता के लिए हो शासन।
    यही है सच्चा राष्ट्र प्रेम और प्यारे राष्ट्र आराधन।।

    *गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ*

    प्यारेलाल साहू मरौद(छ.ग.)

  • गणतंत्र दिवस – डॉ एन के सेठी

    गणतंत्र दिवस – डॉ एन के सेठी

    Republic day

    गणतंत्र दिवस डॉ एन के सेठी

    लोकतंत्र का पर्व मनाएं।
    सभी खुशी से नाचे गाएं।।
    दुनिया में है सबसे न्यारा।
    यहभारत गणतंत्र हमारा।।

    इसकी जड़ है सबसे गहरी।
    इसकी रक्षा करते प्रहरी।।
    सबसे बड़ा विधान हमारा।
    नमन करे जिसको जग सारा।।

    लोकतंत्र का महापर्व है।
    हमको इस पर बड़ा गर्व है।।
    भारत प्यारा वतन हमारा।
    ये दुनिया में सबसे न्यारा।।

    भिन्न – भिन्न जाती जन रहते।
    विविध धर्म भाषा को कहते।।
    नाना संस्कृतियों का संगम है।
    खुशियाँ होती कभी न कम है।।

    उत्सव अरु त्यौहार मनाते।
    इक दूजे से प्यार जताते।।
    नारी का सम्मान यहाँ है।
    मेहमान का मान यहाँ है।।

    वसुधा को परिवार समझते।
    सर्वसुख की कामना करते।।
    करती पावन गंगा-धारा।
    सूरज फैलाए उजियारा।।

    हम दुश्मन को गले लगाते।
    सबमिल गीत खुशी के गाते।।
    करता हमसे जो गद्दारी।
    मिटती उसकी हस्ती सारी।।

    रण में पीठ न कभी दिखाते।
    दुश्मन के हम होश उड़ाते।।
    त्याग शील पुरुषार्थ जगाएं।
    लोकतंत्र का मान बढ़ाएं।।

    ©डॉ एन के सेठी

  • अरमान तिरंगा है – रामनाथ साहू ” ननकी

    अरमान तिरंगा है - रामनाथ साहू " ननकी

    अरमान तिरंगा है – रामनाथ साहू ” ननकी

    मेरी आन तिरंगा है ,
    हर पहचान तिरंगा है ।
    मेरा ये जीना मरना ,
    सब अरमान तिरंगा है ।।

    हर स्वर सप्तक बलिदानी ,
    नव अभियान तिरंगा है ।
    होश जोश प्रण पथ यारी ,
    जन बलिदान तिरंगा है ।।

    वीर बहादुर कंठों का ,
    मंगल गान तिरंगा है ।
    है उत्साह जवानी का ,
    अब सम्मान तिरंगा है ।।

    वेद ऋचाएँ गुण गाथा ,
    अक्षर ज्ञान तिरंगा है ।
    मातृभूमि हित पथ उन्नति ,
    शुभ मुस्कान तिरंगा है ।।

    ब्रह्म जागरण शुचि आर्या ,
    तन मन ध्यान तिरंगा है ।
    हिंद मातृभाषा हिंदी ,
    रसखान तिरंगा है ।।

    रामनाथ साहू ” ननकी “

    रामनाथ साहू ” ननकी ” मुरलीडीह ( छ. ग. )

  • राष्ट्र ध्वज वंदना – पं.शिवम् शर्मा

    राष्ट्र ध्वज वंदना - पं.शिवम् शर्मा

    राष्ट्र ध्वज वंदना – पं.शिवम् शर्मा

    हे गौरव प्रमाण राष्ट्र ध्वज
    तुम्हे साष्टांग नमन,
    तेरे ही क्षत्र छाया में
    बना चमन सारा वतन….

    हे अभिमान सूचक,
    हे कीर्ति वर्धक,
    तुम्हे कोटि कोटि अभिनन्दन…..

    करके स्पर्श तेरा ही,
    पुलकित हो उठे पवन ,
    देख कर शौर्य रूप तेरा
    गर्व से सीना फुलाले गगन….

    तेरे ही रंग से रंगे है
    ये सूर्य ये मयंक
    तुझसे लेकर हरियाली
    है हरे भरे सारे उपवन….

    तेरी आभा के आगे
    धूमिल सारे रत्न आभूषण
    तेरे ही चरण वंदन कर
    माटी भी बन जाती चंदन…

    हे गौरव प्रमाण राष्ट्र ध्वज,
    तुम्हे साष्टांग नमन…

    पं.शिवम् शर्मा