सरस्वती वंदना/डॉ0 रामबली मिश्र
सरस्वती वंदना/डॉ0 रामबली मिश्र दिव्य मधुर रस देनेवाली।कष्ट क्लेश को हरनेवाली।।चेतन सत्ता ज्ञानामृत हो।बनी लेखिका सत शुभ कृत हो।। अंतर्दृष्टि सहज देती हो।मिथ्या भ्रम को हर लेती हो।।सत्कर्मों की शिक्षा देती।प्रेम पंथ की दीक्षा देती।। क्षिति जल पावक गगन समीरा।सबमें रहती बनी सुधीरा।।परम विज्ञ ब्रह्माणी तुम हो।कला प्रवीण भव्य प्रिय तुम हो।। वरप्रदा नित कामरूप … Read more