Category हिंदी कविता

मौत पर कविता: जिंदगी का पड़ाव या कुदरत का हसीन तोहफा- डा.नीलम

मौत पर कविता मौत तू जिंदगी का पड़ाव है याहै कुदरत का हसीन तोहफा है आगोश तेरा बहुत ही शांत -शीतलजो हैं दुनियां से नाराज़ उन्हें है मिलता सुकून तुझसे है तू कहाँ कब किसी के पास जाती हैहर किसी…

लिखना पढ़ना पर कविता -अंचल

लिखना पढ़ना पर कविता पढ़ना लिखना चाहिए,जीवन में जी मस्त।शिक्षित करते हैं सभी,संकट को जी पस्त।।संकट को जी पस्त,होत हैं भारी ताकत।डरते कभी न भाय,भगे जी संकट सामत।।कह कवि अंचल मित्र,कभी मत डर को गढ़ना।मंजिल पाना सत्य,सदा सब लिखना पढ़ना।। अंचल…

मतदाता पर कुण्डिलयाँ

मतदाता पर कुण्डिलयाँ?? भाग्य विधाता भाग्य विधाता देश का, स्वयं आप श्रीमान।मिला वोट अधिकार है, करिये जी मतदान।।करिये जी मतदान, एक मत पड़ता भारी।सभी छोड़कर काम, प्रथम यह जिम्मेदारी।।कहे अमित यह आज, नाम जिनका मतदाता।मिला श्रेष्ठ सौभाग्य, आप ही भाग्य…

केवरा यदु मीरा के दोहे

केवरा यदु मीरा के दोहे (1) चंदन माथे पर चंदन लगा, कैसा ढ़ोंग रचाय ।मंदिर मठ के नाम पर, वह व्यापार चलाय ।। (2)अग्निपथ सैनिक चलते अग्निपथ, लिये तिरंगा हाथ ।पीछे फिर हटते नहीं, कटे भले ही माथ ।। (3)दीपक…

गुरु घासीदास बाबा पर हिंदी कविता

गुरू घासीदास छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले के गिरौदपुरी गांव में पिता महंगुदास जी एवं माता अमरौतिन के यहाँ अवतरित हुये थे गुरू घासीदास जी सतनाम धर्म जिसे आम बोल चाल में सतनामी समाज कहा जाता है, के प्रवर्तक थे।

हम किधर जा रहे हैं ?

हम किधर जा रहे हैं क़यास लगाए जा रहे हैं,कि हम ऊपर उठ रहे हैं,क़ायम रहेंगे ये सवालात,कि हम किधर जा रहे हैं? कल, गए ‘मंगल’ की ओर,फिर ‘चंदा-मामा’ की ओर,ढोंगी हो गए, विज्ञानी बन,कब लौटेंगे ‘मनुजता’ की ओर? ‘संस्कृति’,…

सपनो पर कविता

सपनो पर कविता सपनो में सितारे सजने दो,नदियों की धाराएँ बहने दो।शीतल हवाएँ मन की तरंगें,फूलों की खुशबू महकने दो। ऊँचे अरमानों को सजने दो,आकाश में पंछी उड़ने दो।समन्दर की ये सुहानी लहरे,जल में मछलियाँ तैरने दो। नजरों में नजारे…

हमसफ़र पर कविता

हमसफ़र पर कविता प्यार का ओ एहसास हो,हमसफ़र मेरा साथ हो।कठिन रास्ते में निकला हूँ,इस सफर में तू मेरा साथ हो। ओ महफ़िल की रागिनी हो,ओ संगीत की तू वादिनी हो।दिल में बसे हो हमसफ़र,अँधेरे में तू मेरी चाँदनी हो।…

पुराने दोस्त पर कविता

पुराने दोस्त पर कविता हम दो पुराने दोस्तअलग होने से पहलेकिए थे वादेमिलेंगे जरूर एक दिन लंबे अंतराल बादमिले भी एक दिन उसने देखा मुझेमैंने देखा उसेऔर अनदेखे ही चले गए उसने सोचा मैं बोलूंगामैंने सोचा वह बोलेगाऔर अनबोले ही चले…

रिश्ते पर कविता

रिश्ते पर कविता दर्द कागज़ पर बिखरता चला गयारिश्तों की तपिश से झुलसता चला गयाअपनों और बेगानों में उलझता चला गयादर्द कागज़ पर बिखरता चला गया कुछ अपने भी ऐसे थे जो बेगाने हो गए थेसामने फूल और पीछे खंजर…