Category विविध छंदबद्ध काव्य

पनघट मरते प्यास

पनघट मरते प्यास {सरसी छंद 16+11=27 मात्रा,चरणांत गाल, 2 1}.नीर धीर दोनोे मिलते थे,सखी-कान्ह परिहास।था समय वही,,अब कथा बने,रीत गये उल्लास।तन मन आशा चुहल वार्ता,वे सब दौर उदास।मन की प्यास शमन करते वे,पनघट मरते प्यास।। वे नारी वार्ता स्थल थे,रमणी…

मां शारदे नमन लिखा दे

मां शारदे नमन लिखा दे नमन् लिखा दे. १६,१४वीणा पाणी, ज्ञान प्रदायिनी,ब्रह्म तनया माँ शारदे।सतपथ जन प्रिय सत्साहित,हितकलम मेरी माँ तार दे। मात शारदे नमन् लिखादे,धरती, फिर नभ मानों को।जीवनदाता प्राण विधाता,मात पिता भगवानों को। मात शारदे नमन लिखा दे,सैनिक…

atal bihari bajpei

अटल बिहारी वाजपेई के लिए कविता

अटल बिहारी वाजपेई के लिए कविता हरिगीतिका छंद. (मापनी मुक्त १६,१२). अटल – सपूत श्री अटल भारत भू मनुज,हीशान सत अरमान है।जन जन हृदय सम्राट बन कवि,ध्रुव बने असमान है।नहीं भूल इनको पाएगा,देश का अभिमान है।नव जन्म भारत वतन धारण,या…

गुरु पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा पर दोहे

महर्षि वेद व्यासजी का जन्म आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को ही हुआ था, इसलिए भारत के सब लोग इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। जैसे ज्ञान सागर के रचयिता व्यास जी जैसे विद्वान् और ज्ञानी कहाँ मिलते…

सर्वधर्म सार तत्व (दोहे)

सर्वधर्म सार तत्व (दोहे) बाइबिल नीतिवचननीतिवचन से सीख लें, मोल महत्तम माप।बुद्धि स्वर्ण से उच्च है, सच पतरस की नाप।। बुद्धिबुद्धि क्षेत्र परिमाप को, दें इतना विस्तार।चाँदा घूमें नापने, जोड़ करें साकार।। यहोवाजन्म यहोवा को दिया, मरियम तारनहार।येरुशलम भूभाग पर,…

हे शारदा तुलजा भवानी (सरस्वती-वंदना)

हे शारदा तुलजा भवानी (सरस्वती-वंदना) हे शारदा तुलजा भवानी, ज्ञान कारक कीजिये।…अज्ञानता के तम हरो माँ, भान दिनकर दीजिये।… है प्रार्थना नवदीप लेकर, चल पड़े जिस राह में।सम्मान पग चूमें पथिक के, हर खुशी हो बाँह में।।उत्तुंग पथ में डाल…

विधाता छंद मय मुक्तक- फूल

विधाता छंद मय मुक्तक- फूल रखूँ किस पृष्ठ के अंदर,अमानत प्यार की सँभले।भरी है डायरी पूरी,सहे जज्बात के हमले।गुलाबी फूल सा दिल है,तुम्हारे प्यार में पागल।सहे ना फूल भी दिल भी,हकीकत हैं, नहीं जुमले।.सुखों की खोज में मैने,लिखे हैं गीत…

विधाता छंद में प्रार्थना

विधाता छंद में प्रार्थना विधाता छंद१२२२ १२२२, १२२२ १२२२. प्रार्थना.सुनो ईश्वर यही विनती,यही अरमान परमात्मा।मनुजता भाव मुझ में हों,बनूँ मानव सुजन आत्मा।.रहूँ पथ सत्य पर चलता,सदा आतम उजाले हो।करूँ इंसान की सेवा,इरादे भी निराले हो।.गरीबों को सतत ऊँचा,उठाकर मान दे…

हम तुम दोनों मिल जाएँ

हम तुम दोनों मिल जाएँ मुक्तक (१६मात्रिक) हम-तुम हम तुम मिल नव साज सजाएँ,आओ अपना देश बनाएँ।अधिकारों की होड़ छोड़ दें,कर्तव्यों की होड़ लगाएँ। हम तुम मिलें समाज सुधारें,रीत प्रीत के गीत बघारें।छोड़ कुरीति कुचालें सारी,आओ नया समाज सँवारें। हम…