Category विविध छंदबद्ध काव्य

हनुमत वंदना

हनुमत वंदना राम नाम जाप कर, चित्त निज साफ कर,पवनसुत ध्यान धर,प्रभु को पुकारिये।भेद भाव भूल कर, क्रोध अहं नाश कर,बजरंगी शरण जा, जीवन सुधारिये।।राम भक्त हनुमान, करें नित्य गुणगानमंगल को पूज कर, जीवन सँवारिये।लाल देह सर्व प्रिय,सियाराम बसें हियलडुअन…

holika-dahan

होलिका दहन पर कविता-प्रवीण त्रिपाठी

होलिका दहन पर कविता मधुमासी ऋतु परम सुहानी, बनी सकल ऋतुओं की रानी।ऊर्जित जड़-चेतन को करती, प्राण वायु तन-मन में भरती।कमल सरोवर सकल सुहाते, नव पल्लव तरुओं पर भाते।पीली सरसों ले अंगड़ाई, पीत बसन की शोभा छाई। वन-उपवन सब लगे…

साथ-साथ पर कविता- रामनाथ साहू ननकी

साथ-साथ पर कविता सम्मुख यूँ बैठो रहो ,जीवन जाये बीत ।मुक्त भाव से गा सकें ,सिर्फ प्यार के गीत ।।सिर्फ प्यार के गीत ,गढ़ें हम गीत वफा के ।मानस अंकित चित्र ,चले हम इसी अदा से ।।कह ननकी कवि तुच्छ…

शिवरात्रि पर कविता-कन्हैया लाल श्रीवास

प्रस्तुत कविता शिवरात्रि पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

कुण्डलिया शतकवीर- बाबूलाल शर्मा

कुण्डलिया शतकवीर – बाबूलाल शर्मा १. *वेणी* मिलती संगम में सरित, कहें त्रिवेणी धाम!तीन भाग कर गूँथ लें, कुंतल वेणी बाम!कुंतल वेणी बाम, सजाए नारि सयानी!नागिन सी लहराय, देख मन चले जवानी!कहे लाल कविराय, नारि इठलाती चलती!कटि पर वेणी साज,…

कवि पर दोहे

कवि पर दोहे विधी की सृष्टि से बड़ा, कवि रचना संसार।षडरस से भी है अधिक,इसका रस भंडार।।1।। विधि रचना संसार का,इक दिन होता अंत।कवि की रचना का कभी ,कभी न होता अंत।।2।। रवि नही पहुँचे जहां,कवी पहुंच ही जाय।कवि की…

सवेरा पर कविता

सवेरा पर कविता हुआ सवेरा जानकर , गुंजन करे विहंग।चले नहाने सर्वजन,कलकल करती गंग।। नित्य सवेरे जो उठे , होता वह नीरोग।सुख से वह रहता सदा,करता है सुखभोग।। नित्य सवेरे जो जपे, मन से प्रभु का नाम।मिट जाते है कष्ट…

फागुन माह पर दोहा -मदन सिंह शेखावत

फागुन माह पर दोहा -मदन सिंह शेखावत फागुन मास सुहावना, उड़ती रंग गुलाल।खेले अपनी मौज मे,कुछ भी नही मलाल।।1 फागुन आयो हे सखी, पिया बसे परदेश।कुछ भी अच्छा ना लगे,आये नही स्वदेश।।2 फागुन के हुडदंग मे, बाजे डोल मृदंग।नाचे सब…

अलि पर कविता

अलि पर कविता अलि पुष्प के पराग से,लेता है रससार।पुष्प पुष्प पर बैठता , करे सदा गुंजार।। अलि करता मधुमास में,फूलों का रसपान।कोयल मीठा गात है ,करती है गुण गान।। कली कली में बैठता,अलि करता मधुपान।मस्त मगन हो घूमता,गुन गुन…

मातृ पितृ पूजन दिवस पर कविता

मातृ पितृ पूजन दिवस पर कविता दिवस मातृ पितु ले मना, करिये सत संकल्प।ईश मान पितु मात को, छोड़ो सभी विकल्प।। घर में ही भगवान हैं, सच जीवन दातार।मात पिता को मान दें, करिये उनसे प्यार।। जन्म दिया है आपको,…