सुधारू बुधारू के गोठ -मनीभाई नवरत्न

manibhai Navratna

सुधारू बुधारू के गोठ (छत्तीसगढ़ी व्यंग्य) बुधारू ह गांव के गौंटिया के दमाद के भई के बिहाव म जाय बर फटफटी ल पोछत राहे।सुधारू ओही बखत आ धमकिस।अऊ बुधारू ल कहिस -“कइसे मितान!तोर फूफू सास के नोनी ल अमराय बर (कन्या विदाई ) जात हस का जी।”बुधारू कहिस -“लगन के तारीक ह एके ठन हे … Read more

गणेश स्तुति गणनायक देवा,बिपदा मोर हरौ-बोधन राम निषादराज

गणेश स्तुति जय गणेश गणनायक देवा,बिपदा मोर हरौ।आवँव तोर दुवारी मँय तो, झोली मोर भरौ।।1।। दीन-हीन लइका मँय देवा,आ के दुःख हरौ।मँय अज्ञानी दुनिया में हँव,मन मा ज्ञान भरौ।।2।। गिरिजा नन्दन हे गण राजा, लाड़ू हाथ धरौ।लम्बोदर अब हाथ बढ़ाओ,किरपा आज करौ।।3।। शिव शंकर के सुग्घर ललना,सबके ख्याल करौ।ज्ञानवान तँय सबले जादा,जग में ज्ञान भरौ।।4।। … Read more

पेरा ल काबर लेसत हो

पेरा ल काबर लेसत हो तरसेल होथे पाती – पाती बर, येला काबरा नइ सोचत हो!ये गाय गरुवा के चारा हरे जी , पेरा ल काबरा लेसत हो !! मनखे खाये के किसम-किसम के, गरुवा बर केठन हावे जी !पेरा भुसा कांदी चुनी झोड़ के, गरुवा अउ काय खावे जी !!धान लुआ गे धनहा खेत … Read more

मोर मया के माटी-राजेश पान्डेय वत्स

मोर मया के माटी छत्तीसगढ़ के माटीअऊ ओकर धुर्रा। तीन करोड़ मनखेसब्बौ ओकर टुरी टुरा।।  धान के बटकी कहाय,छत्तीसगढ़ महतारी। अड़बड़ भाग हमर संगीजन्में येकरेच दुआरी।।  एकर तरपांव धोवय बरआइन पैरी अरपा। महानदी गंगा जईसनखेत म भरथे करपा।।  मया के बोली सुनबे सुघ्घरछत्तीसगढ़ म जब आबे। अही म जनमबे वत्स तैं, मनखे तन जब पाबे।।  —-राजेश … Read more

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता चलो नवा सुरुज परघाना हे छत्तीसगढ़ राज्य पायेहनचलो नवा सुरुज परघाना हे !भारत माता के टिकली सहिक….छत्तीसगढ़ ल चमकाना हे !! जेन सपना ले के राज बने हेसाकार हमला करना हे!दिन -दुगनी ,रात -चौगुनीआगे -आगे बढ़ना हे !सरग असन ये भुईया ल….चक- चक ले चमकाना हे!! मिसरी असन भाखा … Read more