Category: छत्तीसगढ़ी कविता

  • गणेश स्तुति गणनायक देवा,बिपदा मोर हरौ-बोधन राम निषादराज

    गणेश स्तुति

    ganesh chaturthi
    गणेश चतुर्थी विशेषांक

    जय गणेश गणनायक देवा,बिपदा मोर हरौ।
    आवँव तोर दुवारी मँय तो, झोली मोर भरौ।।1।।

    दीन-हीन लइका मँय देवा,आ के दुःख हरौ।
    मँय अज्ञानी दुनिया में हँव,मन मा ज्ञान भरौ।।2।।

    गिरिजा नन्दन हे गण राजा, लाड़ू हाथ धरौ।
    लम्बोदर अब हाथ बढ़ाओ,किरपा आज करौ।।3।।

    शिव शंकर के सुग्घर ललना,सबके ख्याल करौ।
    ज्ञानवान तँय सबले जादा,जग में ज्ञान भरौ।।4।।

    जगमग तोर दुवारी चमके,स्वामी चरन परौं।
    एक दंत स्वामी हे प्रभु जी,तोरे बिनय करौं।।5।।
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    छंदकार:-
    बोधन राम निषादराज”विनायक”
    सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

  • पेरा ल काबर लेसत हो

    पेरा ल काबर लेसत हो

    तरसेल होथे पाती – पाती बर, येला काबरा नइ सोचत हो!
    ये गाय गरुवा के चारा हरे जी , पेरा ल काबरा लेसत हो !!

    मनखे खाये के किसम-किसम के, गरुवा बर केठन हावे जी !
    पेरा भुसा कांदी चुनी झोड़ के, गरुवा अउ काय खावे जी !!
    धान लुआ गे धनहा खेत के, तहन पेरा ल काबर  फेकत हो !
    तरसेल होथे पाती-पाती बर, येला काबर नइ सोचत हो।।

    अभी सबो दिन ठाढ़े हावे,जड़काला में नंगत खवाथे न  !
    चईत-बईसाख  खार जुच्छा रहिथे, कोठा में गरुवा अघाथे न !!
    वो दिन तहन तरवा पकड़हू, अभी पेरा ल काबर फेकत हो !
    तरसेल होथे पाती-पाती बर, येला काबर नइ सोचत  हो !!

    काय तुमला मिलत हे ,पेरा ल आगी लगाए म !
    एक मुठा राख नई मिले, खेत भर भुर्री धराये म।।

    अपने सुवारथ के नशा म, गरुवा काबर घसेटत हो !
    तरसेल होथे पाती-पाती बर, येला काबर नइ सोचत हो !!

    झन लेसव झन बारव रे संगी,लक्ष्मी के चारा पेरा ल !
    जोर के खईरखाडार में लाओ, खेत के सबो पेरा ल !!
    अनमोल हवे सबो जीव बर, येला काबर नई सरेखत हो !
    तरसेल होथे पाती-पाती बर, येला काबर नइ सोचत हो !!

    शब्दार्थ –  तरसथे = तरसना, पाती=पत्ती, पेरा = पैरा, लेसना = जलाना, बरिक दिन = बारह माह,  किसम-किसम= अनेक प्रकार के, भुर्री= ऐसी आग जो छड़ भर में बुझ जाए,  कांदी =घास, जुच्छा = खाली , तरवा = सीर, खईरखाडार = गऊठान
    सरेखना = मानना/समझना !

    दूजराम-साहू “अनन्य “
    निवास -भरदाकला 
    तहसील -खैरागढ़ 
    जिला-राजनांदगांव (छ .ग. ) 

  • मोर मया के माटी-राजेश पान्डेय वत्स

    मोर मया के माटी


    छत्तीसगढ़ के माटी
    अऊ ओकर धुर्रा।

    तीन करोड़ मनखे
    सब्बौ ओकर टुरी टुरा।। 

    धान के बटकी कहाय,
    छत्तीसगढ़ महतारी।

    अड़बड़ भाग हमर संगी
    जन्में येकरेच दुआरी।। 

    एकर तरपांव धोवय बर
    आइन पैरी अरपा।

    महानदी गंगा जईसन
    खेत म भरथे करपा।। 

    मया के बोली सुनबे सुघ्घर
    छत्तीसगढ़ म जब आबे।

    अही म जनमबे वत्स तैं, 
    मनखे तन जब पाबे।। 

    —-राजेश पान्डेय वत्स
    ०१/११/२०१९
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  • छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता

    छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता

    चलो नवा सुरुज परघाना हे

    1 नवम्बर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस 1 November Chhattisgarh State Foundation Day
    1 नवम्बर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस 1 November Chhattisgarh State Foundation Day

    छत्तीसगढ़ राज्य पायेहन
    चलो नवा सुरुज परघाना हे !
    भारत माता के टिकली सहिक….
    छत्तीसगढ़ ल चमकाना हे !!

    जेन सपना ले के राज बने हे
    साकार हमला करना हे!
    दिन -दुगनी ,रात -चौगुनी
    आगे -आगे बढ़ना हे !
    सरग असन ये भुईया ल….
    चक- चक ले चमकाना हे!!

    मिसरी असन भाखा हे
    मीठ -बोली- जबान हे ,
    दया-मया अंचरा में बांधे,
    छत्तीसगढ़ीया के पहिचान हे !
    दूध बरोबर उज्जर मन हे….
    नई जाने कपट – बहाना हे !!

    जांगर टोर कमा -कमा के
    धरती ले सोना ऊपजाथे न
    एको सुख ल नई जाने ,
    परबर महल बनाथे न !
    परे -डरे बिछड़े मनखे ल….
    उखर अधिकार दिलाना हे !!

    सबो बर रोजगार रहे
    न करजा कोनो ऊधार रहे ,
    सुन्ना कोनो न चुलहा रहे
    लांघन न कोई परिवार रहे!
    भारत माता के ये बेटी ल……
    दुल्हीन सहीक सम्हराना हे!!

    दूजराम साहू
    निवास- भरदाकला
    तहसील -खैरागढ़
    जिला -राजनांदगांव (छ. ग.)
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  • मातर तिहार पर कविता-गोकुल राम साहू

                मातर तिहार पर कविता

    चलना दीदी चलना भईया,
    मातर तिहार ला मनाबोन।
    बड़े फजर ले सुत उठ के,
    देवी देवता ला जगाबोन।।

    हुँगूर धूप अगर जलाके,
    देवी देवता ला मनाबोन।
    रिक्छिन दाई कंदइल मड़ई संग,
    मातर भाँठा मा जुरियाबोन।।

    मोहरी बाजा अउ रऊत संग,
    नाचत गावत सब जाबोन।
    मखना कोचई अउ दार चउँर,
    घरो-घर मा जोहारबोन।।

    कारी लक्ष्मी भइँस मन ला,
    मयूर पाँखी सोहइ पहिराबोन।
    मखना ढ़ुलोके अखाड़ा जमाके,
    खो-खो कबड्डी खेलाबोन।।

    भाई चारा अउ एकता के,
    सुग्घर संदेश ला बगराबोन।
    चलना दीदी चलना भईया,
    मातर तिहार ला मनाबोन।।

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                 ✍रचना कार✍
                   गोकुल राम साहू
                धुरसा-राजिम(घटारानी)
            जिला-गरियाबंद(छत्तीसगढ़)
                 मों.9009047156
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