Category: छत्तीसगढ़ी कविता

  • दूजराम साहू के छत्तीसगढ़ी कविता

    दूजराम साहू के छत्तीसगढ़ी कविता

    छत्तीसगढ़ी कविता
    छत्तीसगढ़ी कविता

    मोर गांव मे नवा बिहान

    झिटका कुरिया अब नंदावत हे,
    सब पक्की मकान बनावत हे ,
    खोर गली  सी सी अभियान आगे ,
    अब मोर गांव मे  नवा बिहान आगे।
    खाए बर अन ,तन बर कपड़ा ,
    खाए  पीये के अब नईहे लफड़ा ,
    रोजी मजूरी बर रोजगार गारेंटी अभियान आगे ,
    अब मोर  गांव मे नवा बिहान आगे ।
    कुआ बऊली डोंड़गा नरवा ,
    बोरींग नदीया बांधा तरिया ,
    सुघर साफ सुथरा करे के,
    सब ल गियान आगे ,
    अब मोर गांव मे नवा बिहान आगे!!

    दूजराम साहू                   
    जिला राजनांदगांव (छ.ग़)

    नवरात्रि

    नव दिन बर नवरात्रि आये,
    सजे माँ के दरबार हे !
    जगजननी जगदम्बा दाई के,
    महिमा अपरंपार हे !!

    एक नहीं पूरा नौ दिन ले
    दाई के सेवा करबो !
    नवधा भक्ति नौ दिन ले,
    अपन जिनगी म धरबो!
    अंधियारी जिनगी चक हो जाही,
    खुशियाँ आही अपार हे !

    ऊँच – नीच जाती – धरम के ,
    भितिया ल गिराबो!
    मया प्रीत के गारा म संगी
    घर कुरिया बनाबो !!
    गरीब गुरुवा असहाय बर,
    सबो दिन इतवार हे !

    दूजराम साहू “अनन्य “

    माता सीता

    ठाढ़े – ठाढ़े देखत रहिगे ,
    अकबकागे दरबार !
    चिरागे धरती सिया समागे ,
    छोड़के सकल संसार !!

    कईसन निष्ठुर होगे ,
    जगत पति श्री राम !
    जानके निष्पाप सीता के,
    तीसर परीक्षा ले श्री राम !!
    जनक नंदनी सिया के,
    के बार होही परीक्षा ?
    पवित्रता के परमान बर,
    का कम हे अग्नि परीक्षा?

    शूरवीर ज्ञानी – मुनि ,

    बईठे हे राजदरबार !
    ठाढ़े – ठाढ़े देखत रहिगे ,
    अकबकागे दरबार !
    चिरागे धरती सिया समागे ,
    छोड़के सकल संसार !!

    एक होती त सही जतेव,
    शूली में चढ़ जतेव !
    पबरीत कतका हों आज घलो ,
    घेंच अपन कटा देतेव !!
    पति त्यागेव,
    त्यागेव राजघराना!
    महल के सुख त्यागेव,
    बन म जीनगी बिताना !!
    लव -कुश पालेव -पोसेव,
    सही-सही दुख अपार !
    ठाढ़े – ठाढ़े देखत रहिगे ,
    अकबकागे दरबार !
    चिरागे धरती सिया समागे ,
    छोड़के सकल संसार !!

    का अयोध्या म ,
    नारी के सम्मान नइ होय?
    का अयोध्या म ,
    नारी के स्वाभिमान नइ होय ?
    अउ कतका परमान देवए,
    सीता हे कतका शुद्ध !
    जनक बेटी दशरथ बहू ,
    गंगा बरोबर शुद्ध !!
    कतका सहे अपमान सीता,
    आखरी परीक्षा आगे !
    में पबरीत हों त चिराजा धरती,
    मोला गोदी में अपन समाले !
    लगे दरबार सिया गोहरावे,
    दाई लाज ल मोर बचाले !!
    पतिव्रता सीता के बात सुनके,
    भुईया दु फाकी चिरागे !
    देखते देखत मा सीता हा,
    धरती म समागे !!
    ठाढ़े – ठाढ़े देखत रहिगे ,
    अकबकागे दरबार !
    चिरागे धरती सिया समागे ,
    छोड़के सकल संसार !

    दूजराम   साहू
    निवास- भरदाकला
    तहसील- खैरागढ़
    जिला- राजनांदगाँव (छ ग)

    मुड़ धर रोवए किसान

    देख तोर किसान के हालत,
    का होगे  भगवान !
    कि मुड़ धर रोवए किसान,
    ये का दिन मिले भगवान !!

    पर के जिनगी बड़ सवारें
    अपन नई करे फिकर जी !
    बजर  दुख उठाये तन म,
    लोहा बरोबर जिगर जी !!
    पंगपंगावत बेरा उठ जाथे ,
    तभ होथे सोनहा बिहान !
    कि मुड़ धर रोवए किसान !!

    अच्छा दिन आही कहिके ,
    हमला बड़ भरमाये जी l
    गदगद ले बोट पागे,
    अब ठेंगवा दिखाये जी l
    बिश्वास चुल्हा म बरगे ,
    भोंदू बनगे किसान ll
    कि मुड़ धर रोये किसान l

    अन कुवांरी हम उपजायेन ,
    कमा के बनगेन मरहा जी l
    पोट ल अउ पोट करदीस ,
    हमला निचट हड़हा जी ll
    नांगर छोड़ सड़क म उतरगे,
    लगावत हे बाजी जान l

    दूजराम साहू “अनन्य”
    निवास -भरदाकला (खैरागढ़)
    जिला – राजनांदगाँव( छ. ग .)

    पांच दिन बर आये देवारी

        माटी के सब दीया बारबो
             एसो के देवारी म। 
        जुरमील सब खुशी मनाबो 
             एसो के देवारी म।। 

         पांच दिन बर आये देवारी
            अपार खुशी लाये हे । 
         घट के भीतर रखो उजियारा
             सब ल पाठ पढ़ाये हे। 
         ईर्ष्या, द्वेष सब बैर भगाबो
             एसो के देवारी म।। 

        जुआ, तास, नशा ,पान
         घर बर ये नरकासुर हे ।
        बचत के सब आदत डालो
        यही जिनगी के बने गून हे। 
        भुरभूंगीया पन छोड़ो सब
           एसो के देवारी म।। 

        धन-लक्ष्मी, महा-लक्ष्मी 
          नारी ल सब मानो जी। 
       कोई दू:शासन न सारी खिचे 
        ईही ल भाई दूज जानो जी। 
       नारी सम्मान के ले प्रतिज्ञा 
             एसो के देवारी म।। 
      
        गाय दूध, गोबर सिलिहारी 
         पूजा बर कहा ले पाहू जी। 
        पर्यावरण, गाय नई बचाहू त
          जीवन भर पछताहू जी। 
         एक पेड़ सब झन पालो 
              एसो के देवारी म।। 

           संस्कृति ले सीख मिलथे 
        जीनगी  के कला सीखाथे जी। 
            मया – प्रेम -प्रीति बढ़ाथे
             बिछड़े ल मिलाते जी। 
         फेशन में घलो संस्कृति बचाबो
              एसो के देवारी म।। 

    दूजराम साहू 
    निवास -भरदाकला 
    तहसील- खैरागढ़ 

    वाह रे एस एल ए

    वाह रे एस एल ए, अब्बड़ हे तोर झमेले! 
         
    का कभू गुरु जी परीक्षा नई लेहे, 
        या लईका मन परीक्षा नई देहे! 
    फेर कईसे टीम एप में सब झन ल तै पेरे, 
        वाह रे एस एल ए, अब्बड़ हे…. 

    न पेपर हे न पेंसिल हे हाथ म ,   
        न लईका ल डर हे परीक्षा के बात म ! 
    गुरु जी हा बोर्ड में दू घंटा ल प्रश्न लिखे, 
    अऊ लईका मन खेले, वाह रे ….. 

    न तिमाही  न छमाही, न वार्षिक हे तोर  ये मुल्यांकन म, 
           PA, FA, S हे तोर ये व्यापक आकलन म, 
     पहली – दूसरी के लईका के आनलाइन पेपर लेले, 
    वह रे एस एल ए,……. 

    टीम टी के  चक्कर म , गुरु जी नेटवर्क खोजत हे, 
          ये केईसन दिन आगे ,ये का सजा भोगत हे! 
    जतका  परीक्षा लेना हे गुरु जी के ओतका तै लेले, 
    वाह रे एस एल ए, ……… 

    दूजराम साहू
    निवास भरदाकला

    झन निकलबे खोंधरा ले

    देख संगवारी सरी मंझनिया ,
    झन निकलबे खोंधरा ले !
    झांझ हे अब्बड़ बाड़ गेहे ,
    पांव जरथे भोंभरा ले !!
    गरम- गरम हवा चलत हे ,
    बिहनिया ले संझा !
    आँखी मुड़ी ल बिन बांधे ,
    कोनो डहर झन जां !!
    सुख्खा पड़गे डोंड़गा नरवा,
    सुन्ना पड़गे तरिया कुँआ !
    रूख राई ठूकठूक दिखत ,
    खोर्रा होगे अब भुईया !
    गाय गरूवा चिरई चिरगुन के,
    होगे हे बड़ करलाई !
    दूरिहा दूरिहा ले पानी नई दिखे ,
    कईसे प्यास बुझाही !!
    ताते तात झांझ के कारन
    घर ले निकलेल नई भाए ,
    पंखा कुलर के कारन
    पानी बड़ सिराय !

    दूजराम साहू

    माटी तोर मितान

    तै हावस निचट आढ़ा,
    नई हे थोरको गियान !
    जांगर टोर मेहनत करे,
    माटी तोर मितान !!

    टेंड़गा पागा टेंड़गा चोंगी,
    टेंड़गा पहिरे तैहा पागी !
    धरे नांगर धरे कुदारी,
    चकमक पखरा छेना म आगी !!
    बहरा कोती तै बोवत हवस धान….

    ऊँच-नीच भेदभाव नई जाने,
    सबो ल तै अपन माने !
    गंगा बरोबर निरमल मन,
    छल कपट थोरको ऩई जाने !!
    कभू नई बने तैह सियान …..             

    दास (दूज)
    सहायक शिक्षक (एल़. बी़.)
    भरदाकला (खैराग

  • आगे आगे तीजा तिहार आगे – मनीभाई नवरत्न

    आगे आगे तीजा तिहार आगे – मनीभाई नवरत्न

    आगे आगे तीजा तिहार आगे – मनीभाई नवरत्न

    आगे आगे तीजा तिहार आगे - मनीभाई नवरत्न

    ऐ दीदी ओ,  ऐ बहिनी ओ।
    आगे आगे तीजा तिहार आगे।।

    सावन भादों सुख के देवय्या।
    झमाझम बादर चले पुरवय्या।।
    डारा पाना ह सबो हरियागे।
    आगे आगे तीजा तिहार आगे।।

    झूलेना बने हे  सुग्घर पटनी।
    धरे रहव जी दवरा के गठनी।
    ठेठरी खुरमी अउ खारा कटनी।
    भजिया सुहाथे लहसून के चटनी।
    नोनी बाबू ऐदे खाये झपागे।
    आगे आगे तीजा तिहार आगे।।

    सवनाही गीत गाथे सहेली।
    ताली बजा के ,पुछे पहेली।
    कोधार कोधार के पूछत हे।
    उत्तर मोला नइ सुझत हे।
    धनी के सूरता म ऐदे बुधि गंवागे।
    आगे आगे तीजा तिहार आगे।।

    हाथ रचे बर मेंहदी पीसागे।
    तीजा लय बर लुगरा बिसागे।
    सुग्घर सुग्घर पोरा के बैइला
    बेचाय बर देखव जल्दी लेसागे।
    धानी चुनरिया ओढ़े भुंइया मन मोहागे।
    आगे आगे तीजा तिहार आगे।।

    मनीभाई नवरत्न बसना महासमुंद छत्तीसगढ़

  • मोर दंता ओ शिरी – तोषण चुरेन्द्र

    मोर दंता ओ शिरी – तोषण चुरेन्द्र

    छत्तीसगाढ़ी रचना
    छत्तीसगाढ़ी रचना

    मोर दंता ओ शिरी… आरती तोर उतारँव
    गंगा के पानी धरके ओ दाई तोर चरन ला पखारँव
    मोर दंता ओ शिरी…..

    दंतेवाड़ा मा बइठे ओ दाई दंताशिरी सुहाये
    बड़ सिधवा हम तोरे लइका महतारी तिही कहाये
    नरिहर बंदन फूल दसमत संग तुहिला मँयहा मनावँव
    मोर दंता ओ शिरी……

    महिमा तोरे बरनी न जाये नवदुर्गा तँय कहाये
    कभू काली कभू चंडी बनके दानव ला मार गिराये
    दरस देखादे तँय हा हो माता चरनन माथ नवावँव
    मोर दंता ओ शिरी…….

    पांच भगत मिल जस तोर गावय जय होवय ओ तोरे
    भर दे झोली खाली ओ दाई अरजी ल सुनले मोरे
    मिलके दिनकर काहत हावय तोरेच गुन ला सुनावँव
    मोर दंता ओ शिरी…….

    तोषण चुरेन्द्र “दिनकर”

  • भादों के अंजोरी म आगे तीजा तिथि –  मनीभाई नवरत्न

    भादों के अंजोरी म आगे तीजा तिथि – मनीभाई नवरत्न

    भादों के अंजोरी म आगे तीजा तिथि

    भादों के अंजोरी म आगे तीजा तिथि - मनीभाई नवरत्न

    सूत बिहनिया उठके , मय करव अस्नान ।
    पार्वती ओ मैंइया तोरे हावे मोला धियान ।
    जइसन पाये तय अपन भोला भगवान।
    वइसन पावव हरजनम, मय अपन गोसान।

    लाली चौकी फबेहे, सुग्घर भुइयां भित्ति।
    भादों के अंजोरी म, आगे तीजा तिथि।
    आसन बिराजे हे, भोलेबाबा पारबती।
    भादों के अंजोरी म, आगे तीजा तिथि।

    सोला सिंगार करव, बरत राखव निरजला।
    सवनाही गीत गावव, झूलव मय हर झूला।
    हरियर साड़ी पहिरव, हरियर बिंदिया।
    हरियर चूरी चमके, पाव म पइरी बिछुआ।

    पूजा पाठ करव, मोर सुहाग तोर सती।
    भादों के अंजोरी म, आगे तीजा तिथि।

    गंगा जल मिलावव, कन्हार माटी म।
    शिवलिंग बैठारव,  अंगना मुहाटी म।
    रिद्धि सिद्धि गणेश हे, सखी संग पार्बती।
    विधि विधान ले, मय ह करव आरती।

    तांबा कलश नरियर, थारी म दीया बाती।
    भादों के अंजोरी म, आगे तीजा तिथि।

    ~ मनीभाई नवरत्न , बसना, महासमुंद, छत्तीसगढ़

  • छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया

    ‘छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’
    ये नारा बड़ अच्छा लगथे!
    ये नारा बनइया के मन भर
    मोर पैलगी करे के मन करथे !!

    जब छत्तीसगढ़िया मन..
    गुजराती लॉज/राजस्थानी लॉज म रुकथे
    हरियाणा जलेबी,बंगाली चाय के बड़ाई करथे
    बड़ अच्छा लगथे .!!

    जब छत्तीसगढ़िया मन.
    अपन घर म कोनों काम-कारज ल धरथे
    तब बीकानेर/जलाराम ले मन भर खरीदी करथे
    बड़ अच्छा लगथे!!

    जब छत्तीसगढ़िया मन
    बाहिर वाले के कृषि फारम म काम करथे
    ‘साउथ’ वाले के ‘नर्सिंगहोम’ के चाकरी म मरथे
    बड़ अच्छा लगथे !!

    जब छत्तीसगढ़िया मन
    आने राज म आने के बड़े-बड़े बिल्डिंग बनाथे
    बँधुआ मजदूर बन के,ईंटाभट्ठा म मरत कमाथे
    बड़ अच्छा लगथे !!

    जब छत्तीसगढ़िया मन.
    ये परदेशिया नेता मन के गुलामी करथे
    इंखर जय,गुनगान करत,झंडा धर निकलथे
    बड़ अच्छा लगथे!!

    *राजकुमार ‘मसखरे’*
    भदेरा /पैलीमेटा, ( K.C.G )