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विधवा पर कविता

मैंने अपनी स्वरचित कविता "विधवाएं" कुछ समय पहले ही लिखी है ,और इसे लिखने के लिए प्रेरणा भी मुझे यथार्थ ही मिली। कि हम चाहे कितनी ही तरक्की क्यूं न कर ले मगर हमारी सोच औरतों को लेकर अब भी संकीर्ण ही है।

उपन्यास गांधी चौक ‘ जैसा मेंने समझा

हिन्दी के नवांकुर लेखक डा. आनंद कश्यप का प्रथम उपन्यास " गांधी चौक " केवल एक कहानी नहीं है. बल्कि छत्तीसगढ़ के संघर्षरत युवाओं की यथास्थिति का यथार्थ चित्रण है. चूंकि लेखक स्वयं एक प्रतियोगी हैं, तो उपन्यास में उन्होंने भावों के साथ अपनी आत्मा भी पिरो दी है.

बचपन की यादें -साधना मिश्रा

बचपन की यादें -साधना मिश्रा बाल दिवस पर कविता वो वृक्षों के झूले वो अल्हड़ अठखेलियां।वो तालाबों का पानी वो बचपन की नादानियां। वो सखाओं संग मस्ती वो हसीं वादियां।वो…