Category: दिन विशेष कविता

  • हिन्दी निबंध : कोरोना वायरस (संकलित रचना )

    प्रस्तावना :

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यह कहना की कोरोना अमेरिका पर पर्ल हार्बर और 9/11 के आतंकी हमले से बड़ा हमला है. जो इस बात की पुष्टि करता है कि दुनिया का महाशक्ति कहलाने वाला देश कोरोना के सामने कैसे अपना घुटना टेकते नजर आ रही है.

    आज दुनिया में ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं है, जो कोरोना शब्द से अपरिचित है. मानव के बाल की तुलना में 900 गुना छोटे से इस जीव ने सम्पूर्ण मानव जाति में त्राहि-त्राहि  मचा कर रख दी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस  कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर दिया है।

     सार्स-कोव २ (नोवल कोरोनावायरस)क्या है ?

    सार्स-कोव २ (नोवल कोरोनावायरस) कोरोना वायरस की प्रजाति में से एक है. यह वायरस भी जानवरों से आया है। ज्यादातर लोग जो चीन शहर के केंद्र में स्थित हुआन सीफ़ूड होलसेल मार्केट में खरीदारी के लिए आते हैं या फिर अक्सर काम करने वाले लोग जो जीवित या नव वध किए गए जानवरों को बेचते थे जो इस वायरस से संक्रमित थे। चूँकि यह वुहान, चीन से शुरु हुआ, इसलिये इसे वुहान कोरोनावायरस के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि डब्ल्यूएचओ ने इसका नाम सार्स-कोव २ (SARS- CoV 2) रखा है।

    लैटिन भाषा में “कोरोना” का अर्थ “मुकुट” होता है और इस वायरस के कणों के इर्द-गिर्द उभरे हुए कांटे जैसे ढाँचों से इलेक्ट्रान सूक्षमदर्शी में मुकुट जैसा आकार दिखता है, जिस पर इसका नाम रखा गया था। सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है तो चन्द्रमा के चारों ओर किरण निकलती प्रतीत होती है उसको भी कोरोना कहते हैं।

    कोरोना वायरस (सीओवी) का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है।

    कोरोनावायरस (Coronavirus) कई प्रकार के विषाणुओं (वायरस) का एक समूह है जो स्तनधारियों और पक्षियों में रोग उत्पन्न करता है। यह आरएनए वायरस होते हैं। इनके कारण मानवों में श्वास तंत्र संक्रमण पैदा हो सकता है जिसकी गहनता हल्की (जैसे सर्दी-जुकाम) से लेकर अति गम्भीर (जैसे, मृत्यु) तक हो सकती है।

    गाय और सूअर में इनके कारण अतिसार हो सकता है जबकि इनके कारण मुर्गियों के ऊपरी श्वास तंत्र के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। इनकी रोकथाम के लिए कोई टीका (वैक्सीन) या विषाणुरोधी (antiviral) अभी उपलब्ध नहीं है और उपचार के लिए प्राणी की अपने प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है। अभी तक रोगलक्षणों (जैसे कि निर्जलीकरण या डीहाइड्रेशन, ज्वर, आदि) का उपचार किया जाता है ताकि संक्रमण से लड़ते हुए शरीर की शक्ति बनी रहे।

    कोरोना वायरस के लक्षण :

    • डब्लूएचओ के मुताबिक बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं।
    • अब तक इस वायरस को फैलने से रोकने वाला कोई टीका नहीं बना है।
    • फिर भी १४ दिनों के बाद इसके लक्षण अधिकांश लोगों में देखने को मिल जाते हैं .
    • इसके संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
    • कोवाइड-19 / कोरोना वायरस में पहले बुख़ार होता है। इसके बाद सूखी खांसी होती है और फिर एक हफ़्ते बाद सांस लेने में परेशानी होने लगती है।

    इन लक्षणों का हमेशा मतलब यह नहीं है कि आपको कोरोना वायरस का संक्रमण है। कोरोना वायरस के गंभीर मामलों में निमोनिया, सांस लेने में बहुत ज़्यादा परेशानी, किडनी फ़ेल होना और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। बुजुर्ग या जिन लोगों को पहले से अस्थमा, मधुमेह या हार्ट की बीमारी है उनके मामले में ख़तरा गंभीर हो सकता है। ज़ुकाम और फ्लू में के वायरसों में भी इसी तरह के लक्षण पाए जाते हैं।

    • इस वायरस के कारण शरीर का तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है जिस कारण व्यक्ति का शरीर गर्म हो सकता है और उसे ठंडी महसूस हो सकती है. व्यक्ति को शरीर में कंपकंपी भी महसूस हो सकती है.
    • इसके कारण गले में खराश, सिरदर्द और डाएरिया भी हो सकता है. हाल में आए एक ताज़ा शोध के अनुसार कुछ खाने पर स्वाद महसूस न होना और किसी चीज़ की गंध का महसूस न होना भी कोरोना वायरस का लक्षण हो सकता है.
    • माना जा रहा है कोरोना वायरस के लक्षण दिखना शुरु होने में औसतन पांच दिन का वक्त लग सकता है लेकिन कुछ लोगों में ये वक्त कम भी हो सकता है.
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार वायरस के शरीर में पहुंचने और लक्षण दिखने के बीच 14 दिनों तक का समय हो सकता है.

    कोरोना का संक्रमण:

    • कोरोना एक संक्रमित रोग है जिसमें विषाणु छूने से फैल रहे हैं, इसके अतिरिक्त संक्रमित व्यक्ति के  खांसी और छींक से गिरने वाली बूंदों के ज़रिए फैलते हैं।
    • अलग अलग परिस्तिथियों में इस विषाणु का जीवनकाल अलग अलग मापी गयी है, रोगी के शौच में विषाणु कई दिनों तक जीवित रह जाते हैं, अतः हमें मक्खियों से भी खतरा है जो हमारे दैनिक जीवन से जुड़ी हुई चीजों में आकर बैठते हैं. इस हेतु हमें शौचालय के उपयोग पर ध्यान देनी चाहिए खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में ,जहाँ अभी तक लोग बाहर में शौच जा रहे हैं.
    • आये दिन खबरों से यह भी पता चला है कि जानवरों से भी कोरोना का संक्रमण होता है अतः हमें अपने पालतू जीवों से दूरी बनाकर रखना चाहिए.

    कोरोना वायरस से इलाज:

    • कोरोना वायरस का इलाज इस बात पर आधारित होता है कि मरीज़ के शरीर को सांस लेने में मदद की जाए और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए ताकि व्यक्ति का शरीर ख़ुद वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाए.
    • कोरोना वायरस का टीका बनाने का काम अभी चल रहा है.
    • अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो आपको कुछ दिनों के लिए ख़ुद को दूसरों से दूर रहने की सलाह दी जा सकती है.
    • इस समय कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है लेकिन इसमें बीमारी के लक्षण कम होने वाली दवाइयां दी जा सकती हैं।
    • जब तक आप ठीक न हो जाएं, तब तक आप दूसरों से अलग रहें।
    • कोरोना वायरस के इलाज़ के लिए वैक्सीन विकसित करने पर काम चल रहा है।
    • इस साल के अंत तक इंसानों पर इसका परीक्षण कर लिया जाएगा।
    • कुछ अस्पताल एंटीवायरल दवा का भी परीक्षण कर रहे हैं।
    • जो लोग गंभीर रूप से बीमार हैं उन्हं वेंटिलेटर पर रखा जाता है. यहां सीधे फेफड़ों तक ऑक्सीजन की अधिक सप्लाई पहुंचाई जाती है. इसके लिए मरीज़ के मुंह में ट्यूब लगाया जाता है या फिर नाक या गले में चीरा लगा कर वहां से फेफड़ों में ऑक्सीजन दिया जाता है.

    संक्रमण से बचने के उपाय:

    • स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिसमें कहा गया है कि हमें समय समय पर हाथों को साबुन से धोते रहना  चाहिए।
    • अल्‍कोहल आधारित हैंड रब , सेनीटाईज़र का इस्‍तेमाल पर जोर दिया जा रहा  है।
    • खांसते और छीकते समय नाक और मुंह, रूमाल या टिश्‍यू पेपर से ढंककर रखने को कहा जा रहा है । चुकि वायरस का हमारे शरीर में प्रवेश आँख,कान,मुंह और नाक से हो सकता है.
    • जिन व्‍यक्तियों में कोल्‍ड और फ्लू के लक्षण हों, उनसे दूरी बनाकर रखने को कहा गया है ।पर यह पता लगा पाना कि कौन संक्रमित है, अतैव सामाजिक  दूरी बनाये रखने की बात कही जा रही है.
    • वायरस के संक्रमण से बचने के लिए शरीर में प्रतिरोधकता बनाये रखे जाना बेहद जरुरी है. अतः अपने आहार में फलों और हरी सब्जियों को शामिल करना आवश्यक है, इसके विपरीत हमें फास्ट फ़ूड , जानवर से जुड़ी हुई भोज्य सामग्री का त्याग करना चाहिए.
    • महामारी के विकराल स्वरुप को देखते हुए अभी लोगों ने मास्क लगाने में बहुत जोर दिया है, और इसके लिए हमारी पुलिस लोगों को समझाने में लगी है.
    • मास्क की माँग  ने अचानक से बाज़ार में मास्क की कमी और इसके कालाबाजारी को जन्म दे दिया था. पर अभी देश में इसके उत्पादन में तेजी ला दी है तो हालत सुधर रहे हैं, वैसे भी मास्क की आवश्यकता संक्रमित लोगों को या उनके पास जानेवालों को जरुरी है.
    • वैसे मास्क लगाने से खतरे को कुछ कम की जा सकती है,पर यह पूर्ण कारगर उपाय नहीं.

    हाथों को सही से कैसे धोया जाए

    • कोरोना वायरस यानी ‘कोविड 19’ से बचने के लिए आप नियमित रूप से अपने हाथ साबुन और पानी से अच्छे से धोएं.
    • जब कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैलते हैं. इन कणों में कोरोना वायरस के विषाणु होते हैं.
    • संक्रमित व्यक्ति के नज़दीक जाने पर ये विषाणुयुक्त कण सांस के रास्ते आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं.
    • अगर आप किसी ऐसी जगह को छूते हैं, जहां ये कण गिरे हैं और फिर उसके बाद उसी हाथ से अपनी आंख, नाक या मुंह को छूते हैं तो ये कण आपके शरीर में पहुंचते हैं.
    • ऐसे में खांसते और छींकते वक्त टिश्यू का इस्तेमाल करना, बिना हाथ धोए अपने चेहरे को न छूना और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं.
    • चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार फेस मास्क इससे प्रभावी सुरक्षा प्रदान नहीं करते.

    कोरोना वायरस : सरकारी प्रयास

    • वैसे इससे लगभग कुछ  साल पहले सार्स वायरस से भी ऐसा ही खतरा बना था। पर इस बार कोरोना वायरस को लेकर लोगों में एक अलग ही बेचैनी देखने को मिली है इस बार एयरपोर्ट पर यात्रियों की स्क्रीनिंग हो या फिर लैब में लोगों की जांच, सरकार ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए कई तरह की तैयारी की है।
    • इसके अलावा किसी भी तरह की अफवाह से बचने, खुद की सुरक्षा के लिए कुछ निर्देश जारी किए हैं जिससे कि कोरोना वायरस से निपटा जा सकता है।
    • भारत में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की वेबसाइट पर कोरोना संक्रमण से जुड़ी हर जानकारी दी गई है.
    • अगर मरीज़ को सांस लेने में काफी परेशानी हो रही है तो वो भारत सरकार के हेल्पलाइन नंबर +91-11-23978046 या फिर 24 घंटों चलने वाले टोल फ्री नंबर 1075 पर संपर्क कर सकते हैं. देश के विभिन्न राज्यों ने भी नागरिकों के लिए हेल्पलाइन शुरु किए हैं जहां ज़रूरत पड़ने पर फ़ोन किया जा सकता है.
    • इसके अतिरिक्त मोबाइल में आरोग्य सेतु नाम से एप्प को इनस्टॉल करने की सुचना दी जा रही है ताकि लोगों को आवश्यक सूचनाएं दी जा सके.
    • सरकार को बहुत जगहों में इसकी सफलता मिली है और बहुत जगहों में निराशा भी हाथ लगी है, चूँकि महामारी पूर्व निर्धारित नहीं होती , इसलिए सरकार को संभलने का मौका ही नही मिल सका , खास रूप से हमारे भारत देश जैसे विकासशील और घनी आबादी वाले देश में.
    • देश के बज़ट पर भी इसका खासा प्रभाव पड़ा है, इस हेतु हमारे देश के प्रधानमंत्री को लोगों से सहयोग की अपील भी की गयी है. पूरा विश्व आर्थिक महामंदी के दौर से गुजर रहा है .
    • भारत में इसके रोकथाम के लिये सभी गैर आवश्यक कार्य रोक दिये गये हैं, और लोगों को अपने घरों में रहने के निर्देश दिये गये हैं। वर्तमान में बचाव ही इसका इलाज है। इसी को देखते हुए भारत सरकार ने पूरे देश में 3 मई तक लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी, जिसे बढ़ा कर 17 मई कर दिया गया।
    • अभी भी देश में लॉक डाउन की स्तिथि बनी हुयी है.

    कब होती है अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत?

    • जिन लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण है उनमें से अधिकतर लोग आराम करने और पैरासिटामॉल जैसी दर्द कम करने की दवा लेने से ठीक हो सकते हैं.
    • अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत तब होती है जब व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत आनी शुरू हो जाए.
    • मरीज़ के फेफड़ों की जांच कर डॉक्टर इस बात का पता लगाते हैं कि संक्रमण कितना बढ़ा है और क्या मरीज़ को ऑक्सीजन या वेंटिलेटर की ज़रूरत है. लेकिन इसमें मरीज़ को अस्पताल के आपात विभाग यानी ऐक्सीडंट ऐंड इमर्जेंसी में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं होती.

    कोरोना से किसे ज्यादा खतरा ?

    • कोई भी महामारी सभी वर्गों के लिए समान से जानलेवा होती है फिर भी कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बूढ़ों और पहले से ही सांस की बीमारी (अस्थमा) से परेशान लोगों, मधुमेह और हृदय रोग जैसी परेशानियों का सामना करने वालों के गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका अधिक होती है.
    • वायरस के संक्रमण का कुप्रभाव उन लोगों पर ज्यादा खतरनाक हो सकती है जिनकी प्रतिरोधकता कमजोर है क्योकि अभी तक इसके बचाव के लिए टीका की खोज नहीं की जा सकी है, हाँलाकि इस पर काम तेजी से चल रहे हैं. लेकिन सौ फीसदी पुष्टि के लिए कुछ महीने इंतज़ार करना ही होगा.
    • कोरोना वायरस के संक्रमण के आँकड़ों की तुलना में मरने वालों की संख्या को देखा जाए तो ये बेहद कम हैं. हालांकि इन आंकड़ों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता, लेकिन आंकड़ों की मानें तो संक्रमण होने पर मृत्यु की दर केवल एक से दो फ़ीसदी हो सकती है

    कोरोना के प्रति स्वयं की जिम्मेदारी

    • संक्रमण के लक्षण दिखने पर व्यक्ति को अपने स्थानीय स्वास्थ्य सेवा अधिकारी या कर्मचारी से संपर्क करना चाहिए. जो लोग बीते दिनों कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं उनकी जांच की जाएगी, इस हेतु सरकार की मदद करनी चाहिए ताकि दूसरों को सक्रमित होने से बचाया जा सके. यह जरुरी नहीं कि वे संक्रमित हों या चाहे उनको सामान्य फ्लू भी क्यों न हों. अस्पताल पहुंचने वाले सभी ऐसे लोगों का स्वास्थ्य सेवा अधिकारी परीक्षण करेंगे.
    • परीक्षण के नतीजे आने तक हमको इंतज़ार करने और दूसरों से खुद को दूर रखने के लिए कहा जाएगा. जिसका हमें देश के नागरिक होने के नाते हमें अपने कर्त्तव्य का पालन करना चाहिए.
    • कोरोना से जुड़ी हुई भ्रामक समाचार को फ़ैलाने से रोकना चाहिए. सामाजिक दुरी बनाना और लॉकडाउन की स्तिथि में  घर में ही रहना हमारा नैतिक जिम्मेदारी है. सामाजिक सौहार्द्र बनाकर हम इस महामारी को फ़ैलाने से रोक सकते हैं. इसके अतिरिक्त अभी हमें धार्मिक और सामाजिक अनुष्ठानों का आयोजन नहीं करना चाहिए.
    • कोरोना वारियर्स के रूप में काम कर रहे डाक्टरों , पुलिसकर्मियों , सफाईकर्मियों और भी स्वयं संगठनों के प्रति आदर और सहयोग की भावना होने चाहिए. अपने कर्मचारियों की इस संकट की बेला में जितना हो सके, मदद करनी ही होगी ताकि उनके भी परिवार का भरण पोषण हो सके.
    • व्यापारिक लेनदेन के लिए कैशलेस मुद्रा मददगार हो सकती है, अतः हमें बैंकों में उन लोगों को भीड़ नहीं रहनी चाहिए जो ऐसी सुविधाओं का उपयोग करना जानते हों.

    कोरोना प्रभाव : कहाँ और कितना ?

    • इस वायरस के संक्रमण के सबसे अधिक मामले अमरीका, स्पेन, इटली, यूके और फ्रांस में सामने आए हैं. पर इसका मतलब यह कतई नहीं है कि भारत में ऐसे मामले नहीं आ सकते बल्कि संसार की बड़ी आबादी वाले देश में इसके दुष्परिणाम और भी भयावह और दुखद हो सकते हैं.
    • पूरे विश्व में May 26, 2020, 17:05 GMT की स्तिथि में कोरोना वायरस के केस 5,638,033 जनसंख्या तक जा पहुची है जहाँ मरने वाले की संख्या 349,323 हो गयी है.
    • वही भारत में यह संख्या 150,739 से आगे निरंतर बढ़ रही है अतः एक निश्चित आंकड़ा दे पाना मुश्किल है चूँकि उपरोक्त परिणाम अंतिम नहीं है ,रोज़ दुनिया भर में कोरोना वायरस के सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं. लेकिन ये भी माना जा रहा है कि अब भी कई मामले स्वास्थ्य एजेंसियों की नज़र से बच गए होंगे. भारत जैसे देशों में इसके रोगी की संख्या और भी हो सकते हैं .

    उपसंहार :

    हमारी सृष्टि को पहले विविध प्रकारों के बमों,मिसाइलों आदि अस्त्रों से थी. पूरी दुनिया भावी युद्धों से निपटने के लिए अस्त्र बनाने की होड़ में थी. उसका ध्यान बहुत कम स्वास्थ्य से जुड़ी हुई सुविधाओं के लिए कम ही जाता था. पर इसके बाद यह उम्मीद लगायी जा सकती है कि पूरी दुनिया इस कहर के गुजर जाने के बाद पुनः नए सिरे से सोचने के लिए मजबूर होगी.

    (क्रमश: संकलन , सुधार और लेखन जारी रहेगी ……..)

    कोरोना वायरस से सम्बंधित नवीन जानकारी और लेखनीय त्रुटि सूचना हेतु नीचे कमेंट बॉक्स में अपने विचार लिख दें…… आपका मनीभाई नवरत्न , संचालक कविता बहार

  • शहीद दिवस विशेष कविता

    शहीद दिवस विशेष कविता

    March 23 Martyrs Day
    March 23 Martyrs Day

    क्या शहीद दिवस मना लेना;
    इस पर कोई कविता बना लेना;
    तस्वीर स्मारक में फूल चढ़ा देना;
    बच्चों को उनके बारे में पढ़ा देना;
    सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है?

    क्या आज जरूरत नहीं हमें,
    भगत,सुखदेव,राजगुरू बनने की;
    भारतमाँ के लिये सर्वस्व लुटाने की;
    उनके विचारों को अमल में लाने की;
    उनके सपनों के भारत बनाने की ?

    हम चाहते तो हैं देश आगे बढ़े;
    हम चाहते तो हैं दुश्मनों से लड़ें;
    हम चाहते तो हैं इतिहास  गढ़े,
    जिसे बच्चा बूढ़ा जवान फिर से पढ़े।

    पर क्या हम चाहते हैं तकलीफें उठाना;
    वतन के लिये अपना सर्वस्व लुटाना ?
    हमें अपने कामों से फुरसत कहाँ ?
    शहीदों सा देश के लिये मुहब्बत कहाँ?

    अरे मनी! छोटा-सा घर से बाहर निकल।
    और देख जरा ! एक बड़ा घर “देश”,
    जहाँ मनती है धूमधाम से दीवाली और ईद।
    जिसके खातिर फाँसी चूमें अपने वीर शहीद।

    (रचयिता:- मनी भाई )

  • 12 मई नर्स दिवस पर विशेष कविता

    12 मई नर्स दिवस पर विशेष कविता

    मौत की दहलीज में ,जब कोई हो पड़े-पड़े।
    खून से लथपथ ,अंग भंग हो के सड़े-सड़े ।
    अपने तक तरस खाते,देख दूर खड़े-खड़े ।
    तब एक महिला ,पस-दुर्गंधों से लड़े-लड़े।
    अस्पताल में महत्वपूर्ण है इसकी भूमिका ।
    “सिस्टर”कहते सब जिसे,वो है परिचारिका।


    बीमारी की पहचान में डॉक्टर करता काम।
    पर निदान प्रक्रिया में नर्स दे सफल अंजाम।
    छुपी नहीं आज जग में नर्सों की काबिलियत।
    “12 मई नर्स दिवस” मनाते जान अहमियत।
    आज के दिन जन्मीं थी नर्सिंग की जन्मदात्री ।
    जो थी साक्षात् दया व सेवा भाव की प्रतिमूर्ति ।
    “फ्लोरेंस नाइटिंगल “थी   एक ब्रिटिश महिला ।
    “क्रीमिया युद्ध” में जानी गई “लैंप वाली महिला”।


    दिन तो क्या?सेवा में रात भी जाती लैंप लेकर ।
    मरीजों की हाल जानने को, वो देवदूत बनकर।
    दुर्गंध और चीख-पुकार से कभी ना मुख मोड़ा।
    उच्चकुल की होके भी दुखियों से नाता जोड़ा ।
    पहले घटिया समझा जाता था , नर्सों का पेशा ।
    काम माना जाता अनपढ़ और चरित्रहीन जैसा ।
    “लेडी विथ द लैंप” ने बदली , इसकी परिभाषा।
    घायल पीड़ितों  में लाए , नव जीवन की आशा।
    अस्पताल में सेवा करके, जीवन को करते आबाद  ।
    “मनी भाई “ने  दिया कविता से नर्सों को धन्यवाद ।।

    मनीभाई नवरत्न

  • विश्व दूरदर्शन दिवस पर कविता

    विश्व दूरदर्शन दिवस पर कविता

    समाज का एक वर्ग
    इतराता नहीं ये कहने से,
    मूल्यों के विघटन में
    दूरदर्शन का हाथ है ।
    पर पवित्र ना हो
    दृष्टिकोण तो
    लगता है दिन भी
    घनघोर रात है ।।

    कहीं चूक है अपनी जो
    मित्र दूरदर्शन हो रहा दोषी ।
    वरना ताकाझांकी चलती सदा
    कि क्या कर रहा अपना पड़ोसी?

    ज्ञान है, विज्ञान है
    मनोरंजन की खान है दूरदर्शन ।
    निर्माण हुआ इसका ताकि
    यंत्र ना बने अपना जीवन ।
    इस बात से इनकार नहीं
    कि “अति” ने फैला दी सांस्कृतिक प्रदूषण ।
    प्रकृति से नाता तोड़ रहा
    धीरे धीरे अपना बचपन ।।

    मनीभाई नवरत्न

  • मनीभाई नवरत्न के गीत

    मनीभाई नवरत्न के गीत

    मनीभाई नवरत्न के गीत

    manibhai Navratna
    मनीभाई पटेल नवरत्न

    ओ मतवाले

    अपनी जिंदगी को मौत से मिला ले ।
    ओ मतवाले ओ दिलवाले।
    खुद को कर दे देश के हवाले ।
    ओ मतवाले ओ दिल वाले ।।

    ये मिट्टी हमारी जन्नत है ।
    ये मिट्टी हमारी दौलत है ।
    ये खुशहाल रहे, ये मालामाल रहे
    यही हमारी मन्नत है ।


    इस मिट्टी पर हम अपना शीश नवा ले ।
    ओ मतवाले ओ दिलवाले।।

    हम को आगे बढ़ना है।
    हमको नव देश गढ़ना है
    प्रीत  दिल में समाई रहे
    हिंदू मुस्लिम भाई रहे ।
    हम को ना लड़ना है ।


    सब इंसानियत का अपना धर्म निभाले।
    ओ मतवाले ओ दिलवाले…

    • मनीभाई नवरत्न

    वरिष्ठता

    वैसे तो लगता है
    सब कल की बातें हो,
    मैं अभी कहां बड़ा हुआ?
    पर जो अपने बच्चे ही,
    कांधे से कांधे मिलाने लगे।
    आभास हुआ
    अपने विश्रांति का।

    उनकी मासुमियत,
    तोतली बातें
    सियानी हो चुकी है।
    वो कब
    मेरे हाथ से
    उंगली छुड़ाकर
    आगे बढ़ चले
    पता ही नहीं चला।

    मैं उन संग
    रहना चाहता हूं,
    खिलखिलाना चाहता हूं।
    पर क्यों ?
    वो मुझे शामिल नहीं करते
    अपने मंडली में।
    जब भी भेंट होती उनसे,
    बाधक बन जाता,
    उनकी मस्ती में।
    शांति पसर जाती
    मेरे होने से
    जैसे हूं कोई भयानक।
    अहसास दिलाते वो मुझे
    मेरे वरिष्ठता का।

    मैं चाहता हूं स्वच्छंदता
    पर मेरे सिखाए गए उनको
    अनुशासन के पाठ
    छीन लिया है
    हमारे बीच की सहजता।
    मैंने स्वयं निर्मित किये हैं
    जाने-अनजाने में
    ये दूरियां।

    संभवतः ढला सकूं
    अपना सूरज।
    और विदा ले सकूं
    सारे मोहपाश तोड़ के।
    जिससे उन्हें भी मिलें,
    अपना प्रकाश फैलाने का अवसर।

    ✍मनीभाई”नवरत्न”

    क्या हम हिंदी हैं -मनीभाई ‘नवरत्न

    घर में मिले जो , सम्मान नहीं है
    राष्ट्रभाषा का अब ध्यान नहीं है

    कैसे बचेगी  हिंदी की अस्मिता ?
    क्या हम हिंदी हैं ?पूछती कविता

    यूं तो बड़ी सरल प्यारी सी है भाषा.
    राष्ट्र की एकता के लिए बनी आशा .

    विकसित देशों की होती स्वतंत्र भाषा
    पर देश ने स्वयं को गुलामी में फांसा ?
    क्या अब गीता,
    मानस में अभिमान नहीं है ?
    घर में मिले जो , सम्मान नहीं है
    राष्ट्रभाषा का अब ध्यान नहीं है

    ज्ञान है भाषा में , विज्ञान भी समाया
    दूर-दूर देशों तक , नाम भी कमाया ।
    संतों की भाषा , संस्कृति को  बचाया
    सात सूरों के , गीत संगीत भी रचाया
    अनेकों है भाषा पर ,
    हिंदी सा जुबान नहीं है।
    घर में मिले जो , सम्मान नहीं है
    राष्ट्रभाषा का अब ध्यान नहीं है

     मनीभाई ‘नवरत्न’, छत्तीसगढ़

    जाग रे कृषक ( किसानों के लिए कविता)

    जाग रे! कृषक, तू है पोषक ,नहीं तेरा मिशाल रे।
    अपनी कृषि पद्धति की हर नीति हुई बदहाल रे।

    गाय-बैल अपने सखा  जैसे।
    हम संग मिलके काम करते।
    गोबर खाद की गुण  निराली
    पोषक तत्वों की खान रहते ।
    खेत में रसायन मिलाके हमने
    किया किसान मित्र ‘केंचुआ’ का हलाल रे ।।
    जाग रे !कृषक ….

    धरती मां में सौ गुण समाए ।
    हर पौधे के बीज को उगाए ।
    पौधों भी कृतज्ञता से पत्ते को
    गिराके भूमि उपजाऊ बनाए ।
    समझ ना पाया तू प्रकृति चक्र
    किया आग से धरा को तुमने लाल रे ।।
    जाग रे! कृषक ….

    भीषण पावक से अपनी धरा
    खो देती है अपनी भू  उर्वरा।
    मर जाते हैं फिर कीट पतंगा
    खाद्य श्रृंखला चोटिल गहरा ।
    खेत सफाई की चाह में तुमने
    भू जलाके बंजर बनाके खुद से की सवाल रे।।
    जाग रे! कृषक. . . .

    चलो हिंदी को दिलाएं उसका सम्मान

    मां भारती के माथे में ,जो सजती है बिंदी।
    वो ना हिमाद्रि की श्वेत रश्मियां ,
    ना हिंद सिन्धु की लहरें ,
    ना विंध्य के सघन वन,
    ना उत्तर का मैदान।
    है वो अनायास, मुख से विवरित हिन्दी।
    जननी को समर्पित प्रथम शब्द ‘मां’ की ।
    सरल ,सहज ,सुबोध ,मिश्री घुलित हर वर्ण में ।
    सुग्राह्य, सुपाच्य हिंदी मधु घोले श्रोता कर्ण में ।
    हमारा स्वाभिमान ,भारत की शान ।
    सूर तुलसी कबीर खुसरो की जुबान।
    मिली जिससे स्वतंत्रता की महक।
    राष्ट्रभाषा का दर्जा दूर अब तलक ।
    चलो हिंदी को दिलाएं उसका सम्मान।
    मानक हिंदी सीखें , चलायें अभियान।।

     मनीभाई ‘नवरत्न’, छत्तीसगढ़

    सत्य अभी दूर है

    मैं सत्य मान बैठा प्रकाश को ,
    पर वह तो रवि से है।
    जैसे काव्य की हर पंक्तियां
    कवि से है ।

    धारा, किनारा कुछ नहीं होता ।
    नदी के बिन।
    नदी का भी कहां अस्तित्व है?
    जल के बिन।

    प्राण है तो तन है ।
    ठीक वैसे ही,
    तन है तो प्राण है ।
    भूखंड है तो विचरते जीव।
    वायु है तो उड़ते नभचर ।
    मानव है तो धर्म है ।
    वरना कैसे पनपती जातियां ,
    भाषाएं ,रीति-रिवाजें,
    खोखली परंपराएं ।

    रात है तो दिन है ।
    सुख का अहसास गम से है ।
    मूल क्या है ?
    खुलती नहीं क्यों ?
    रहस्यमयी पर्दा।
    असहाय,बेबस दे देते
    ईश्वर का रूप।
    कुछ जिद्दी ऐसे भी हैं
    जो थके नहीं ?
    तर्क- वितर्क चिंतन से।
    खोज रहे हैं राहें ,
    अंधेरी गलियों में
    सहज व सरल ।

    कुछ खोते ,कुछ पाते।
    विकास की नींव जमाते।
    फिर भी सत्य अभी दूर है ।
    जाने कब सफर खत्म हो
    और मिल जाए हमें,
    सत्य रूपी ईश्वर..
    ईश्वर रूपी सत्य…

    ✍मनीभाई”नवरत्न”

    शिक्षक से है ज्ञान प्रकाश ।
    शिक्षक  से बंधती है आस।
    शिक्षक में करुणा का वास।
    जिनके कृपा से चमके अपना ताज।
    चलो मनाएं , शिक्षक दिवस आज।

    शिक्षक दिलाते हैं पहचान ।
    शिक्षक से ही बनते  महान ।
    शिक्षक होते गुणों की खान।
    निभायेंगे हम ये सम्मान का रिवाज।
    चलो मनाएं , शिक्षक दिवस आज।

    जग में सुंदर,  गुरू से नाता।
    बिन गुरु ज्ञान कौन है पाता?
    गुरु ही होते हैं  सच्चे विधाता ।
    शीश नवाके आशीष पाऊंगा आज ।
    चलो मनाएं , शिक्षक दिवस आज।

    शिक्षक होते हैं रचनाकार ।
    ज्ञान से करते हैं चमत्कार ।
    बंजर में भी ला देते हैं बहार।
    वो जो चाहे वैसे बन जायेगी समाज।
    चलो मनाएं , शिक्षक दिवस आज।

    प्रेम तो मैं करता नहीं

    (रचनाकाल:-१४फरवरी २०१९,प्रेम दिवस)
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    यूं किसी पे ,मैं मरता नहीं।
    हां! प्रेम तो,मैं करता नहीं।

    प्रेम होता तो,
    ना होता खोने का डर।
    प्रेम के सहारे
    कट जाता मेरा सफर।
    दुख दर्दों से
    रहता  मैं कोसों दूर।
    मैं ना होता
    कभी विवश मजबूर।
    विरह मुझको,खलता नहीं।
    छुपके आहें,मैं भरता नहीं।
    हां! प्रेम तो ,मैं करता नहीं।

    सताती नहीं
    लाभ हानि की चिंता।
    सदा ही जीता
    जो कह गई है गीता।
    ना शिकवा होती
    ना ही किसी से आशा।
    पर क्या है प्रेम?
    समझा नहीं परिभाषा।
    अर्थ इसके,  टिकता नहीं।
    गर है तो,क्यूं दिखता नहीं?
    हां! प्रेम तो ,मैं करता नहीं।

    जहां प्रेम है
    वहां धर्म,जाति किसलिए?
    रंग रूप भेद
    सरहद-दीवार किसलिए?
    राग द्वेष निंदा
    प्रेम के शब्दकोश में कहां?
    और ईर्ष्या बगैर
    प्रेम का अस्तित्व भी कहां?
    प्रेम में वश मेरा चलता नहीं।
    प्रेम कर हाथ मैं मलता नहीं।
    हां! प्रेम तो ,मैं करता नहीं।।

    ✍मनीभाई”नवरत्न”

    हम भारत के वीर

    हम भारत के वीर, वीर हैं हम भारत के ,हम भारत के वीर ।
    सुंदर सुगठित शरीर ,धीर हैं अपने मन के, हम भारत के वीर ।

    इतनी बड़ी धरती में मोती सी अपनी धरती।
    धरती की खुशबू छुपी अपने प्यारे भारत में ।
    मंद मंद समीर मानसून बरसाए नीर हमारे भारत के।।
    हम भारत के वीर,वीर हैं हम भारत के ,हम भारत के वीर।

    हिमालय का ताज पहने नदियां मानो इसके गहने ।
    तीनों ओर धोते हैं पाद समंदर के क्या है कहने ?
    हरे मैदान के चिर लक्ष्मी सी तस्वीर हमारे  भारत के ।
    हम भारत के वीर,वीर हैं हम भारत के ,हम भारत के वीर।

    मनीभाई ‘नवरत्न’,छत्तीसगढ़, 

    सीखें दूसरों की गलती जानकर

    होड़ आगे बढ़ने की,
    सदा से ही दुखदाई .
    खतरा होते पग पग में,
    कहीं पत्थर ,कहीं खाई.

    अच्छा है पीछे चलो .
    देखो सामने वाले की भूल .
    जो भी देखा ,उसे जान.
    दोनों हाथों से करो कबूल.

    नहीं कहता थम जाओ
    और छोड़ दो ,आगे को बढ़ना.
    पर सहज बनो ,सरल बनो
    छोड़ दो जमे पत्थरों से हिलना.

    मिला जो सांस्कृतिक विरासत
    उसे जान अपना लेना, कम तो नहीं ?
    पाश्चात्य संस्कृति पीछे पलट देखे,
    सोचे स्वर्ग पीछे न छोड़ आए कहीं ?

    हम भाग्यशाली हैं ,
    कदम हमारे स्वर्ग के द्वार पर.
    दहलीज लांघ जाएं नहीं ,
    सीखें दूसरों की गलती जानकर.
    ( रचनाकाल: 5 अप्रैल 2020)
    ?*मनीभाई नवरत्न, छत्तीसगढ़*

     मनीभाई ‘नवरत्न’, छत्तीसगढ़

    अन्न की कीमत

    एक एक दाना बचा ले।
    जो खाया खाना पचा ले।
    क्यूँ बर्बादी करने को तुला है?
    स्वार्थी बन इंसानियत को भुला है।

    क्या हुआ कि तेरा पैसा है?
    गरीब की भूख भी तो
    हम ही जैसा है ।
    आखिर क्या मिलता ?
    जूठाकर फेंकना ।
    जरूरत से ज्यादा हमें,
    रोटी क्यूँ सेंकना ?

    मत भूल कि,
    ये किसानों की गाढ़ी कमाई है।
    जिसने पसीने से सींचकर,
    ये सोना पाई है।
    स्वाद के वशीभूत होके ,
    जिह्वा का कहा मत मान ।
    ठूंस-ठूंसकर खाके
    उदर को पाख़ाना न जान ।

    मितव्ययिता का अर्थ
    कब तुझे समझ आयेगा ?
    आधी आबादी ही जब
    भूखा मारा जायेगा ?

    तू पूजा करता
     धन को देवी बनाकर ,
    अन्न भी तो देवी स्वरूप है।
    अब तो जाग,
    मत बन भोगी
    उतना ही थाल में रख  ,
    जितना तेरा भूख है।

    लक्ष्मण-रेखा
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    जब भी देखता हूं
    उसका चेहरा
    उन्माद छा जाता मुझमें
    उसमें जो बात है
    वो उसकी छायाचित्र में भी
    रंच कम नहीं।

    उंगलियों से यात्रा करता
    उसे पाने को तस्वीर में,
    मंजिल तलाशता।
    इस राह में पर्वतश्रृंखला है
    तो गहरी खाईयां भी।
    जिसमें बार-बार चढ़ता
    बार-बार गिरता
    बिखरता
    खुद को बटोरता
    उसकी मुस्कान की
    टेढ़ी नाव लेकर
    नैनों की झील पार करता।
    माथे के सितारे से
    अंधेरी गलियों से निकलता।

    परन्तु उफ़!
    ये रक्त-सी लक्ष्मण-रेखा माँग ।
    मेरी मनोवृत्ति को
    झकझोर दिया।
    फिर मैंने गौर किया-
    ये वासना थी
    जो सदैव बहकाती
    रति के वेश में
    प्रेम तो बिल्कुल नहीं।
    ✍मनीभाई”नवरत्न”