हिन्दी कविता: अब तो पाठ पढ़ाना है

अब तो पाठ पढ़ाना है
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फिर सीमा में आ जाए तो,
गलवान को याद दिलाना है।
दुस्साहस कर न सके वह,
ऐसी सबक सिखाना है।
ए वीर जवानों सुन लो,
सबको यह बताना है।
कब तक चीनी विष घोलेंगे,
अब तो पाठ पढ़ाना है।
प्राण जाय पर वचन न जाय,
ऐसी कसम जो खाना है।
थर थर काँप उठे रूह उनका,
ऐसी सजा दिलाना है।
कलाम की परमाणु याद दिला दो,
बासठ का अब नही जमाना है।
कब तक चीनी विष घोलेंगे,
अब तो पाठ पढ़ाना है।
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रचनाकार-डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822

दोहे करते बात – बाबू लाल शर्मा

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