अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर रचना / डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी
नारी को जो शक्ति समझता।
उसको सबसे ऊपर रखता।।
इक नारी में सकल नारियां।
भले विवाहित या कुमारियां।।
प्रबल दिव्य भाव का सूचक।
सारी जगती का संपोषक।।
नारी श्रद्धा भव्य स्रोत है।
मूल्यवान गतिमान पोत है।।
नारी में प्रिय मधुर भावना।
अनुपम श्रेष्ठा सभ्य कामना।।
सदा काम्य रस शीतल छाया।
परम विराट देव सम माया।।
कोमल धर्म नर्म प्रिय रोशन।
सर्व प्रधान कमल संबोधन।।
अन्तहीन अतुलित नारी है।
सकल लोक में अति प्यारी है।।
नारी से ही सृष्टि लुभावन।
इससे धरती मधु प्रिय पावन।।
हर नारी है भाव स्वरूपा।
लक्ष्मी सुरसति भव्य अनूपा।।
नारी वंदनीय पुरुषोत्तम।
सर्वगुणीन सत्य सर्वोत्तम।
यही ब्रह्म शिव सुखद बीज है।
सत रज तम मिश्रण अजीज है।।
डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।