शहर शहर निर्भया

यह रचना हाथरस में हुई घटना पर तथा लचीली व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है!

ऊर्जा संरक्षण 

ऊर्जा संरक्षण           (1)ऊर्जा सदा बचाइये,सीमित यह भंडार।धरती का वरदान है,जग विकासआधार। जग विकास आधार ,समझ कर इसे खरचना।बढ़े नहीं यह और ,सोचकर सभी बरतना। गीता सुन यह बात,चले सब दिन कल-पुर्जा।होगा संभव तभी,रहे जब रक्षित ऊर्जा।।             (2)सूरज ऊर्जा पुंज है,इसका हो उपभोग।ऊर्जा संरक्षण करें,ले … Read more

छतीसगढ़ दाई

छतीसगढ़ दाई गमकत  हे  संगाती     चंदन समान माटी        नदिया पहाड़ घाटी                    छतीसगढ़ दाई। लहर- लहर खेती     हरियर हीरा मोती         जिहाँ बाजे रांपा-गैंती                   गावै गीत भौजाई। भोजली … Read more

युवा वर्ग आगे बढ़ें

स्वामी विवेकानंद

युवा वर्ग आगे बढ़ें छन्द – मनहरण घनाक्षरी  युवा वर्ग आगे बढ़ें, उन्नति की सीढ़ी चढ़ें,       नूतन समाज  गढ़ें,               एकता बनाइये।  नूतन विचार लिए,   कर्तव्यों का भार लिए,         श्रम अंगीकार किए,                    कदम बढ़ाइए। आँधियाँ हैं सीमा … Read more

धरती हमारी माँ

धरती हमारी माँ हमको दुलारती है                  धरती हमारी माँ।                आँचल पसारती है                धरती हमारी माँ।   बचपन मे  मिट्टी खायी                फिर  हम  बड़े हुए। जब पाँव … Read more