जय जगदम्बे माँ पर कविता

दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवीशक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया है।

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जय जगदम्बे माँ पर कविता

विंध्यवासिनी, पाप नाशनी जय जगदम्बे माँ |
हे जग जननी, सिंह वाहिनी , पार उतारो माँ |

घर-घर में दरबार सजा है, भक्त पुकारे माँ |
कौन हमारा सिवा तुम्हारे, तेरे सहारे माँ |
आकर हमको दर्शन दे दो, भाग संवारो माँ |
हे जगजननी, सिंहवाहिनी, पार उतारो माँ |

तेरे चरणों की भक्ति की कभी बुझे ना प्यास |
अपनी कृपा से जग जननी भरो नया विश्वास |
हम अज्ञानी बालक तेरे ज्ञान जगा दो माँ |
हे जग जननी, सिंह वाहिनी, पार उतारो माँ |

दुष्टों का संहार करो माँ, रखो सबकी लाज |
दीन-दुखी, निर्बल को माता शक्ति दे दो आज |
आस लगाकर बैठे हैं सब द्वार पधारो माँ |
हे जगजननी, सिंहवाहिनी, पार उतारो माँ ||

हरीश बिष्ट “शतदल”

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