भगत सिंह पर रचना – संगीता तिवारी
वर्षों पूर्व भारतवर्ष में,। जन्मा था वीर क्रांतिकारी।। साहस ऐसा गजब अनोखा,। दुश्मन पर पड़ जाता भारी।। बन क्रांतिकारी लड़ा आजीवन,। हिम्मत उसने कभी ना हारी।। सुनो आज तुमको मैं सुनाऊं,। शहिद भगत सिंह कि गाथा।। बलिदानों कि गणना है भव्य।। अनुमान नहीं लगाया जाता।। देश के महान रत्नों में नाम,। वीर भगत सिंह पुकारा जाता।। बचपन में भगतसिंह को प्यारा,। तीर कमान चलाना था।। देश भक्ति थी रग रग में समायी,। वतन को अपना माना था।। दुश्मन से भिड़ने का शौक,। उनका बहुत पुराना था।। स्वतंत्रता हेतु छिड़ी जंग जब,। व्याख्या है यह काफी प्राचीन।। शासन हुआ फिरंगी का,। संपूर्ण वतन लिया उसने छिन।। भारतीयों से कराता गुलामी जमकर,। बनाकर सभी को आधीन।। हो रहा जब यह अन्याय,। वीर यही रणभूमि में आया।। भारत मां कि लाज बचाने हेतु,। रौद्र रूप क्रांतिकारी ने बनाया।। क्रांति कि आई लहर ऐसी,। प्रत्येक फिरंगी थर थर कंपकंपाया।। देशप्रेम में देश भक्त वह,। जिद पर अपनी अड़ गया ।। वतन के शत्रुओं से होकर बेख़ौफ़,। अंतिम सांस तक लड़ता गया।। था वतन का सच्चा रक्षक, मुस्कुराकर सूली चढ़ गया।।
7. रचनाकार : – Sangeeta Tiwari