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  • भगत सिंह पर रचना – संगीता तिवारी

    भगत सिंह पर रचना – संगीता तिवारी

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    वर्षों पूर्व भारतवर्ष में,। जन्मा था वीर क्रांतिकारी।। साहस ऐसा गजब अनोखा,। दुश्मन पर पड़ जाता भारी।। बन क्रांतिकारी लड़ा आजीवन,। हिम्मत उसने कभी ना हारी।। सुनो आज तुमको मैं सुनाऊं,। शहिद भगत सिंह कि गाथा।। बलिदानों कि गणना है भव्य।। अनुमान नहीं लगाया जाता।। देश के महान रत्नों में नाम,। वीर भगत सिंह पुकारा जाता।। बचपन में भगतसिंह को प्यारा,। तीर कमान चलाना था।। देश भक्ति थी रग रग में समायी,। वतन को अपना माना था।। दुश्मन से भिड़ने का शौक,। उनका बहुत पुराना था।। स्वतंत्रता हेतु छिड़ी जंग जब,। व्याख्या है यह काफी प्राचीन।। शासन हुआ फिरंगी का,। संपूर्ण वतन लिया उसने छिन।। भारतीयों से कराता गुलामी जमकर,। बनाकर सभी को आधीन।। हो रहा जब यह अन्याय,। वीर यही रणभूमि में आया।। भारत मां कि लाज बचाने हेतु,। रौद्र रूप क्रांतिकारी ने बनाया।। क्रांति कि आई लहर ऐसी,। प्रत्येक फिरंगी थर थर कंपकंपाया।। देशप्रेम में देश भक्त वह,। जिद पर अपनी अड़ गया ।। वतन के शत्रुओं से होकर बेख़ौफ़,। अंतिम सांस तक लड़ता गया।। था वतन का सच्चा रक्षक, मुस्कुराकर सूली चढ़ गया।।

    7. रचनाकार : – Sangeeta Tiwari

  • जिंदगी पर हरिगितिका छंद

    Submit : 16 Sep 2022, 10:56 AM
    Email : [email protected]

    1. रचनाकार का नाम
      दूजराम साहू अनन्य
    2. सम्पर्क नम्बर
      8085334535
    3. रचना के शीर्षक
      जीनगी
    4. रचना के विधा
      हरिगितिका छंद
    5. रचना के विषय
      जिनगी
    6. रचना
      हरिगितिका छंद

    ये जिंदगी फोकट गवाँ झन , बिरथा नहीं जान दे ।
    आँखी अभी मा खोल तयँ हा, आघू डहर ध्यान दे ।
    तन फूलका पानी सही हे , बनय हाड़ा माँस के ।
    अनमोल जिंदगी कर लेवव, भरोसा नइ साँस के ।।

    दूजराम साहू अनन्य🙏🙏🙏

    1. रचनाकार का पता
      दूजराम साहू अनन्य,
      निवास -भरदाकला,
      पोष्ट- – बलदेवपुर
      जिला-खैरागढ़ ( छ.ग.)
  • विश्वकर्मा भगवान पर कविता -विनोद कुमार चौहान जोगी

    विश्वकर्मा भगवान पर कविता (अमृत ध्वनि छंद)

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    सुन्दर सर्जनकार हैं, भौमन है शुभ नाम।
    गढ़ना नित ही नव्य कृति, प्रभुवर पावन काम।।
    प्रभुवर पावन, काम सुहावन, गढ़ें अटारी।
    अस्त्र बनाते, शस्त्र सजाते, महिमा न्यारी।।
    हैं अभियंता, गढ़ते जंता, गढ़ें ककुंदर।
    पूज्य प्रजापति, तुम्हीं रूपपति, श्री वर सुन्दर।।

    गढ़ते इस संसार को, लेकर कर औजार।
    ईश विश्वकर्मा हमें, देना भव से तार।।
    देना भव से, तार हमें हे, तारणहारी।
    देख सृजन शुभ, मिले नयन सुख, हे त्रिपुरारी।।
    तुमसे वाहन, सब सुख साधन, जिनसे बढ़ते।
    कृपा तुम्हारी, हम आभारी, नित यश गढ़ते।।

    विनोद कुमार चौहान “जोगी”

  • अभिलाषा पर दोहे – बाबूराम सिंह

    अभिलाषा पर दोहे

    मेरा मुझमें कुछ नहीं ,सब कुछ तेरा प्यार।
    तू तेरा ही जान कर ,सब होते भव पार।।

    क्षमादया तेरी कृपा,कण-कण में चहुँ ओर।
    अर्पण है तेरा तुझे ,क्या लागत है मोर।।

    सांस-सांस में रम रहा ,तू है जीवन डोर।
    माया मय पामर पतित ,मै हूँ पापी घोर।।

    तार करूणा कर मुझे ,हे दीनों के नाथ।
    शरण तुम्हारे आ पड़ा ,सब कुछ तेरे हाथ।।

    सेवा शुचि सबका करूँ,धरूँ धर्मपर पांव।
    नेकी में नित मन बसे, तुझसे रहे लगाव।।

    दान पुण्य में सुख मिले,खिले सुमंगल ज्ञान।
    जन-जन को देता रहूँ,शान्ति सुख मुस्कान।।

    भक्ति भाव लवलीन हो,भजूँ सदा भगवान।
    नाम नाथ मुख में रहे ,जब छुटे मम प्रान।।

    वरद हस्त शर पर रखो,दो प्रभु जी वरदान।
    आप सबल सुजान सदा ,मै मतिमन्द महान।।

    शुचि आश विश्वास लिये,धरूँ चरण पर शीश।
    कृपा कोर अजोर करो ,मन मेरे जगदीश।।

    जहाँ रहूँ भूले नहीं , नाथ आपका नाम।
    आरत मम पुकार सुनी ,दुख हर मेरे राम।।

    आशा अभिलाषा यहीं ,धरूँ चरण पै माथ।
    नाथ पतित पै कृपाकरो,शिरपर रखदो हाथ।।

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    बाबूराम सिंह कवि
    बडका खुटहाँ,विजयीपुर
    गोपालगंज (बिहार)841508
    मो॰ नं॰ – 9572105032

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  • नारी के अधिकार पर कविता – बाबूराम सिंह

    नारी के अधिकार पर कविता – बाबूराम सिंह

    kavita-bahar-hindi-kavita-sangrah

    नारी है नारायणी जननी जगत जीव की ,
    सबहीं की गुरु सारी सृष्टि की श्रृंगार है ।
    जननीकी जननीभी नारीकी विशेषता है ,
    महिमा नारी की सदा अगम अपार है ।
    जननी बहिन बहु -बेटी धर्मपत्नी बन ,
    सुखद बनाती सदा घर परिवार है।
    आदर सत्कार मान”कवि बाबूराम “कर ,
    औरत के बिना सही नहीं विस्तार है ।

    करुणा की सागर व ममता की मूरत है ,
    प्यार व दुलार स्नेह श्रध्दा की सार है ।
    सेवा सिरमौर सुख -दुख संगिनी है नार ,
    निज सुख वार बच्चों की पालनहार है ।
    औरत अनुप अर्धांगिनी है जन -जन की ,
    सब कुछ में उसका आधा अधिकार है ।
    बच्चा बूढा़ जवान सब पै”कवि बाबूराम “
    नारी का सच अनगिनत उपकार है।

    चरणों में महावर चूड़ी कर माथे बिन्दी,
    मांग में सोहाग रूप सिन्दूर सवार है ।
    जिस घर देश में अपमान होत नारी का ,
    निश्चित नरक नाश वहां तैयार है ।
    सोचिए विचारिए सुधारिए स्वयं कोसभी ,
    नारी को भी जीनेका समान अधिकार है ।
    करता जो नर नारी निन्दा अनादर नित ,
    “कवि बाबूराम “वह वसुधा का भार है ।

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    बाबूराम सिंह कवि
    ग्राम -बड़का खुटहाँ ,पोस्ट -विजयीपुर
    जिला-गोपालगंज(बिहार)841508
    मो० नं० – 9572105032

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