बदलते रिश्ते
दिन-दिन होता जा रहा,रिश्तों में बदलाव।
प्यार रोज ही घट रहा ,दिखता हृदय दुराव।।
नही लिहाज न शर्म है ,पिता पुत्र के बीच।
माँ बेटी सम्बन्ध भी , निभे मुट्ठियाँ भींच।।
पती- पत्नी सम्बन्ध भी ,रहते डाँवाडोल।
आँखों में आँसू सदा , कहे कहानी बोल।।
सास-बहू सम्बन्ध तो ,दो जोड़ो की सौत।
छल कपट बस चाह रहे,इक दूजे की मौत।।
हित-मित बन्धुभाव सभी,का बदला है रूप।
रिश्तों के बदलाव से ,जीवन में भव कूप।।
रिश्तों के बदलाव ही , देता कष्ट अपार।
जिससे दुःखित हो रहा,देश गाँव परिवार।।
प्रभु प्रदत रिश्ते जगमें ,हैं अतिशय अनमोल।
रिश्तोंमध्य मिठासरखो,मधुरवचन नितबोल।
आपस में मिलकर सभी,इसपर करो विचार।
भेद मिटे सम्बन्ध के , बढ़े परस्पर प्यार।।
जन मानस निर्मल बनें , बढ़े प्रेम सद्भाव।
दुश्मन भी आदर करें ,सुखद बनें स्वभाव।।
निज सुधार जन-जन करें,धरें धर्म पर पांव।
बाबुराम कवि दे रहे ,अपने नेक सुझाव।।
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बाबूराम सिंह कवि
बडका खुटहाँ,विजयीपुर
गोपालगंज (बिहार)841508