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  • आगे हरेली तिहार – रविन्द्र दुबे बाबू

    आगे हरेली तिहार – रविन्द्र दुबे बाबू

    आगे हरेली तिहार - रविन्द्र दुबे बाबू

    आगे हरेली तिहार

    झूम झूम के सावन आगे,
    बादर करिया अमावस म
    मजा उडाबो,माटी मतियाबो,
    हरेली पहली तिहारी हे ।।

    बिहन ले गाँव के टुरा जुड़ गे ,
    नरियर फेकेन जम के,
    गेड़ी खपायेन टेंग टेंग रेंगेन,
    झूमत संग संगवारी हे ।।

    नागर फांद के चीला खवाइश,
    भूति करे बनिहारिन
    छत्तीसगढ़ म हरियाली छाए,
    खेत खार आउ बारी हे ।।

    गैती, कलारी, हसिया धोवन,
    बइला तको चमके जी
    देवता पुजेव लीम दर संग,
    आज टोनही के तैयारी हे ।।

    प्रकृति से जेहर प्रेम सिखाये,
    ऐसे मनखे छत्तीसगरीहा जी
    परंपरा ल झन भूलो सब,
    कष्ट सहे छत्तीसगढ़ महतारी हे ।।


    रविन्द्र दुबे “बाबू”
    कोरबा ,छत्तीसगढ़

  • रोटी पर कविता- विनोद सिल्ला

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    रोटी पर कविता- विनोद सिल्ला

    रोटी तू भी गजब है,
    कर दे काला चाम।
    देश छोड़ के हैं गए,
    छूटे आँगन धाम।।

    रोटी तूने कर दिए,
    घर से बेघर लोग।
    रोटी ही ईलाज है,
    रोटी ही है रोग।।

    रोटी तेरे ही लिए,
    बेलें पापड़ रोज।
    मोहताज तेरे सभी ,
    तेरी ही नित खोज।।

    रोटी सबसे है बड़ी,
    इससे बड़ा न कोय।
    रोटी बिन बेचैन सब,
    कैसे पोषण होय।।

    बड़ा धर्म रोटी बना ,
    रोटी की है चाह।
    जीवन भागम-भाग है,
    रोटी की परवाह।।

    सता रही रोटी सदा,
    कर के बारा-बाट।
    छूट गया घर-बार तक,
    विसरे सारे ठाट।।

    सिल्ला घर को छोड़ते,
    रोटी कारण गाँव।
    टोहाना ने दी मुझे,
    आश्रय रूपी छांव।।

    -विनोद सिल्ला©

  • कारगिल के शहीदों को नमन करते हुए कविता

    कारगिल के शहीदों को नमन करते हुए कविता

    शहीद, indian army
    शहीद, indian army

    वतन के हिफाजत के लिए त्याग दिये अपने प्राण।
    तुमनें आह तक नहीं किये त्यागते समय अपने प्राण।।
    सीने में गोली खा के हो गये देश के लिए शहीद।
    मुख में था मुस्कान गोली खा के भी बोले जय हिंद।।
    मेरे वतन के जांबाज सिपाहियों तुमको शत् शत् नमन।
    कारगिल जंग के वीर शहीदों को बारंबार श्रद्धा सुमन।।1।

    धन्य है जिसने तुमको आँचल में छुपा कर दुध पीलाई ओ माता।
    धन्य है जिसने तुमको हाथ पकड़ कर चलना सीखाया ओ पिता।।
    धन्य है जिसने तुमको वीरता की राखी बांधी ओ बहन।
    धन्य है जिसने तुम्हारे लिए सदा जीत की दुआ मांगती ओ पत्नी। ।
    मेरे वतन के जांबाज सिपाहियों तुमको शत् शत् नमन।
    कारगिल जंग के वीर शहीदों को बारंबार श्रद्धा सुमन।।2।।

    जब तक रहेगा सुरज-चांद,अमर रहेगा तुम्हारे नाम।
    हिंद देश के हिंदुस्तानी कर रहे हैं तुम्हें बारंबार प्रणाम।।
    माता-पिता के आंखों के तारा,भारत माता के सपूत वीर।
    अपने खून से सजाया,अपनी भारत माता की तस्वीर।।
    मेरे वतन के जांबाज सिपाहियों तुमको शत् शत् नमन।
    कारगिल जंग के वीर शहीदों को बारंबार श्रद्धा सुमन।।3।।

    वीर शहीदों भारत माँ की माटी की कण-कण करता है तुमपे नाज।
    श्रद्धा सुमन के दो फूल समर्पित करते हैं हम सब तुमको आज।।
    जिसने बहाया अपना खून ओ हैं कितने बड़ा महान।
    धन्य हुई भारत माँ की जिसके रख लिये आन बान शान।।
    मेरे वतन के जांबाज सिपाहियों तुमको शत् शत् नमन।
    कारगिल जंग के वीर शहीदों को बारंबार श्रद्धा सुमन।।4।।

    कर दिए सूना दुश्मनों ने ओ माता-पिता के आंगन को।
    मिटा दिए मांग की सिंदूर,इक पतिव्रता स्त्री की सुहागन को।।
    अलग कर दिए भाई-बहन के प्रेम के राखी बंधन से।
    कर दिए अलग वीर सपूत को भारत माता की दामन से।।
    मेरे वतन के जांबाज सिपाहियों तुमको शत् शत् नमन।
    कारगिल जंग के वीर शहीदों को बारंबार श्रद्धा सुमन।।5।।
    पुनीत सूर्यवंशी
    ग्राम-लुकाउपाली छतवन
    (वीरभूमि सोनाखान)

  • नये तराने – माधुरी मुस्कान ग़ज़ल

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    नये तराने – माधुरी मुस्कान ग़ज़ल

    करीब आओ न दूर जाओ मुझे गले से सनम लगा लो।
    न जी सकेंगे न मर सकेंगे जहाँ भी हो तुम हमे बुला लो ।।

    अभी अभी तो बहार देखी नये तराने मचल रहे हैं
    अभी उजालों ने आँख खोली चलो न खुशियों को भी मना लो ।

    मुझे नज़र से निहाल कर दो मैं ख्वाब में भी तुम्हें सवारूँ
    जिधर चलोगे मैं साथ दूँगी मेरी वफ़ा को भी तुम भुना लो ।।

    ये आशिकी बन्दगी तुम्हारी सिवाय तेरे न मैंने चाहा
    तुम्हारे कदमो में जिंदगी है मुझे मिटा तो या तुम सजा लो

    ये जो खुमारी चढ़ी हुई है इसी में सारे फ़िज़ा समाई
    मेरी मुहब्बत जवां रहेगी कि दिल में अपने मुझे समा लो ।

    रहे सलामत ये प्यार मेरा यही दुआ है हमारे दिल की
    जहाँ भी जाओ बहार झूमें ये जिंदगी का सही मज़ा लो ।

    गुमान मुदिता के तुम बने हो हरेक ज़र्रा गवाह देती
    अँधेरे घर में शमा जली है गजल तुम्हारी मुझे बना लो । ---- *माधुरी डड़सेना " मुदिता "*

  • अहिंसा दिवस पर कविता

    अहिंसा दिवस पर कविता

    अहिंसा दिवस पर कविता: अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस महात्मा गांधी के जन्मदिन पर 2 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसे भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

    mahatma gandhi

    अहिंसा दिवस पर कविता

    साबरमती के संत तुझे लाख बार प्रणाम है

    साबरमती के संत तुझे, लाख बार प्रणाम है
    अहिंसा के पुजारी तुझे,लाख बार प्रणाम है
    स्वतन्त्रा की राह हो या, सत्यता की राह हो
    हर राह में तेरे अटल, विचारों को प्रणाम है।


    शांती के ध्वजा वाहक, राष्ट्रपिता हो देश के
    स्वदेशी वस्तुओ की जिद को, कोटिश प्रणाम है।
    साबरमती के संत तुझे,लाख बार प्रणाम है।
    अहिंसा के पुजारी तुझे, लाख बार प्रणाम है।


    भारत छोडो आन्दोलन या नमक सत्याग्रह हो
    देशहित के तुम्हारे, जज्बे को प्रणाम है।
    ना देखूँगा ना बोलूंगा, ना बुरा सुनूगा कभी
    आपके इन उत्तम, विचारो को प्रणाम है।


    साबरमती के संत तुझे,लाख बार प्रणाम है।
    अहिंसा के पुजारी तुझे, लाख बार प्रणाम है।
    छुआछुत छोडकर सबको गले लगाया
    आपके विराट व्यक्तित्व को प्रणाम है।

    सारी सुख सुविधा छोडी,धोती को पोशाक बनाया
    आपकी इस सादगी को “सेठ” का प्रणाम है।
    साबरमती के संत तुझे,लाख बार प्रणाम है।
    अहिंसा के पुजारी तुझे, लाख बार प्रणाम है।

    राहुल सेठ”राही”
    राजस्थान

    गाँधी तुमने नाम कमाया

    जाने कितने कष्ट उठाकर गाँधी तुमने नाम कमाया ।
    एक छड़ी के बल पर तूने भारत को आजाद कराया ।।


    गाँधी तुम तो सदा रहे थे तन अरु मन दोनों से सच्चे ।
    आज यहाँ के मानव देखो बात बात पर लगते कच्चे ।।

    गाँधी देखो तेरी फोटो हैं लगी हुई दरबारों में ।
    है रोज हारता सत्य झूठ से खुले आम बाजारों में ।।


    गाँधी देखो तेरे वंशज ही तेरा अपमान कर रहे ।
    तेरी तस्वीरों के आगे रिश्वत का व्यापार कर रहे ।।

    गाँधी आज तुम्हारा नाम रिश्वत का पर्याय बन गया ।
    देश कहीं भी जाये अपना घर भरना उद्देश्य रह गया ।।


    नहीं सता तू बापू को सुन उनकी आत्मा धिक्कारेगी ।
    तेरे करमों के ऊपर सुन तेरी सन्तति पछतायेगी ।।

    पहले आचरण शुद्ध करें हम तभी गाँधी बन पायेंगें ।

    देश हितों का ध्यान रखोगे तब तो बापू कह लायेंगें ।।

    आदेश कुमार पंकज
    रेणुसागर सोनभद्र
    उत्तर प्रदेश
    मोब.न. 9140189159

    बापू के सपना

    1
    मेरे बापू का था सपना,स्वच्छ भारत हो अपना
    नहीं मैली रहे गंगा, नहीं गन्दा रहे यमुना
    बने सोने की फिर चिड़ियां,कदम चूमे पूरी दुनियां
    नहीं लाचार हो कोई,ना हिंसा की कोई घटना।

    2
    जमीं पे लौट कर देखो,हुआ है हश्र क्या देखो
    हुई गंगा बहुत मैली,नदी का हाल क्या देखो
    बहुत हिंसा है फैली,चले हर बात पे गोली
    बड़ा बीमार सिस्टम है,हुआ बेहाल  क्या देखो।

    3
    नमन हम आज करते हैं,तुम्हें हम याद करते हैं
    तेरे कदमों पे ही चलना,यही फरियाद करते हैं
    तेरे सपनों के भारत की,हमें आधार है रखना
    अहिंसा और सुरक्षा की,अब शुरुआत करते हैं।

    ©पंकज प्रियम
    पता:-बसखारो ,थाना-जमुआ

    बनना गांधी सा आसान नहीं

    माँ ओ माँ
    मुझको समझाओ ना
    जीवन का फलसफा
    कोई कहता जैसे को तैसा
    कोई कहता बन गांधी सा
    मेरी समझ में आता नहीं
    क्या ग़लत ? क्या सही ?
    लल्ला ओ लल्ला
    जैसे को तैसा
    मैं कहती नहीं है गलत
    पर बनना गांधी सा आसान नहीं
    निस्वार्थ जीना सबके बस की बात नही
    इतिहास रचता कोई मामुली इंसान नहीं.


    देश पर समर्पित होना
    किसी को ना आहत करना
    अंग्रेजों का जुर्म सहना
    मुँह से कुछ न कहना
    हे राम कहते आगे बढ़ना
    माँ भारती के लिए
    जहर के घुट पिए
    तनिक भी उफ्फ ना किए
    देश पर समर्पित हुए
    जैसे को तैसा करनेवाला
    आहत करता कई कई बार
    जान भी लेता बेदर्दी
    खुद को भी करता बर्बाद
    मानवता को करता तार-तार
    हो सके तो गांधी बनना
    सबको तू माफ़ करना
    अपना चरित्र  साफ़ रखना
    अहिंसा से न्याय करना
    जाती है तो जाए जान


    सोचो जो हो जाए सब गौतम गांधी
    देश में होगी सुकून शांति
    उड़ेगी प्रेम की अद्भुत  आंधी
    अपने हिस्से का फर्ज निभाना
    हो सके तो गांधी सा बनना
    कोख मेरी भी धन्य करना।

    पूनम राजेश तिवारी
    नागपुर, महाराष्ट्र