सर्द हवाएँ – सुकमोती चौहान रुचि
सर्द हवाएँ – सुकमोती चौहान रुचि सर्द हवाएँ हृदय समाये, तन मन महका जाये |आ कानों में कुछ कहती है, मधुरिम भाव जगाये | हमको तुम कल शाम मिले थे, पसरी थी खामोशी |भाव अनेकों उमड़ पड़े थे, लब पर थी मदहोशी ||शांत सुखद मौसम लगता है, मन ये शोर मचाये |सर्द हवाएँ हृदय समाये, … Read more