धर्म की कृत्रिमता पर कविता-नरेंद्र कुमार कुलमित्र

धर्म की कृत्रिमता पर कविता कृत्रिम होती जा रही है हमारी प्रकृति-03.03.22—————————————————-हिंदू और मुसलमान दोनों कोठंड में खिली गुनगुनी धूप अच्छी लगती हैचिलचिलाती धूप से उपजी लू के थपेड़ेदोनों ही सहन नहीं कर पाते हिंदू और मुसलमान दोनोंठंडी हवा के झोंकों से झूम उठते हैंतेज आंधी की रफ्तार दोनों ही सहन नहीं कर पाते हिंदू … Read more

क्या यही है “आस्था – शशि मित्तल “अमर”

आस्था धूम मची है,जय माता की… मंदिरों, पंडालों में, लगी है भीड़ भक्तों की.. क्या यही है “आस्था “? मन सशंकित है मेरा, वृद्धाश्रम में दिखती माताएँ… जो जनती हैं एक “वजूद”रचती हैं सृष्टि… थक जाती हैं तब, निकाल दी जाती हैं, एक अनंत अंधकार की ओर… कन्या भोजन, भंडारे का आयोजन!! पूजी जाती कन्याएं… … Read more

चैत्र मास संवत्सर / परमानंददास

चैत्र मास संवत्सर परिवा बरस प्रवेस भयो है आज।कुंज महल बैठे पिय प्यारी लालन पहरे नौतन साज॥१॥आपुही कुसुम हार गुहि लीने क्रीडा करत लाल मन भावत।बीरी देत दास परमानंद हरखि निरखि जस गावत॥२॥

राजाओं का राजस्थान – अकिल खान

राजाओं का राजस्थान वीरों का जमी,रजवाड़ों का है यह घर,उंचे-लंबे महल है,आकर्षित करे सरोवर।राजपूतों और भीलों का,है ये सुंदर धरती,हिन्द की संस्कृति,देखने को यह पुकारती।जन्म लिए वीर योद्धा,और वीरांगना-महान,है अदम्य अनोखा,राजाओं का राजस्थान। अरावली की सुंदरता,बखान करती है बयार,कुछ सूप्त नदियाँ,सरोवर भी है यहां अपार।थार मरुस्थल में है रेत,छोटे-बड़े बरखान,हे अदम्य अनोखा,राजाओं का राजस्थान। जोधपुर,जयपुर,जैसलमेर,बीकानेर … Read more

मनीभाई नवरत्न की १० कवितायेँ

हाय रे! मेरे गाँवों का देश -मनीभाई नवरत्न हाय रे ! मेरे गांवों का देश ।बदल गया तेरा वेश। सूख गई कुओं की मीठी जल ।प्यासी हो गई हमारी भूतल ।थम गई पनिहारों की हलचल ।क्या यही था विकास का पहल ?क्या यही है अपना प्रोग्रेस ?हाय रे! मेरे गांवों का देश । भूमि बनती … Read more