वन दुर्दशा पर हिंदी कविता
वन दुर्दशा पर हिंदी कविता अब ना वो वन हैना वन की स्निग्ध छायाजहाँ बैठकर विक्रांत मनशांत हो जाता थाजहाँ वन्य जीव करती थी अटखेलियाँजहाँ हिरनों का झुण्ड भरती थी चौकड़ियाँवन के नाम पर बचा हैमिलों दूर खड़ा अकेला पेड़कुछ पेड़ों के कटे अवशेषया झाड़ियों का झुरमुटजो अपनी दशा पर है उदासबड़ी चिंतनीय बात हैवनों … Read more