बाबूलाल बौहरा के कुण्डलियाँ छंद

बाबूलाल बौहरा के कुण्डलियाँ छंद संवेदना -कुण्डलिया छंद होती है संवेदना, कवि  पशु  पंछी  वृक्ष।मानव मानस हो रहे, स्वार्थ पक्ष विपक्ष।स्वार्थ पक्ष विपक्ष, शून्य  संवेदन  बनते।जाति धर्म के वाद,बंधु आपस में तनते।भूल रहे संस्कार,खो रहे संस्कृति मोती।हो खुशहाल समाज,जब संवेदना होती। बढ़ती  है  संवेदना, राज  धर्म संग  साथ।व्यक्ति वर्ग समाज भी,रखें मनुजता माथ।रखें मनुजता माथ, … Read more

बाबूलाल शर्मा बौहरा के नवगीत

बाबूलाल शर्मा बौहरा के नवगीत कहानी मोड़ मन मानस कहानी मोड़ मन मानसउदासी छोड़नी होगी।पिपासा पीर विश्वासीनिराशा भूल मन योगी।। गरीबी की नहीं गिनतीदुखों का जब पहाड़ा होनही बेघर नदी समझोकिनारा तल अखाड़ा ।वृथा भटको नहीं बादलविरह पथ दर्द संयोगी।,। उजाले भूल मन चातकअँधेरे सिंधु से ले लोबहे सावन दृगों से हीअकालों का यजन झेलोबहे … Read more

अविनाश तिवारी की रचना

अविनाश तिवारी की रचना मां मंदिर की आरती मां मंदिर की आरती,मस्जिद की अजान है।मां वेदों की मूल ऋचाएं, बाइबिल और कुरान है। मां है मरियम मेरी जैसी,मां में दिखे खुदाई है।मां में नूर ईश्वर कारब ही मां में समाई है।मां आंगन की तुलसी जैसीसुन्दर इक पुरवाई है।मां त्याग की मूरत जैसीमां ही पन्ना धाई … Read more

महान क्रिकेटर कपिल देव पर कविता

महान क्रिकेटर कपिल देव पर कविता क्रिकेट के असली हीरो”कपिल देव” क्रिकेट के इतिहास में ,जिसने किया कुछ ऐसा काम।विश्वकप हासिल करके,रौशन किया देश का नाम। क्रिकेट का जुनून नहीं उस वक्त,आपने क्रिकेट के खेल को सजाया।विश्वकप का खिताब जमाकर,आपने देश का मान बढ़ाया। हर भारतीय को गर्व है आप पर,भारत माँ के लाल,विश्व क्रिकेट … Read more

शीत ऋतु (ठण्ड) पर कविता

यहाँ पर शीत ऋतु (ठण्ड) पर कविता दिए गये हैं आपको कौन सी अच्छी लगी , नीचे कमेंट बॉक्स पर जरुर लिखें शीत ऋतु का आगमन घिरा कोहरा घनघोरगिरी शबनमी ओस की बूंदेबदन में होने लगीअविरत ठिठुरन ओझल हुई आंखों सेलालिमा सूर्य कीदुपहरी तक भी दुर्लभहो रही प्रथम किरण इठलाती बलखातीबर्फ के फाहे बरसातीशीत ऋतु … Read more