तीज पर कविता – चौपाई छंद

तीज पर कविता – चौपाई छंद _बाबूलालशर्मा,विज्ञ_ वर्षा ऋतु सावन सुखदाई।रिमझिम मेघ संग पुरवाई।।मेह अमा हरियाली लाए।तीज पर्व झूले हरषाए।। झूले पटली तरुवर डाली।नेह डोर सखियाँ दे ताली।।लगे मेंहदी मने सिँजारा।घेवर संग लहरिया प्यारा।। झूला झूले नारि कुमारी।गाए गीत नाचती सारी।।करे ठिठोली संग सहेली।हँसे हँसाए तिय अलबेली।। झूले पुरुष संग सब बच्चे।पींग बढ़ाते लगते सच्चे।।धीर … Read more

रोटी पर 5 बेहतरीन कविताएं -चौपाई छंद

13 जून 2022 को साहित रा सिंणगार साहित्य ग्रुप के संरक्षक बाबूलाल शर्मा ‘विज्ञ’ और संचालक व समीक्षक गोपाल सौम्य सरल द्वारा ” रोटी” विषय पर चौपाई छंद कविता आमंत्रित किया गया जिसमें से रोटी पर 5 बेहतरीन कविताएं चयनित किया गया। जो कि इस प्रकार हैं- कविता 1 भूख लगे तब रोटी खाना।तभी लगे … Read more

चौपाई आधारित छंद कौन कौन से है

चौपाई आधारित छंद :16 मात्रा के चौपाई छंद में कुछ मात्राएँ घटा-बढ़ाकर अनेक छंद बनते है l ऐसे चौपाई आधारित छंदों का चौपाई छंद से आतंरिक सम्बन्ध यहाँ पर दिया जा रहा है l इससे इन छंदों को समझने और स्मरण रखने में बहुत सुविधा रहेगी l *चौपाई – 1 = 15 मात्रा का चौपई … Read more

तिरंगा (चौपाई छंद)

तिरंगा (चौपाई छंद) आजादी का पर्व मनालो।खूब तिरंगा ध्वज पहरालो।।संगत रक्षा बंधन आया।भ्रात बहिन जन मन हर्षाया।।१ राखी बाँधो देश हितैषी।संविधान संसद सम्पोषी।।राखी बाँध तिरंगा रक्षण।राष्ट्र भावना बने विलक्षण।।२ जन जन का अरमान तिरंगा।चाहे बहिन भ्रात हो चंगा।।रक्षा सूत्र तिरंगा चाहत।धरा बहिन न होवे आहत।।३ राखी बंधन खूब कलाई।मान तिरंगे को निज भाई।।भारत का सम्मान … Read more

शबरी के बेर(चौपाई छंद)

शबरी के बेर(चौपाई छंद) त्रेता युग की कहूँ कहानी।बात पुरानी नहीं अजानी।।शबरी थी इक भील कुमारी।शुद्ध हृदय मति शील अचारी।।१ बड़ी भई तब पितु की सोचा।ब्याह बरात रीति अति पोचा।।मारहिं जीव जन्तु बलि देंही।सबरी जिन प्रति प्रीत सनेही।।२ गई भाग वह कोमल अंगी।वन ऋषि तपे जहाँ मातंगी।।ऋषि मातंगी ज्ञानी सागर।शबरी रहि ऋषि आयषु पाकर।।३ मिले … Read more