Tag: kevra yadu meera ki kavita

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०केवरा यदु मीरा के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • शिव स्तुति – केंवरा यदु मीरा

    प्रस्तुत कविता शिव स्तुति भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

    शिव स्तुति – केंवरा यदु मीरा


    चौपाई छंद


    जय जय जय भोले त्रिपुरारी ।
    तुमहो भक्तों के दुख हारी।।
    माथे चंदा सिर पर गंगा ।
    गल पे सोहे हार भुजंगा।।

    सँग में सोहे गौरी माता ।
    तुमहो सबके भाग्य धाता।।
    कहलाते भोले भंडारी ।
    तुमहो प्रभु त्रिपदा भय हारी।।

    भूत प्रेत के तुम हो स्वामी।
    जगत नियंता अंतर्यामी ।।
    करते हो तुम बैल सवारी।
    तीन नेत्र की महिमा भारी।।

    डमरू धर तुम हो कैलाशी।
    निरंकार हो तुम अविनाशी।।
    महादेव कालों के काला।
    मीरा के प्रभु तुम रखवाला ।।

    केवरा यदु “मीरा “
    राजिम

  • मैं हूँ मीरा बावरी – केवरा यदु “मीरा “

    मैं हूँ मीरा बावरी
    माघ कृष्ण पक्ष षटतिला एकादशी

    मैं हूँ मीरा बावरी – केवरा यदु “मीरा “

    तिथी अष्टमी भाद्रपद, जन्मे कृष्ण मुरार ।
    प्रगटे आधी रात को ,सोये पहरेदार ।।

    बेड़ी टूटी हाथ की, खुलते बंधन पाँव ।
    प्रभु की लीला देखिये, सुन्दर गोकुल गाँव ।।

    रूप चतुर्भुज देख कर, मातु हुई हैरान।
    बाल रूप दिखलाइये,हे प्रभु कृपानिधान।।

    बाल रूप में प्रकट हो, होय लगे किलकार।
    मगन हुई माँ देवकी, बालक रूप निहार ।।

    उँगली पकड़े पाँव के, मुख में दे हरि ड़ाल।
    मुदित देवकी मातु है, देख लाल का हाल।।

    जी भर मातु निहारती, कहाँ छुपाऊँ लाल।
    मामा तेरा कंस ही, आयेगा बन काल।।

    सूप रखे वसुदेव जी,गै गोकुल के बाट।
    यमुना मैंया राह में, बढती रही सपाट।।

    खेल रचाया श्याम ने, पग को दिया बढ़ाय।
    यमुना माता श्री चरण, मस्तक रही लगाय।।

    यमुना कहती श्याम जी, पग धर दो अब माथ।
    कब से बाट निहारती, होऊँ आज सनाथ।।

    सिर पर मोहन को लिये, पहुँचे यशुदा द्वार।
    गहरी निंदिया सो रही, आये हरि को ड़ार।।

    चंदन का है पालना,रेशम लागे ड़ोर ।
    झूला झूले लालना ,नटवर नंद किशोर ।।

    जनम देवकी गर्भ से, यशुमति गोद खिलाय।
    छलिया वो मन मोहना, नित नव खेल दिखाय।।

    श्याम नाम निश दिन जपूँ, मूरत नैन समाय।
    हुई बावरी श्याम की,और न कछु सुहाय।।

    मैं हूँ मीरा बावरी, चरण छुवन की आस।
    जीवन धन वो साँवरा, वही आस विस्वास ।।

    केवरा यदु “मीरा “
    राजिम

  • राम नाम जपले रे मनवा गीत /केवरा यदु “मीरा “

    राम नाम जपले रे मनवा गीत /केवरा यदु “मीरा “

    राम/श्रीराम/श्रीरामचन्द्ररामायण के अनुसार,रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मणभरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे। हनुमान उनके परम भक्त है। लंका के राजा रावण का वध उन्होंने ही किया था। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता तक का त्याग किया।

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    राम नाम जपले रे मनवा गीत

    राम नाम जपले रे मनवा,निश दिन सांझ सबेरे।
    पल में सारे कट जायेंगे,जीवन के दुख तेरे।

    राम नाम जपती थी शबरी,मन में आस लगाये।
    फूल बिछाती रही राह में,राम प्रभू जी आये।
    उसके सिवा न कोई समझो, मानव जग में तेरे ।
    पल में सारे कट जायेंगे, जीवन के दुख तेरे।।

    द्रुपत सुता जब सभा बीच में,बेबस आन पड़ी थी।
    टेर लगाई आजा मोहन,कैसी विपद धड़ी थी।
    गिरधर नंगे पाँव पधारे,बनकर साड़ी घेरे।
    पल में सारे कट जायेंगे, जीवन के दुख तेरे।।

    निर्मल मन हो तो मनमोहन, साग विदुर घर खाते।
    दुर्योधन के मेवा त्यागे,माखन भले चुराते।
    सच्चे मन से टेर लगाले,करते दूर अँघेरे।।
    पल में सारे कट जायेंगे,जीवन के दुख तेरे।।

    केवरा यदु “मीरा “

  • सिद्धिविनायक गणेश वंदना

    गणेश
    गणपति

    सिद्धिविनायक गणेश वंदना

    सिद्धिविनायक देव हो,तुझे मनाऊँ आज।
    माँ गौरी शंकर सुवन,हो पूरण मम काज।।

    प्रथम पुज्य गणराज जी, बुद्धि विधाता नाथ।
    कष्ट हरो गणनायका,चरण  झुकाऊँ माथ।।

    मातु पिता करि परिक्रमा,सजते देव प्रधान।
    बुद्धि विनायक हैं कहे,कृपा करो भगवान ।।

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    गणेशजी

    मोदक प्रिय गौरी तनय,एक दंत अखिलेश।
    हाथ जोड़ विनती करूँ, करो दया करुनेश।।

    रिद्धि सिद्धि को साथ ले, आओ श्री गणराज।
    धूप दीप ले पूजती,हो मंगल मय साज।।

    स्वीकारो प्रभु वंदना, हे अंबे माँ लाल।।
    काटो जग से गणपतय, कोरोना का जाल।।

    केवरा यदु “मीरा “
    राजिम

  • नमन है मेरे गुरुवर -केवरा यदु मीरा

    डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

    “शिक्षक दिवस मनाने का यही उद्देश्य है कि कृतज्ञ राष्ट्र अपने शिक्षक राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन के प्रति अपनी असीम श्रद्धा अर्पित कर सके और इसी के साथ अपने समर्थ शिक्षक कुल के प्रति समाज अपना स्नेहिल सम्मान और छात्र कुल अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सके।

    गुरु शिष्य

    नमन है मेरे गुरुवर -केवरा यदु मीरा

    शिक्षक ईश समान है, कर गुरु का सम्मान।
    अक्षर अक्षर जोड़ कर,बाँटे जो नित ज्ञान।
    बाटे जो नित ज्ञान,शिष्य को योग्य  बनाते।
    ज्ञान ज्योति ले हाथ,सदा सत राह दिखाते।
    मात पिता  भगवान,बने बच्चों का रक्षक।
    नमन  करें सौ बार,ब्रम्ह का रुप है शिक्षक ।।

    गुरुवर तुमको है नमन, चरणों में शत बार।
    झोली भरदो ज्ञान से, मैं मति मंद गँवार।
    मैं मति मंद गँवार,चरण में हमको लेना।
    उर में भर दो ज्ञान,उज्जवल राहें देना ।
    हो मेरे भगवान, मात पितु हो तुम दिनकर।
    शत शत बार प्रणाम, चरण में मेरे गुरुवर।।

    गुरुवर ब्रम्हा  रूप है,गुरु ही विष्णु महेश।
    भवसागर से तारते, हरे शिष्य के क्लेश।
    हरे शिष्य के क्लेश,गुरूवर है सुख दाता।
    दिखलाते सद् राह,बनकर भाग्य विधाता।
    दया धर्म उपकार,सिखाते हैं वो प्रभुवर।
    शीश धरूँ नित पाँव, नमन है मेरे गुरुवर।।

    केवरा यदु “मीरा “
    राजिम