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चांदनी रात / क्रान्ति

चांदनी रात / क्रान्ति द्वारा रचित चांदनी रात / क्रान्ति चांदनी रात मेंपिया की याद सताएमिलने की चाहदिल में दर्द जगाए।। हवा की तेज लहरजिगर में घोले जहरकैसे बताऊं मैं तुम्हेंसोई नहीं मैं रातभर।। दिल के झरोखे मेंदस्तक देती हवाएंदेखकर…

मोम की गुड़िया-बेटियां

मोम की गुड़िया-बेटियां मोम की गुड़िया सी कोमल होती है बेटियांमाता पिता के दुलार में पलती है बेटियांअनजान घर की बहू बनती तब भी बेटी का ही रूप होती है बेटियांखुदा की सौगात ,जमा पूंजी का ब्याज सी होती है…

गणपति अराधना- कवयित्री क्रान्ति

गणपति अराधना विघ्नहारी मंगलकारीगणपति लीला अनेक-2 सज रहे हैं मंडप प्रभुबज रहे हैं देखो तालझूम रहे हैं भक्त तुम्हारेप्रभु कर उनका उद्धारविघ्नहारी…………….गणपति…………..2 हर घर में तेरी छवि प्रभुतू ही सबका तारण हारदुखियों की झोली भर देप्रभु कर इतना उपकारविघ्नहारी……………..गणपति……………..2 जल…

आजाद देश की दशा पर कविता

आजाद देश की दशा पर कविता भाई भाई में देखो कितनी लड़ाई हैहर चौराहे पर बैठा देखो कसाई हैपर्दे में आज भी रहती है बहू बेटियांकहते हैं लोग हमारा देश आजाद है। बेटियों के घर पर बेटा घर जमाई हैंन…

नारी की व्यथा पर कविता

महिला (स्त्री, औरत या नारी) मानव के मादा स्वरूप को कहते हैं, जो स्त्रीलिंग है। महिला शब्द मुख्यत: वयस्क स्त्रियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। किन्तु कई संदर्भो में यह शब्द संपूर्ण स्त्री वर्ग को दर्शाने के लिए भी प्रयोग मे लाया जाता है, जैसे:…

बेटी की पुकार

      बेटी की पुकार पिता का मैं ख्याल रखूंगीतेरे कहे अनुसार मैं चलूंगीरूखी सूखी ही मैं खा लूंगीमत मार मुझे सुन मेरी मांमुझे धरा पर आने तो दे।।बोझ मैं तुमपर नहीं बनूंगीपढ़ लिख कर बड़ा बनूंगीतेरा मैं नाम…

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सेदोका कैसे लिखें (How to write SEDOKA)

सेदोका कैसे लिखें (How to write SEDOKA) सेदोका रचना विधानसेदोका 05/07/07 – 05/07/07 वर्णक्रम की षट्पदी – छः चरणीय एक प्राचीन जापानी काव्य विधा है । इसमें कुल 38 वर्ण होते हैं , व्यतिक्रम स्वीकार नहीं है । इस काव्य…

शपथ उठाती हूं मैं भारत की बेटी

शपथ उठाती हूं मैं भारत की बेटी शपथ उठाती हूं मैं भारत की बेटीमैं कभी भी  सर नहीं झुकाऊंगीलाख कर लो तुम भ्रूण की हत्याफिर भी जन्म मै लेती ही जाऊंगी। कब तक तुम मुझको मारते रहोगेकभी तो तुम्हें मुझपे…

बेटा-बेटी में भेद क्यों पर कविता

बेटा-बेटी में भेद क्यों पर कविता सागर होते हैं बेटे, तो गंगा होती है बेटियांचांद होते हैं बेटे, तो चांदनी होती हैं बेटियांजग में दोनों ही अनमोल फिर भेद कैसा।।कमल होते बेटे,तो गुलाब होती हैं बेटियांपर्वत होते बेटे, तो चट्टान…

आओ मिलकर पेड़ लगाएं

आओ मिलकर पेड़ लगाएं सूनी धरा को फिर खिलाएंधरती मां के आंचल को हमरंगीन फूलों से सजाएंआओ मिलकर पेड़ लगाएं।। न रहे रिश्तों में कभी दूरियांचाहे हो गम चाहे मजबूरियांमिलकर घर सब सजाएंआओ मिलकर पेड़ लगाएं।। वन की सब रखवाली…