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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ० मधु सिंघी के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

हम कहाँ गुम हो गये

हम कहाँ गुम हो गये हम कहाँ गुम हो गयेमोह पाश में हम बंधे,नयनों मे ऐसे खो गये।रही नहीं हमको खबर,हम कहाँ गुम हो गये।।इंद्र धनुष था आँखों में,रंगीन सपनों में खो गये।प्रेम की मूक भाषा में,हम कहाँ गुम हो…

बोल रहे पाषाण

बोल रहे पाषाण बोल रहे पाषाण अबव्यक्ति खड़ा मौन है,छोड़ा खुद को तराशनापत्थरों पर ही जोर है।कभी घर की दीवारेंकभी आँगन-गलियारे,रखना खुद को सजाकररंग -रौगन का दौर है।घर के महंगे शो पीसबुलाते चारों ओर हैं  ,मनुज को समय नहींअब चुप्पी…

दीपक की ख्वाहिश

दीपक की ख्वाहिश दीपक की ख्वाहिशमिट्टी से बना हूँ मैं तो,मिट्टी में मिल जाऊँगा।जब तक हूँ अस्तित्व में,रौशनी कर जाऊँगा ।।तमस छाया हर तरफ,सात्विकता  बढ़ाऊंगा।विवेक को जगाकर मैं,रौशनी कर जाऊँगा ।।धैर्य की बाती लगाकर,विनय से तेल बनाऊंगा।सतत ज्ञान बढ़ाकर मैं,रौशनी…

दीपक पर कविता

नव्य आशा के दीप जले – मधु सिंघी नव्य आशा के दीप जले,उत्साह रूपी सुमन खिले।कौतुहल नवनीत जगाकर,नया साल लो फिर आया। मन के भेद मिटा करके,नयी उम्मीद जगा करके।संग नवीन पैगाम लेकर ,नया साल लो फिर आया। सबसे प्रीत…

रेंगा प्रतियोगिता : सुख व दुःख जीवन के दो रूप

रेंगा प्रतियोगिता दिनांक : 13 मई 2017 सुख व दुःखजीवन के दो रूपछाँह व धूप □ प्रदीप कुमार दाश दीपकदोनों रहते साथकर्मों के अनुरूप □ मधु सिंघीसच्चे हों कर्मसब तो तेरे हाथफिर क्यों चुप □ मनीलाल पटेलप्रकृति के नियमदुःख के…

कोरोना को नहीं बुलाओ

कोरोना को नहीं बुलाओ पटाखों का मोह छोड़कर दीवाली में दीप जलाओ।प्रदूषण फिर से फैलाकर कोरोना को नहीं बुलाओ।। हरसाल दिवाली आयेगी हम सबको यह हर्षायेगी।खुशियों पर पैबंद लगाकर कोरोना को नहीं बुलाओ।। बच्चे, बुजुर्ग और जवान हमारे घर की…

प्रकृति पर कविता

प्रकृति पर कविता सप्त सुरीला संगीत है , प्रकृति का हर तत्व । सजा देता यह जीवन राग, भर देता है महत्त्व। एक एक सुर का अपना ,अलग ही अंदाज है । समझना तो पड़ेगा हमें ,अब तो इसका महत्व…

यह समय है सोच का-मधुसिंघी

यह समय है सोच का भाग रहा मानव से मानव , डर समाया मौत का।कोरोना वायरस ले आया , एक साया खौफ का।।मनु पड़ गया उलझन में , कैसे बचूँ इस विपदा से।भीड़ में हुआ अकेला , विश्वास नहीं है…