हम कहाँ गुम हो गये

हम कहाँ गुम हो गये हम कहाँ गुम हो गयेमोह पाश में हम बंधे,नयनों मे ऐसे खो गये।रही नहीं हमको खबर,हम कहाँ गुम हो गये।।इंद्र धनुष था आँखों में,रंगीन सपनों में खो गये।प्रेम की मूक भाषा में,हम कहाँ गुम हो गये।।कशिश उनमें थी ऐसी,बेबस हम तो हो  गये।कुछ रहा ना भान हमें,हम कहाँ गुम हो … Read more

बोल रहे पाषाण

बोल रहे पाषाण बोल रहे पाषाण अबव्यक्ति खड़ा मौन है,छोड़ा खुद को तराशनापत्थरों पर ही जोर है।कभी घर की दीवारेंकभी आँगन-गलियारे,रखना खुद को सजाकररंग -रौगन का दौर है।घर के महंगे शो पीसबुलाते चारों ओर हैं  ,मनुज को समय नहींअब चुप्पी का दौर है।दिखावे की है दुनियाकलाकारी सब ओर है,असली चेहरा छुपा लेनाअब मुखौटों का दौर … Read more

दीपक की ख्वाहिश

दीपक की ख्वाहिश दीपक की ख्वाहिशमिट्टी से बना हूँ मैं तो,मिट्टी में मिल जाऊँगा।जब तक हूँ अस्तित्व में,रौशनी कर जाऊँगा ।।तमस छाया हर तरफ,सात्विकता  बढ़ाऊंगा।विवेक को जगाकर मैं,रौशनी कर जाऊँगा ।।धैर्य की बाती लगाकर,विनय से तेल बनाऊंगा।सतत ज्ञान बढ़ाकर मैं,रौशनी कर जाऊँगा ।।उत्साह मेरे है अंदर,सभी में भर जाऊँगा।ख्वाहिश एक ही बस,रौशनी कर जाऊँगा ।।मधु … Read more

दीपक पर कविता

नव्य आशा के दीप जले – मधु सिंघी नव्य आशा के दीप जले,उत्साह रूपी सुमन खिले।कौतुहल नवनीत जगाकर,नया साल लो फिर आया। मन के भेद मिटा करके,नयी उम्मीद जगा करके।संग नवीन पैगाम लेकर ,नया साल लो फिर आया। सबसे प्रीत जगा करके,सबको मीत बना करके।संग में सद्भावनाएँ लेकर ,नया साल लो फिर आया। मुट्ठी में … Read more