Tag manibhai navratna ki kavita in hindi

मनीभाई नवरत्न

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ० मनीभाई नवरत्न के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

मनीलाल पटेल की लघु कविता

मनीलाल पटेल की लघु कविता किसके बादल? स्वप्न घरौंदे तोड़के उमड़ता, घुमड़ता ।। बिना रथ के नभ में ये घन किसे लड़ता? नगाड़े ,आतिशबाजी नभ गर्जन है शोर । सरपट ही जा रहा किसके हाथों में डोर? भीग रहे, कच्ची…

मनीभाई नवरत्न की रोमांचित गीत

मनीभाई नवरत्न की रोमांचित गीत प्यार मेरा तेरे लिए… प्यार मेरा तेरे लिए, तेरे लिए मेरा प्यार ।सबसे जुदा हसीन सबसे जुदा ।तुझ पर जानिसार ।तुझ पर जानिसार . मेरे यार मेरे यार. कदमों में तेरी पलके बिछा दूं।तू जो…

happy new Year

नववर्ष पर हिंदी कविता

इस वर्ष नववर्ष पर कविता बहार द्वारा निम्न हिंदी कविता संकलित की गयी हैं आपको कौन सा अच्छा लगा कमेंट कर जरुर बताएं नववर्ष पर हिंदी कविता : महदीप जँघेल निशिदिन सुख शांति की उषा हो,न शत्रुता, न ही हो…

manibhai Navratna

मनीलाल पटेल उर्फ़ मनीभाई नवरत्न की 50 कवितायेँ (खंड १)

यहाँ पर मनीलाल पटेल उर्फ़ मनीभाई नवरत्न की 50 कवितायेँ एक साथ दिए जा रहे हैं आपको कौन सी कविता अच्छी लगी हो ,कमेंट कर जरुर बताएँगे. कविता 1 क्यों टोकाटाँकी करते हैं ? बच्चे अपने मन से जब जब  …

manibhai Navratna

मनीलाल पटेल उर्फ़ मनीभाई नवरत्न की 10 कवितायेँ (खंड २)

यहाँ पर मनीलाल पटेल उर्फ़ मनीभाई नवरत्न की 10 कवितायेँ एक साथ दिए जा रहे हैं आपको कौन सी कविता अच्छी लगी हो ,कमेंट कर जरुर बताएँगे. हिंदी कविता 1 आगे बढ़ो आगे बढ़ो , आगे बढ़ो ,पीछे ना हटो…

मनीभाई नवरत्न के हिंदी में चोंका

यहाँ पर हम आपको मनीभाई नवरत्न के हिंदी में चोंका प्रस्तुत कर रहे हैं यदि आपको पसंद आई हो या कोई सुझाव हो तो नीचे कमेंट जरुर करें हिंदी में चोंका इसे भी पढ़ें :- चोका कैसे लिखें(How to write…

खुद को है -मनीभाई ‘नवरत्न’

यहाँ पर मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित खुद को है आप पढ़ेंगे आशा आपको यह पसंद आएगी खुद पर कविता -मनीभाई ‘नवरत्न’ खुद को है जिन्दगी के हरेक  दंगल में …लड़ना खुद को है।   भिड़ना खुद को है।  टुटना खुद को…

मशाल की मंजिल – मनीभाई नवरत्न

मशाल की मंजिल – मनीभाई नवरत्न मशाल की मंजिल :-रचनाकार:- मनीभाई नवरत्नरचनाकाल :- 16 नवम्बर 2020 ज्ञानसतत विकासशीललगनशील,है जिद्दी वैज्ञानिक Iवह पीढ़ी दर पीढ़ीबढ़ा रहा अपना आकार Iवह कल्पना करतासिद्धांत बनाता स्वयंमेवउसकी प्रयोगशाला ये दुनिया।हम क्या ?बोतल में भरी रसायनया…

अब नहीं सजाऊंगा मेला

अब नहीं सजाऊंगा मेला अक्सर खुद कोसाबित करने के लिएहोना पड़ता है सामने . मुलजिम की भांति दलील पर दलील देनी पड़ती है . फिर भी सामने खड़ा व्यक्तिवही सुनता है ,जो वह सुनना चाहता है .हम उसके अभेद कानों…