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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०नरेन्द्र कुमार कुलमित्रके हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

भूख पर कविता

भूख पर कविताएं कविता 1. भूख केवल रोटी और भात नहीं खातीवह नदियों पहाड़ों खदानों और आदमियों को भी खा जाती हैभौतिक संसाधनों से परेसारे रिश्तों और सारी नैतिकताओं को भी बड़ी आसानी से पचा लेती है भूख। भूख की…

लोकन बुढ़िया-नरेंद्र कुमार कुलमित्र

लोकन बुढ़िया स्कूल कैंपस के ठीक सामनेबरगद के नीचेनीचट मैली सूती साड़ी पहनीमुर्रा ज्वार जोंधरी के लाड़ूऔर मौसमी फल इमली बिही बेर बेचतीवह लोकन बुढ़ियाआज भी याद है मुझे उस अकेली बुढ़िया कोस्कूल के हम सब बच्चे जानते थेमगर आश्चर्य…

मातृ दिवस पर हिंदी कविता (Martee Divas Par Kavita )

मातृ दिवस पर हिंदी कविता (Martee Divas Par Kavita) : मातृपितृ पूजा दिवस भारत देश त्योहारों का देश है भारत में गणेश उत्सव, होली, दिवाली, दशहरा, जन्माष्टमी, नवदुर्गा त्योहार मनाये जाते हैं। कुछ वर्षों पूर्व मातृ पितृ पूजा दिवस प्रकाश में आया। आज…

अनजान लोग – नरेंद्र कुमार कुलमित्र

अनजान लोग कितने अच्छे होते हैं अनजान लोगउनको हमसे कोई अपेक्षा नहीं होतीहमें भी उनसे कोई अपेक्षा नहीं होती हम गलत करते हैंकि अनजानों से हमेशा डरे डरे रहते हैंहर बार अनजान लोग गलत नहीं होतेफिर भी प्रायः अनजानो से…

मौत की आदत – नरेंद्र कुमार कुलमित्र

मौत की आदत – नरेंद्र कुमार कुलमित्र सुबह-सुबह पड़ोस के एक नौजवान की मौत की खबर सुनाएक बार फिरअपनों की तमाम मौतें ताजा हो गई अपनी आंखों से जितनी मौतें देखी है मैंनेनिष्ठुर मौत पल भर में आती है चली…

धर्म की कृत्रिमता पर कविता-नरेंद्र कुमार कुलमित्र

धर्म की कृत्रिमता पर कविता कृत्रिम होती जा रही है हमारी प्रकृति-03.03.22—————————————————-हिंदू और मुसलमान दोनों कोठंड में खिली गुनगुनी धूप अच्छी लगती हैचिलचिलाती धूप से उपजी लू के थपेड़ेदोनों ही सहन नहीं कर पाते हिंदू और मुसलमान दोनोंठंडी हवा के…

मुफ्त की चीज पर कविता

मुफ्त की चीज पर कविता मुफ्त की चीजों से..19.03.22———————————————हमारी आदत सी हो गई हैकि हमें सब कुछ मुफ्त में चाहिएभिखारियों की तरह हम मांगते ही रहते हैंराशन पानी बिजली कपड़ा मकान रोजगार मोबाइल और मुफ्त का वाईफाई कनेक्शन मुफ्त की…

फिर से लौट आएगी खूबसूरत दुनियां

फिर से लौट आएगी खूबसूरत दुनियां पिछले कुछ दिनों सेमैंने नहीं देखा है रोशनी वाला सूरजताज़गी वाली हवाखुला आसमानखिले हुए फूलहँसते-खिलखिलाते लोग एक-एक दिनदेह में होने का ख़ैर मनाती आ रही हैदेह के किसी कोने मेंडरी-सहमी एक आत्मा किसी भी…

कविता की पौष्टिकता –

विश्व कविता दिवस प्रतिवर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999 में की थी जिसका उद्देश्य को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान…