
महात्मा गांधी पर कविता – ज्योति अग्रवाला
प्रस्तुत कविता महात्मा गांधी :स्वतंत्रता और स्वच्छता के जन नायक को आधार में रखकर लिखी गई है
महात्मा गांधीजी पर हिंदी कविता
मोहनदास करमचन्द गांधी जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से भी जाना जाता है, भारत एवं भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। विकिपीडिया
प्रस्तुत कविता महात्मा गांधी :स्वतंत्रता और स्वच्छता के जन नायक को आधार में रखकर लिखी गई है
बापू जी को नमन -अकिल खान जन्म लिए एक महान संत स्थान था पोरबंदर,नाम था महात्मा गांधी अहिंसा के थे समंदर।दुःखी अश्वेतों को अफ्रीका में दिलाई आजादी,महात्मा गांधीजी थे कर्तव्यपरायण-सत्यवादी,अहिंसा से करते थे अन्यायीयों का दमन,सत्य-अहिंसा के पुजारी,बापू जी को…
गाँधी की जरूरत -पद्मा साहू “पर्वणी” पदमा साहू “पर्वणी” के दोहेखैरागढ़ जिला राजनांदगांव छत्तीसगढ़ गाँधी की जरूरत -पद्मा साहू “पर्वणी” “पुनः जरूरत देश को, गाँधी तेरी आज।”* सत्य अहिंसा सादगी, ब्रम्हचर्य विश्वास।आत्म शुद्धि व्यवहार है, गाँधी जीवन खास।। गाँधी के…
महात्मा गांधी जी पर कविता निडरता थी शान उनकी, निडरता थी पहचान ।ब्रम्हचर्य का जीवन जीयो ,करना है सम्मान ।। सत्य बोलना ,चोरी न करना, यही है उनका मान। एकता ही है नाम उनका, एकता ही है पहचान ।। अहिंसा…
“बापू” ( राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर कविता ) सत्य अहिंसा के तुम ही पहरेदार हो बापू,आजादी दिलाने वाले बड़े सरदार हो बापू। हर बच्चा तुम्हें दिन रात याद करता है,हर इंसा तुम्हारा ही गुणगान करता है।सच्ची श्रद्धा से ही मिलती…
बापूजी पर दोहे -बाबू लाल शर्मा भारत ने थी ली पहन, गुलामियत जंजीर।थी अंग्रेज़ी क्रूरता, मरे वतन के वीर।। काले पानी की सजा, फाँसी हाँसी खेल।गोली गाली साथ ही , भर देते थे जेल।। याद करे जब देश वह, जलियाँवाला…
हिन्दी दोहा मुक्तक : अहिंसा विषय देख देश की दुर्दशा,गाँधी छेड़े युद्ध ।सत्य अहिंसा मार्ग से, बनकर योगी बुद्ध।आंदोलन की राह में, सत्य बना आधार।मार खदेड़े शत्रु को, होकर भारी क्रुद्ध।। छोड़ें हिंसा राह को, चलें अहिंसा राह ।खून खराबा…
2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर समर्पित कविता। यह कविता अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस का उत्सव गान भी करती है।
महात्मा गाँधी पर दोहे ★★★★★★★★★★★★★★★★सत्य धरम की राह पर,चलकर हुए महान।भारत आज स्वतंत्र है,पा जिनका अवदान।। परम अहिंसा धर्म का,बनकर नित ही भक्त।राग द्वेष छल दंभ का ,बने नही आशक्त।। जीवन में पहने सदा , खादी का परिधान।मान स्वदेशी को…
गांधी जी के सपनों पर कविता गांधीजी के सपनों का है ये भारत,उन्नत होकर विकसित होता ये भारत।ग्रामीण परिवेश में जागरूकता बढ़ाया,स्वदेशी अपनाकर अभियान चलाया।। आर्थिक सामाजिक न्याय बताकर,गाँव के विकास को समझाया।व्यापकता की दृष्टि फैलाकर,जाति,धर्म,भाषा के भेदभाव को मिटाया।।…