आम जन की हालात पर कविता – विनोद सिल्ला
खप-खप मरता आमजन खप-खप मरता आमजन, मौज उड़ाते सेठ।शीतकाल में ठिठुरता, बहे पसीना जेठ।। खून-पसीना बह रहा, कर्मठ करता कार।परजीवी का ही चला, लाखों का व्यापार।। कमा-कमा कर रह गया, मजदूरों का हाथ।पूंजी ने फिर भी किया, सेठों का ही साथ।। अंधी चक्की पीसती, कुत्ता चाटे चून।कर्मठ तेरी कार से, सेठ कमाते दून।। नहर सड़क … Read more