दहेज दानव
दहेज सामाजिक बुराई पर आधारित कविता
दहेज सामाजिक बुराई पर आधारित कविता
मुझे समझा रही थी वो बहुत मासूम लहजे में, बड़े नाज़ुक तरीके सेमेरे गालों पे रखके हाथ समझाया था उसने येसुनो इक बात मानोगे,अगर मुझसे है तुमको प्यार,तो इक एहसान कर देनाजो मुश्किल है,मेरी ख़ातिर उसे आसान कर देना…अब इसके बाद दोबारा मुझे न याद आना तुमअगर ये हो सके तो जान मुझको भूल जाना … Read more
सुशान्त सिंह राजपूत की आत्महत्या पर केन्द्रित लेख
नारी पर दोहे ★★★★नारी की यशगान हो ,नारी की ही रूप ।नारी के सहयोग से,मिलते लक्ष्य अनुप।। नारी बिन कब पूर्ण है?एक सुखी परिवार।नारी जो सुरभित रहे, सुखी रहे संसार।। जग में जो करता नहीं , नारी का सम्मान।कहलाये वह क्यो मनुज ,वह है पशु समान।।★★★★★★★★★★★★★रचनाकार – डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”