आक्रोश पर निबंध – मनीभाई नवरत्न

“कभी रोष है ,तो कभी जोश है।

मन में उफनता , वो ‘आक्रोश’ है।

मदहोश यह, तो कहीं निर्दोष है।

परदुख से उत्पन्न ‘आक्रोश’ है।”

मेघ पर दोहे – डॉ एन के सेठी

यह दोहा एनके सेठी द्वारा बादल को आधार मान कर लिखी गई हैं

कारगिल की वीर गाथा–डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”

कारगिल की वीर गाथा--डिजेन्द्र कुर्रे "कोहिनूर"

कारगिल विजय दिवस के पावन अवसर पर

हिन्दी कविता: वक्ता पर कविता– नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

वक्ता पर कविता- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र हे मेरे प्यारे वक्तावाक कला में प्रवीणबड़बोला महाराजबातूनी सरदारकृपा करके हमें भी बताओकि तुम इतना धारा प्रवाहकैसे बोल लेते हो..?बिना देखे,बिना रुकेघंटों बोलने की कलाआख़िर तुमने कैसे सीखी है..?दर्शकों कोगुदगुदाने वाली कविताएँजोश भरने वाली शायरियांऔर नैतिक उपदेश वालेसंस्कृत के इतने सारे श्लोकतुमने भला कैसे याद किए हैं..?मुझे नहीं लगताकि … Read more