सपना हुआ न अपना
सपना हुआ न अपना बचपन में जो सपने देखे, हो न सके वो पूरे,मन को समझाया, देखा कि, सबके रहे अधूरे!उडूं गगन में पंछी बनकर, चहकूं वन कानन में,गीत सुरीले गा गा कर, आनन्द मनाऊं मन में!मां ने कहा, सुनो, बेटा, तुम, चाहो अगर पनपनानहीं, व्यर्थ के सपने देखो, सपना हुआ न अपना सुना पिताजी … Read more