सपना हुआ न अपना

सपना हुआ न अपना बचपन में जो सपने देखे, हो न सके वो पूरे,मन को समझाया, देखा कि, सबके रहे अधूरे!उडूं गगन में पंछी बनकर, चहकूं वन कानन में,गीत सुरीले गा गा   कर, आनन्द मनाऊं मन में!मां ने कहा, सुनो, बेटा, तुम, चाहो अगर पनपनानहीं, व्यर्थ के सपने देखो, सपना हुआ न अपना सुना पिताजी … Read more

प्रेम में पागल हो गया

प्रेम में पागल हो गया रूप देख मन हुआ प्रभावित,हृदय घायल हो गया।सुंदरी क्या कहूं मैं,तेरे प्रेम में पागल हो गया। भूल गया स्वयं को,नयनों में बसी छवि तेरी।हृदयाकांक्षा एक रह गई,बाहों में तू हो मेरी। नर शरीर मैंने त्याग दिया,जीवन की आशा है तू ही तू।तेरे प्रेम की कविता,तेरे प्रेम की ग़ज़ल लिखूं। कवि … Read more

मेरा मन लगा रामराज पाने को /मनीभाई नवरत्न

Jai Sri Ram kavitabahar

राम/श्रीराम/श्रीरामचन्द्र, रामायण के अनुसार,रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे। हनुमान उनके परम भक्त है। लंका के राजा रावण का वध उन्होंने ही किया था। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता तक का त्याग किया। मेरा मन लगा रामराज पाने को / मनीभाई नवरत्न मेरा मन लागा रामराज पाने को । मेरा … Read more

मैं उड़ता पतंग मुझे खींचे कोई डोर

मैं उड़ता पतंग मुझे खींचे कोई डोर मैं उड़ता पतंग ….मुझे खींचे कोई डोर।तेरी ही ओर।।मेरा टूट न जाए धागा।भागा ….भागा…भागा ….मैं खुद से भागा।जागा.. जागा….जागा.. कभी सोया कभी जागा ।कुछ ख्वाहिशें हैं ,कुछ बंदिशें हैं।पग-पग में देखो साजिशें है ।जिसने जो चाहा है कब वो पाया है ।पल पल में तो मुश्किलें है ।यह … Read more

सिमटी हुई कली/मनीभाई नवरत्न

beti

सिमटी हुई कली/मनीभाई नवरत्न सिमटी हुई कली ,मेरे आंगन में खिली।शाम मेरी ढली,तब वह मोती सी मिली।रोशनी छुपाए जुगनू सासारी सारी रात मेरे घर में जली । चंचलता ऐसी जैसे कोई पंछीओढ़े हुए आसमां की चिर मखमली।खुशबू फैल जाए जहां वह मुस्कुराएकदम पड़े उसकी गली गली। सिमटी हुई कली , मेरे आंगन में खिली।