संस्कार नही मिलता दुकानों में-परमानंद निषाद “प्रिय”

संस्कार नही मिलता दुकानों में – परमानंद निषाद “प्रिय” माता-पिता से मिले उपहार।हिंद देश का है यह संस्कार।बुजुर्गो का दर्द समझते नहींनहीं जानते संस्कृति- संस्कार। संस्कार दिये नहीं जाते है।समाज के भ्रष्टाचारों से।संस्कार हमको मिलता है।माता-पिता,घर-परिवार से। बुजुर्गो का सम्मान धर्म हमारा।उनकी सेवा करना कर्म हमारा।संस्कार नही मिलता दुकानों मेंयह मिलता अच्छे संस्कारों में। बुजुर्गो … Read more

अंकुर-रामनाथ साहू ” ननकी “

अंकुर अंकुर आया बीज में , लेता नव आकार ।एक वृक्ष की पूर्णता , देखे सब संसार ।।देखे सब संसार , समाहित ऊर्जा भारी ।अर्ध खुले हैं नैन , प्रकृति अनुकूलन सारी ।।कह ननकी कवि तुच्छ , प्रगट होने को आतुर ।नई सृष्टि आभास , बीज को देता अंकुर । अंकुर होते हैं खुशी , … Read more

बिछोह पर कविता- मनीभाई

बिछोह पर कविता – मनीभाई” रात भर मैंसावन की झड़ी मेंसुनता रहाटपटप की आवाजपानी की बूंदें।बस खयाल रहाअंतिम विदापिया के बिछोह मेंगिरते अश्रुगीले नैनों को मूंदेपवन झोकेंसरसराहट सीलगती मुझेजैसे हो सिसकियां।झरोखे तलेसारी घड़ियां चलें।जल फुहारेंकंपकपी बिखेरेभय दिखातीअशुभ की कामनामैं व मेरी कल्पना ।। ✍मनीभाई”नवरत्न”७/८/२०१८ मंगल

कोरोना कइसे भागही – महदीप जंघेल

कोरोना कइसे भागही – महदीप जंघेल दारू भट्ठी में भीड़ ल देखके,मोला लगथे अकबकासी।कोरोना बेरा मा अइसन हालत ले,लगथे अब्बड़ कलबलासी। बिहनिया ले कतार म ठाढ़ होके,घाम पियास म अइंठत हे,सियनहीन गाय सरी ठाढ़े-ठाढ़े ,हफरत लाहकत हे। धरे पइसा,लपेटे मुहूँ मा गमछा,अगोरा मा खड़े हवय।कोरोना ल भुलागे,एक ठन काबर,दू ठन बर धरे हवय। नशाखोरी के … Read more

एक अकेले मदन मोहन

एक अकेले मदन मोहन कुछ  लोग होते हैं, जो महान होते हैं, महात्मा कहलाते हैं, कुछ लोग होते हैं, जो पवित्र होते हैं, शुद्धात्मा कहलाते हैं  कुछ लोग होते हैं देवतुल्य, जो देवात्मा कहलाते हैं  पर महामना हैं केवल एक, जहां अनेक में एक पुण्यात्मा हम पाते हैं  न पहले ना बाद में किसी का, … Read more