आज पंछी मौन सारे

आज पंछी मौन सारे नवगीत (१४,१४) देख कर मौसम बिलखताआज पंछी मौन सारेशोर कल कल नद थमा हैटूटते विक्षत किनारे।। विश्व है बीमार या फिरमौत का तांडव धरा परजीतना है युद्ध नित नवव्याधियों का तम हरा कर छा रहा नैराश्य नभ मेंरो रहे मिल चंद्र तारे।।।देख कर…………….।। सिंधु में लहरें उठी बसगर्जना क्यूँ खो गई … Read more

भगत सिंह हों घर घर में

यह कविता मनुष्य के स्वार्थपरता को व्यक्त करते लिखी गई है

साक्षरता का अर्थ बताती कविता

प्रस्तुत हिंदी कविता का शीर्षक साक्षरता है जो कि साक्षरता का अर्थ बताती कविता हैं