भारतेंदु हरिश्चंद्र की लोकप्रिय कवितायेँ
यहाँ पर भारतेंदु हरिश्चंद्र की लोकप्रिय कवितायेँ के पढेंगे . आपको जो भी कविता अच्छी लगे कमेंट करके जरुर बताएं
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जी होता चिड़िया बन जाऊँ / सोहनलाल द्विवेदी जी होता, चिड़िया बन जाऊँ!मैं नभ में उड़कर सुख पाऊँ! मैं फुदक-फुदककर डाली पर,डोलूँ तरु की हरियाली पर,फिर कुतर-कुतरकर फल खाऊँ!जी होता चिड़िया बन जाऊँ! कितना अच्छा इनका जीवन?आज़ाद सदा इनका तन-मन!मैं भी इन-सा गाना गाऊँ!जी होता, चिड़िया बन जाऊँ! जंगल-जंगल में उड़ विचरूँ,पर्वत घाटी की सैर … Read more
प्रस्तुत गीत का शीर्षक “हर तरफ है भ्रष्टाचार है” जोकि आशीष कुमार (मोहनिया, कैमूर, बिहार) की रचना है. इसे वर्तमान समाज में फैले भ्रष्टाचार को आधार मानकर रचा गया है. इस रचना के माध्यम से बताया गया है कि हमारे समाज में भ्रष्टाचार कितनी गहरी पैठ बना चुका है.
यहाँ पर विनोद सिल्ला की व्यंग्य कवितायेँ प्रकाशित की गयी हैं आपको कौन सी अच्छी लगी कमेंट कर जरुर बताएँगे दो-दो भारत वंचितों की बस्तियां इस ओर हैं,सम्पन्नों की बस्तियां उस ओर हैं, उधर महके सम्पन्नता में छोर-छोर,इधर अभावग्रस्त है हर कोर-कोर, उधर पकवानों की महक उठी है,इधर पतीली उपेक्षित सी पड़ी है, उधर पालतू … Read more
यहाँ पर सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की प्रसिद्ध कवितायेँ के बारे में बताया गया है , आपको कौन सी अच्छी लगी कमेंट कर जरुर बताएं खँडहर के प्रति / सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” खँड़हर! खड़े हो तुम आज भी?अदभुत अज्ञात उस पुरातन के मलिन साज!विस्मृति की नींद से जगाते हो क्यों हमें–करुणाकर, करुणामय गीत सदा गाते हुए? … Read more