हम हलचल कर देंगे
हम हलचल कर देंगे (प्रॉज शैली में) तर्क, कुछ निकलेंगे..कुछ अंधविश्वास टूटेंगे। ज्ञान ग्रहण जो सार, हम तुम खोजते, ग्रहण जो, करेंगे। हर, पक्ष विपक्ष, हर पहलु का, कोई न कोई सार, निकलता है प्यारे, अनुसंधान जो, …
हम हलचल कर देंगे (प्रॉज शैली में) तर्क, कुछ निकलेंगे..कुछ अंधविश्वास टूटेंगे। ज्ञान ग्रहण जो सार, हम तुम खोजते, ग्रहण जो, करेंगे। हर, पक्ष विपक्ष, हर पहलु का, कोई न कोई सार, निकलता है प्यारे, अनुसंधान जो, …
छूकर मुझे बसंत कर दो – निमाई प्रधान तुम बिन महज़ एक शून्य-सा मैंजीकर मुझे अनंत कर दो ….। पतझर-पतझर जीवन हैछूकर मुझे बसंत कर दो ।। इन्द्रधनुष एक खिल रहा है, मेरे हृदय के कोने में…..बस जरुरत एक ‘हाँ’…
दिलीप कुमार पाठक सरस का ग़ज़ल जिंदादिली जिसकी बदौलत गीत गाना फिर नया |हँसके ग़ज़ल गाते रहो छेड़ो तराना फिर नया || है जिंदगी जी लो अभी फिर वक्त का कोई भरोसा है नहीं |पल भर ख़ुशी का जो मिले…
सेवा पर कविता – मानक छत्तीसगढ़िया ठंडी में गरीब को कपड़े दे दो,गर्मी में प्यासे को पानी।हर मौसम असहाय की सेवा,ऐसे बीते जवानी।। अशिक्षित को शिक्षित बना दो,कमजोर को बलशाली।भटके को सच राह दिखा दो,भीखारी को भी दानी।। दीन दुखियों…
नव्य आशा के दीप जले – मधु सिंघी नव्य आशा के दीप जले,उत्साह रूपी सुमन खिले।कौतुहल नवनीत जगाकर,नया साल लो फिर आया। मन के भेद मिटा करके,नयी उम्मीद जगा करके।संग नवीन पैगाम लेकर ,नया साल लो फिर आया। सबसे प्रीत…