जलती धरती/पूनम त्रिपाठी

जलती धरती/पूनम त्रिपाठी धरती करे पुकार मानव सेमुझे न छेड़ो तुम इंसानबढ़ता जाता ताप हमाराक्यों काटते पेड़ हमारापेड़ काट रहा तू इंसानजलती धरती सूखे नलकूपसूरज भी आग बरसाएबादल भी न पानी लायेमत उजाड़ो मेरा संसारधरती का बस यही पुकारमै रूठी…