Category हिंदी कविता

कुण्डलिया शतकवीर- बाबूलाल शर्मा

कुण्डलिया शतकवीर – बाबूलाल शर्मा १. *वेणी* मिलती संगम में सरित, कहें त्रिवेणी धाम!तीन भाग कर गूँथ लें, कुंतल वेणी बाम!कुंतल वेणी बाम, सजाए नारि सयानी!नागिन सी लहराय, देख मन चले जवानी!कहे लाल कविराय, नारि इठलाती चलती!कटि पर वेणी साज,…

यार तेरी कसम-गज़ल

यार तेरी कसम-गज़ल रूठ जाऊँ कभी तो मनाना मुझे।कर ये वादा कभी मत सताना मुझे।। गर कहीं भूल जाऊँ ये राहे वफ़ा,*यार तेरी कसम* मत भुलाना मुझे। जिंदगी की डगर में बड़ी मुश्किलें,थाम दामन मेरा तू चलाना मुझे। आदमी तो…

आह्वान पर कविता -डाक्टर को सारी बात बताये

आह्वान पर कविता जब भी होवे वाइरस संक्रमण,सर्दी-जुकाम से पिड़ित तन !सांस लेने में होय परेशानी, सहज बात न समझे हम !!कफ खांसी की जांच कराये, डाक्टर को सारी बात बताये !संकोच घबराने की बात नहीं, सावधानी की राह अपनाये…

नेक काम पर कविता

नेक काम पर कविता आये हो संसार मे, नेक काम कर जाय।विपदा आफत टाल कर,सब की करे सहाय।सब की करे सहाय,प्रभु ने लायक बनाया।मेहर उस की होय,खुशिया जी भर लुटाया।कहै मदन कर जोर, यही से सब कुछ पाये।दाता को लौटाय,…

धर्मांधता पर कविता

धर्मांधता पर कविता जब भीबंटा है वतनतब-तबबंटवारे के लिएउत्तरदायी रही हैधर्मांधतायह चलती हैराजनीतिक इशारों परजो आज भी हैपूरे यौवन परजाने और कितनेटुकड़े करना चाहते हैंधर्मांध लोगइस वतन केनहीं लेते सबकऐतिहासिक भूलों सेऔर कर रहे हैं निर्माणअराजक वातावरण का -विनोद सिल्ला©…

बेटी पर कविता

बेटी पर कविता कितनी मन्नते माँगते माता पिता,जा जाकर हर मंदिर के द्वार में।करते हैं संतान कि कामना हरदम,खुशीयाँ कब आये झोली में। ढ़ोल नगाड़े बजते उस घर,प्यारी गुड़ियाँ के आने में।देते बधाई सब चाहने वालें,खुशियाँ बरसे जिस आँगन में।…

स्वच्छता पर कविता

स्वच्छता पर कविता पृथ्वी की सबसे बड़ी आवश्यकता,हो कण- कण में स्वच्छता। चलता, तैरता, उड़ता जहर ,मानव हो जागरूक ..नहीं तो बरसेगा कहर। दूषित जल, थल ,वायु, कचरा-कूड़ा, प्लास्टिक की चौफेरेभरमार, भूल रहा हैं सब अपना कर्तव्य वयवहार। शुचि क्रियाएं…

चितवन पर कविता

चितवन पर कविता चंचल चर चितवन चषक, चण्डी,चुम्बक चाप्!चपला चूषक चप चिलम,चित्त चुभन चुपचाप!चित्त चुभन चुपचाप, चाह चंडक चतुराई!चमन चहकते चंद, चतुर्दिश चष चमचाई!चाबुक चण्ड चरित्र, चाल चतुरानन चल चल!चारु चमकमय चित्र, चुनें चॅम चंदन चंचल! *चंडक~चंद्र, चॅम~मित्र, चष~दृश्य शक्ति,…

नन्हें मेहमान पर कविता

नन्हें मेहमान पर कविता मुंडेर पर रखेपानी के कुंडे कोदेख रहा था मैंहोकर आशंकितमन में उठे प्रश्नकोई पक्षीआता है या नहीँपानी पीनेतभी मुंडेर परदेखी मैंनेपक्षियों की बीठेंमन को हुई तसल्लीकि आते हैंनन्हे मेहमानमेरी मुंडेर पर -विनोद सिल्ला© Post Views: 47

बूंदाबांदी पर कविता

बूंदाबांदी पर कविता रात की हल्कीबूंदाबांदी नेफिजां कोदिया निखारपेङों पेपत्तों पेदीवारों पेमकानों पेजमीं धूलधुल गईसब कुछ हो गयानया-नयाऐसी बूंदाबांदीमानव मन पे भीहो जातीजात-पांतधर्म-मजहब कीजमी धूलभी जाती धुलआज कीफिजां की तरहजर्रा-जर्राजाता निखर -विनोद सिल्ला Post Views: 35