छत्तीसगढ़ी कविता – जड़कल्ला के बेरा
जड़कल्ला के बेरा -छत्तीसगढ़ी कविता आगे रे दीदी, आगे रे ददा, ऐ दे फेर जड़कल्ला के बेरा।गोरसी म आगी तापो रे भइया , चारोखुँट लगा के घेरा॥ रिंगीचिंगी पहिरके सूटर,नोनी बाबू ल फबे हे।काम बूता म,मन नई लागे, बने जमक धरे हे।देहे म सुस्ती छागय हे,घाम लागे बड़ मजा के।दाँत ह किटकिटावथे,नहाय लागे बड़ सजा … Read more