नंदा जाही का संगी -सुशील कुमार राजहंस

नंदा जाही का संगी -सुशील कुमार राजहंस हां संगवारी धीरे धीरे सब नंदात हे।मनखे मशीन के चक्कर म फंदात हे।किसानी के जम्मो काम अब इहि ले हो जात हे।कोनो कमात हे कोनो मशीन ले काम चलात हे।देखतो नवां नवां जमाना म का का आत हे।हमर पुरखा के कतको चिन्हारी ह लुकात हे। अब कहां पाबे … Read more

फूफा रिश्ता पर कविता

(बिहाव के सम्मे म फूफा के अलगेच रउब रईथे। काबरकि ओहर तईहा के भांटो मतलब  “सियान के भांटो” रईथे।
अऊ ओकर सियानी के  दिन काल भागत रईथे। तेकर जगह म मोर भांटो के पदवी आत रईथे । ओला ओहर सहन नई करन सके।
तिकर पाय बर ए कविता ल प्रयास करे गय हे:-)

छतीसगढ़ दाई

छतीसगढ़ दाई चंदन समान माटीनदिया पहाड़ घाटीछतीसगढ़ दाई। लहर- लहर खेतीहरियर हीरा मोतीजिहाँ बाजे रांपा-गैंतीगावै गीत भौजाई। भोजली सुआ के गीतपांयरी चूरी संगीतसरस हे मनमीतसबो ल हे सुहाई। नांगमोरी,कंठा, ढारकरधन, कलदारपैंरी,बहुँटा श्रृंगारपहिरे बूढ़ीदाई । हरेली हे, तीजा ,पोराठेठरी खुरमी बरानांगपुरी रे लुगरापहिरें दाई-माई। नांगर के होवै बेराखाये अंगाकर मुर्राखेते माँ डारि के डेराअर तत कहाई। … Read more

ननपन के सुरता (छत्तीसगढ़ी कविता)

ननपन के सुरता (छत्तीसगढ़ी कविता) ➖➖➖➖➖➖रचनाकार-महदीप जंघेलग्राम-खमतराई,खैरागढ़जिला- राजनांदगांव(छ.ग)विधा-छत्तीसगढ़ी कविता पहली के बात, मोर मन ल सुहाथे।ननपन के सुरता मोला अब्बड़ आथे।। होत बिहनिया अंगाकर रोटी ल,खाय बर अभर जावन।कमती खा के घलो,दाई के मया अउदुलार ले अघा जावन।।दूध दही मही अउ घीव घलो,जम के खावन।दिन भर खेलकूद के ,सब्बो ल पचावन।।तिहार के ढिलबरा कोचई कढ़ी,मोला … Read more

छत्तीसगढ़ी कविता – तरिया घाट के गोठ

( यह कविता कुछ ग्रामीण महिलाओं के स्वभाव को दर्शाती है जहाँ उनकी दिखावटीपन, आभूषण प्रियता, बातूनीपन  और  कुछ अनछुए पहलू को बताने की कोशिश की गई है ।)