लाल तुम कहाँ गये
लाल तुम कहाँ गये * मेरे आँगन का उजियारा थामाँ बाप के आँख का तारा थासीमा पर तुझको भेजा थापत्थर का बना कलेजा थापर मैने यह नहीं सोचा था।तू मुझे छोड़ कर जायेगा माँ बाप को रुलवायेगा ।क्यों पुलवामा में सो गये ।लाल तुम कहाँ गये । कहता था ब्याह रचाऊँगाप्यारी सी बहू मैं लाऊँगाफिर झूले … Read more