अभिलाषा पर दोहे – बाबूराम सिंह

अभिलाषा पर दोहे मेरा मुझमें कुछ नहीं ,सब कुछ तेरा प्यार। तू तेरा ही जान कर ,सब होते भव पार।। क्षमादया तेरी कृपा,कण-कण में चहुँ ओर।अर्पण है तेरा तुझे ,क्या लागत है मोर।। सांस-सांस में रम रहा ,तू है जीवन डोर।माया मय पामर पतित ,मै हूँ पापी घोर।। तार करूणा कर मुझे ,हे दीनों के … Read more

हिंदी की है अद्भुत महिमा – उपमेंद्र सक्सेना

हिंदी की है अद्भुत महिमा हिंदी की है अद्भुत महिमा गीत-उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट जिसको जीवन में अपनाया, उसपर हम होते बलिहारीहिंदी की है अद्भुत महिमा, यह हमको प्राणों से प्यारी। हिंदी का गुणगान करें हम, हिंदी के गीतों को गाएँहिंदी की मीठी बोली से, सबके मन को अब हम भाएँ सदा फले- फूले यह भाषा, … Read more

मन हो रहा हताश – बाबूलाल शर्मा

मन हो रहा हताश . ✨✨१✨✨हम ही दुश्मन मीत, अपनी भाषा के बने।बस बड़ बोले गीत, सोच फिरंगी मन वही।।. ✨✨२✨✨बदलें फिर संसार, निज की सोच सुधार लें।दें शिशु हित संस्कार,अंग्रेजी की कार तज।। . ✨✨३✨✨चलें धरातल जान, उड़ना छोड़ें पंख बिन।तब ही हो पहचान, हिन्दी हिन्दुस्तान की।।. ✨✨४✨✨ज्ञान मरघटी तात, नशा उतरता शीघ्र ही।वही … Read more

जीवन पर कविता – नीरामणी श्रीवास

सिंहावलोकनी दोहा मुक्तकजीवन जीवन के इस खेल में,कभी मिले गर हार ।हार मान मत बैठिए , पुनः कर्म कर सार ।।सार जीवनी का यही , नहीं छोड़ना आस ।आस पूर्ण होगा तभी , सद्गुण हिय में धार ।। जीवन तो बहुमूल्य है , मनुज गँवाये व्यर्थ ।व्यर्थ मौज मस्ती किया , नहीं समझता अर्थ ।।अर्थ … Read more

प्रात: वन्दन – हरीश बिष्ट

जन-जन  की रक्षा है  करती |भक्तजनों  के दुख भी हरती ||ऊँचे   पर्वत   माँ   का   डेरा |माँ   करती   है  वहीं  बसेरा || भक्त   पुकारे   दौड़ी   आती |दुष्टजनों   को   धूल  चटाती ||भक्तों   की करती  रखवाली |जगजननी  माँ  खप्परवाली || भक्त सभी जयकार लगाते |चरणों में नित शीश नवाते ||मनोकामना    पूरी   करती |खुशियों से माँ झोली भरती || … Read more